Ukraine War: नागरिकता और मुआवजे की पेशकश, यूक्रेन युद्ध में मारे गए भारतीयों के परिजनों की मदद के लिए रूस का बड़ा कदम
Advertisement
trendingNow12330822

Ukraine War: नागरिकता और मुआवजे की पेशकश, यूक्रेन युद्ध में मारे गए भारतीयों के परिजनों की मदद के लिए रूस का बड़ा कदम

Indians in the Russian Army: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अनौपचारिक मुलाकात के दौरान रूसी सेना में भारतीयों की भर्ती का मुद्दा प्रमुखता से उठाया था.

Ukraine War: नागरिकता और मुआवजे की पेशकश, यूक्रेन युद्ध में मारे गए भारतीयों के परिजनों की मदद के लिए रूस का बड़ा कदम

Russia - Ukraine War: रूस ने बुधवार को कहा कि वह रूसी सेना में सहायक स्टाफ के रूप में भर्ती किए गए भारतीयों की वापसी से संबंधित मुद्दे के शीघ्र समाधान की उम्मीद कर रहा है. इस मुद्दे पर रूसी सरकार की ओर से पहली टिप्पणी में नई दिल्ली स्थित रूसी दूतावास के प्रभारी रोमन बाबुश्किन ने कहा कि मास्को कभी नहीं चाहता था कि भारतीय उसकी सेना का हिस्सा बनें और संघर्ष के संदर्भ में उनकी संख्या बहुत कम है.

यह पूछे जाने पर कि क्या मारे गए लोगों के परिवारों को मुआवाज और रूसी नागरिकता दी जाएगी, बाबुश्किन ने कहा कि 'कॉन्ट्रैक्ट संबंधी दायित्वों के अनुसार ऐसा होना ही चाहिए.'

इस बीच बीबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि यूक्रेन के खिलाफ चल रही जंग में धोखे का शिकार हुए और मारे गए भारतीय लोगों के परिजनों के लिए रूस ने मुआवज़ा देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

बीबीसी रिपोर्ट के मताबिक ऐसे ही दो परिवारों ने बातचीत में इस जानकारी की पुष्टि की है. यहां तक कि इनमें से एक परिवार ने रूस की नागरिकता स्वीकार करने पर अपनी सहमति भी दी है.

'इस मुद्दे पर हम भारत सरकार के साथ
बाबुश्किन ने एक सवाल के जवाब में में कहा, 'इस मुद्दे पर हम भारत सरकार के साथ हैं... हमें उम्मीद है कि यह मुद्दा जल्द ही सुलझ जाएगा.'

रूसी राजनयिक ने कहा कि अधिकांश भारतीयों को कॉर्मिशयल फ्रेम वर्क के तहत भर्ती किया गया क्योंकि वे 'पैसा कमाना' चाहते थे. भारतीयों की संख्या - 50, 60 या 100 लोग - व्यापक संघर्ष के संदर्भ में कोई महत्व नहीं रखती. उन्होंने कहा, 'वे विशुद्ध रूप से व्यावसायिक कारणों से वहां हैं और हम उन्हें भर्ती नहीं करना चाहते थे.'

बाबुश्किन ने कहा कि सहायक कर्मचारियों के रूप में भर्ती किए गए अधिकांश भारतीय अवैध रूप से काम कर रहे हैं क्योंकि उनके पास काम करने के लिए उचित वीज़ा नहीं है. उन्होंने कहा कि उनमें से अधिकांश टूरिस्ट वीजा पर रूस आए हैं.

पीएम मोदी रूस यात्रा के दौरान उठाया मुद्दा
बता दें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अनौपचारिक मुलाकात के दौरान यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया था.

विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा कि रूसी पक्ष ने सभी भारतीय नागरिकों को रूसी सेना से जल्द सेवामुक्त करने का वादा किया है. उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी ने उन भारतीय नागरिकों को शीघ्र सेवामुक्त करने का मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया, जिन्हें गुमराह करके रूसी सेना में भर्ती कराया गया है. प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया और रूसी पक्ष ने सभी भारतीय नागरिकों को जल्द सेवामुक्त करने का वादा किया.’

क्वात्रा ने कहा कि दोनों पक्ष इस विषय पर काम करेंगे कि भारतीयों को कितनी तेजी से स्वदेश वापस लाया जा सके. एक प्रश्न के उत्तर में क्वात्रा ने कहा कि भारत का अनुमान है कि रूसी सेना में कार्यरत उसके नागरिकों की संख्या लगभग 35 से 50 के बीच होगी, जिनमें से 10 को पहले ही वापस लाया जा चुका है.

पिछले महीने, विदेश मंत्रालय  ने कहा था कि रूस-यूक्रेन युद्ध में रूसी सेना में कार्यरत दो और भारतीय नागरिक मारे गए हैं. इसी के साथ, रूस-यूक्रेन युद्ध में जान गंवाने वाले उन भारतीय नागरिकों की संख्या बढ़कर चार हो गई है, जो रूसी सेना में सहायक कर्मी के रूप में काम कर रहे हैं.

दो और भारतीयों की मौत के बाद, भारत ने रूसी सेना में भारतीय नागरिकों की भर्ती पर ‘सत्यापित रोक’ लगाने की मांग की थी. विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा था कि रूसी सेना में कार्यरत भारतीय नागरिकों का मुद्दा ‘अत्यंत चिंता’ का विषय बना हुआ है. उसने मॉस्को से इस संबंध में कार्रवाई की मांग की थी.

इस साल मार्च में हैदराबाद निवासी 30 वर्षीय मोहम्मद असफान की यूक्रेन युद्ध में अग्रिम मोर्चे पर रूसी सैनिकों के साथ तैनाती के दौरान लगी चोटों के कारण मौत हो गई थी.

इससे पहले फरवरी में सूरत निवासी 23 वर्षीय हेमल अश्विनभाई मंगुआ दोनेत्स्क क्षेत्र में ‘सुरक्षा सहायक’ के रूप में तैनाती के दौरान यूक्रेन के हवाई हमले की चपेट में आ गए थे, जिससे उनकी मौत हो गई थी.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

Photo courtesy:@narendramodi

Trending news