एक जमाने में श्रीलंका और इंडोनेशिया से जो लूटा गया खजाना, उस दौलत को वापस करेगा नीदरलैंड
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एक जमाने में श्रीलंका और इंडोनेशिया से जो लूटा गया खजाना, उस दौलत को वापस करेगा नीदरलैंड

Dutch Colony: श्रीलंका और नीदरलैंड कभी डच उपनिवेश थे और ये सारा बेशकीमती सामान इन दोनों देशों से लूटा गया था. डच राज्य के संस्कृति और मीडिया सचिव गुने उसलू ने कहा, 'हम उन वस्तुओं को वापस देने के लिए समिति की सिफारिशों का पालन कर रहे हैं जिन्हें नीदरलैंड में कभी नहीं लाया जाना चाहिए था.

एक जमाने में श्रीलंका और इंडोनेशिया से जो लूटा गया खजाना, उस दौलत को वापस करेगा नीदरलैंड

Netherlands News: सैकड़ों सांस्कृतिक कलाकृतियों और आभूषण, कीमती धातुएं और हीरे, मोती, सोने से जड़ी एक शानदार तोप, उन चीजों में शामिल हैं जिन्हें नीदरलैंड जल्द ही श्रीलंका और इंडोनेशिया को लौटाने जा रहा है. बता दें ये दोनों देश कभी डच उपनिवेश थे और ये सारा बेशकीमती सामान इन दोनों देशों से लूटा गया था. गुरुवार को हेग में संस्कृति मंत्रालय ने कहा कि इनमें से अधिकांश कलाकृतियां सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण और अत्यधिक मूल्यवान हैं.

डच राज्य के संस्कृति और मीडिया सचिव गुने उसलू ने कहा, 'यह एक ऐतिहासिक क्षण है. यह पहली बार है कि हम उन वस्तुओं को वापस देने के लिए समिति की सिफारिशों का पालन कर रहे हैं जिन्हें नीदरलैंड में कभी नहीं लाया जाना चाहिए था. लेकिन हम सिर्फ वस्तुएं वापस नहीं कर रहे हैं. हम वास्तव में एक ऐसे दौर की शुरुआत कर रहे हैं जिसमें हम इंडोनेशिया और श्रीलंका के साथ अधिक गहनता से सहयोग कर सकें.'

478 वस्तुओं को वापस करने का लिया गया निर्णय
लगभग 478 वस्तुओं को वापस करने का निर्णय पिछले साल सरकार द्वारा नियुक्त एक आयोग की सिफारिशों पर विचार करने के बाद लिया गया.  इन सिफारिशों में अवैध डच औपनिवेशिक अधिग्रहणों के बारे में बात की गई थी जिन्हें अब नीदरलैंड के संग्रहालयों में प्रदर्शन के लिए रखा हुआ है.

संस्कृति मंत्री उसलू ने कहा कि उन्होंने उन सिफारिशों पर काम किया जो 2020 में डच समिति द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में दी गई थीं. यह समिति औपनिवेशिक युग के दौरान चोरी हुई कलाकृतियों की जांच कर रही थी.

बता दें समिति द्वारा सरकार से अपील की गई थी कि यदि स्रोत देश द्वारा मांग की जाए तो पूर्व डच उपनिवेशों में लूटी गई किसी भी सांस्कृतिक कलाकृती को 'बिना शर्त वापस करने को तैयार' के लिए तैयार रहना चाहिए.

अपने औपनिवेशिक अतीत की जिम्मेदारी लेनी चाहिए
रिपोर्ट में कहा गया है, 'नीदरलैंड को इस अन्याय की पहचान और निवारण को औपनिवेशिक संग्रह पर नीति का एक प्रमुख सिद्धांत बनाकर अपने औपनिवेशिक अतीत की जिम्मेदारी लेनी चाहिए.'

आयोग की स्थापना इंडोनेशिया द्वारा अपने पूर्व औपनिवेशिक शासक से प्राकृतिक इतिहास संग्रह और कलाकृतियां वापस करने के लिए प्राप्त अनुरोध के आधार पर की गई थी.

क्या-क्या मूल्यवान चीजें लौटाई जाएंगी
लौटाई जाने वाली कुछ मूल्यवान वस्तुओं में 'लोम्बोक खजाना' शामिल है, जो सैकड़ों कीमती पत्थरों, चांदी की वस्तुओं और सोने का संग्रह है, जिसे 1894 में इंडोनेशिया के लोम्बोक द्वीप से डच औपनिवेशिक सेना ने लूट लिया था. नीदरलैंड सरकार ने 1977 में इस खजाने का एक हिस्सा इंडोनेशिया को लौटा दिया था.

चोरी की हुई कलाकृतियों में एक अन्य आकर्षण कैंडी की तोप है जिसे भी श्रीलंका को वापस कर दिया जाएगा. इस औपचारिक हथियार को चांदी, सोना, कांस्य, माणिक से बनाया गया है.  माना जाता है कि बैरल, जिसे कैंडी के राजा के प्रतीकों से सजाया गया था, 1765 में डचों द्वारा लूट लिया गया था. यह टुकड़ा 1800 से रिज्क्सम्यूजियम के संग्रह का हिस्सा रहा है.

इस सप्ताह, इंडोनेशिया में लूटी गई कलाकृतियों को आधिकारिक तौर पर वापस करने के लिए एक समारोह की योजना बनाई गई है.

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