क्या अमेरिका से डर गया है किम जोंग? अपने न्यूक्लियर ठिकानों को खुद ही कर रहा तबाह
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क्या अमेरिका से डर गया है किम जोंग? अपने न्यूक्लियर ठिकानों को खुद ही कर रहा तबाह

वाशिंगटन के स्टिम्सन सेन्टर से जुड़ी अमेरिकी वेबसाइट ‘38 नॉर्थ’ ने 20 और 22 जुलाई को ली गयी तस्वीरें प्रकाशित की हैं. यह वेबसाइट मुख्य रूप से उत्तर कोरिया पर नजर रखती है. 

इसी साल 12 जून को उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात हुई थी.

वाशिंगटन: उत्तर कोरिया ने बैलिस्टिक मिसाइलों का इंजन तैयार करने वाले प्रतिष्ठान को नष्ट करना शुरू कर दिया है. अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच हुए समझौते के बाद परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में यह पहला ठोस प्रयास है. उपग्रह से प्राप्त तस्वीरों के विश्लेषण के अनुसार, सोहे उपग्रह प्रक्षेपण स्टेशन 2012 से ही उत्तर कोरिया के लिए महत्वपूर्ण उपग्रह प्रक्षेपण केन्द्र रहा है. वाशिंगटन के स्टिम्सन सेन्टर से जुड़ी अमेरिकी वेबसाइट ‘38 नॉर्थ’ ने 20 और 22 जुलाई को ली गयी तस्वीरें प्रकाशित की हैं. यह वेबसाइट मुख्य रूप से उत्तर कोरिया पर नजर रखती है. 

  1. परमाणु निरस्त्रीकरण की ओर बढ़ा उत्तर कोरिया
  2. न्यूक्लियर प्रतिष्ठानों को खुद ही कर रहा नष्ट
  3. डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात के बाद किम जोंग के स्वभाव में बदलाव

‘38 नॉर्थ’ ने एक रिपोर्ट में कहा है कि नये व्यावसायिक उपग्रह से प्राप्त सोहे स्टेशन की तस्वीरों से पता चलता है कि उत्तर कोरिया ने अपने महत्वपूर्ण मिसाइल निर्माण स्थल को नष्ट करना शुरू कर दिया है. रिपोर्ट में कहा गया है , यदि उपग्रह से प्राप्त तस्वीरों का विश्लेषण सही है तो उत्तर कोरिया ने परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में छोटा लेकिन महत्वपूर्ण कदम उठाया है. 

दरअसल, 12 जून को सिंगापुर में हुई अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन के बीच ऐतिहासिक बातचीत में दोनों नेताओं के बीच सहमति बनी थी कि उत्तर कोरिया पूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण करेगा और बदले में अमेरिकी उसे सुरक्षा प्रदान करेगा. 

मालूम हो कि इसी साल 12 जून को उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात हुई थी. इस मुलाकात में किम जोंग ने ट्रंप को आश्वासन दिया था कि वह अपनी न्यूक्लियर ताकत को कमजोर करेगा. साथ ही उसने भरोसा दिया था कि दुनिया में शांति स्थापना के लिए भी वह फैसले लेगा. इस मुलाकात के पहले दोनों नेताओं के बीच बेहद तल्ख रिश्ते रहे. किम जोंग बेखौफ होकर अमेरिका के खिलाफ बयानबाजी करता था, लेकिन अब हालात बदल गए हैं.

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