इमरान का ऑपरेशन 'जेल ब्रेक', पाकिस्तान की सड़कों पर मचा कोहराम; कहीं जुल्फिकार जैसा ना हो जाए हाल
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इमरान का ऑपरेशन 'जेल ब्रेक', पाकिस्तान की सड़कों पर मचा कोहराम; कहीं जुल्फिकार जैसा ना हो जाए हाल

Imran Khan: इमरान खान पिछले 401 दिनों से इस्लामाबाद के करीब रावलपिंडी की 'अडियाला' जेल में हैं.आज मिलाकर जेल में इमरान को 401 दिन हो चुके हैं. इमरान की पार्टी पीटीआई ने पाकिस्तानी सरकार को 21 सितंबर तक की डेडलाइन दी है. 

इमरान का ऑपरेशन 'जेल ब्रेक', पाकिस्तान की सड़कों पर मचा कोहराम; कहीं जुल्फिकार जैसा ना हो जाए हाल

Pakistan Imran Khan Jail Break: पाकिस्तान में अगले 300 घंटों में इमरान खान नियाजी की जेल के ताले तोड़ने की तैयारी है. यानी पाकिस्तान को बांग्लादेश से आगे सीरिया बनाने की तैयारी है. करीब 24 घंटे पहले इमरान की पार्टी ने उन्हें जेल से रिहा करवाने का ऐलान किया. यानी अगर शहबाज शरीफ की सरकार ने इमरान को नहीं छोड़ा तो जेल तोड़कर इमरान को निकालने का प्लान है.

इमरान ख़ान पिछले 401 दिनों से इस्लामाबाद के करीब रावलपिंडी की 'अडियाला' जेल में हैं.आज मिलाकर जेल में इमरान को 401 दिन हो चुके हैं. इमरान की पार्टी पीटीआई ने पाकिस्तानी सरकार को 21 सितंबर तक की डेडलाइन दी है. यानी अगर 13 दिनों बाद इमरान की जेल से रिहाई नहीं हुई तो पूरे पाकिस्तान में एक बड़ा आंदोलन शुरू होगा. ये भी संभव है कि इमरान समर्थक उस जेल पर हमला कर दें, जिसमें इमरान ख़ान को बंद करके रखा गया है.

इमरान का ऑपरेशन जेल ब्रेक

इस्लामाबाद में फायरिंग, भगदड़ और भयंकर बवाल के बीच इमरान खान के लिये ऑपरेशन जेल ब्रेक लॉन्च हो गया है. इमरान खान के नाम पर इस्लामाबाद में लाखों की भीड़ इकट्ठा हुई. सबने मिलकर इमरान के लिये नारेबाजी की और फिर वहीं से इमरान की जेल पर अटैक करने का खुलेआम ऐलान हो गया.

इमरान के करीबी नेता अली अमीन गंडापुर पाकिस्तान में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मुख्यमंत्री हैं और उनका दावा है कि 150 मुकदमों के बाद जेल में बंद इमरान को वो ताकत के दम पर रिहा करवा लेंगे. इमरान को रिहा करने के लिये 14 दिनों का वक्त दिया गया, जिसमें से अबतक एक दिन बीत चुका है. सरकार और सेना को धमकी दी गई है कि वो कानूनी तरीके से इमरान को छोड़ दे. और अगर इमरान को छोड़ा ना गया तो उनके कार्यकर्ता आंदोलन करके गोली खाने के लिये भी तैयार हैं.

क्या डिमांड मान लेगी शहबाज सरकार?

इमरान की पार्टी के एक नेता ने जो बयान दिया, उसके बाद बाकियों ने इसे और आगे बढ़ाया. अगले ने कहा कि यहां जितने लोग खड़े हैं अगर वो इस्लामाबाद को घेर लें तो सरकार उनकी डिमांड मानने के लिये मजबूर हो जाएगी.

कुल मिलाकर इस्लामाबाद में ढाका बनाने की तैयारी हो चुकी है. बांग्लादेश की तरह लाखों लोग हैं जो आंदोलन करने के लिये तैयार हैं. इनका मकसद भी साफ है ये इमरान को जेल से बाहर करवाना चाहते हैं और इसके लिये ये किसी भी हद तक जा सकते हैं. इमरान के नेताओं की बयानबाजी पर सियासी जवाब मिलना शुरू हो गया है.

रविवार को जमकर हुआ था बवाल

इस जलसे में एक बड़ा बवाल रविवार रात को हुआ जब इमरान की पार्टी के हजारों कार्यकर्ता पुलिस से भिड़ गए. ये सभी इस्लामाबाद में सभा के लिए जा रहे थे. लेकिन पुलिस ने उन्हें शहर के एंट्री प्वाइंट पर रोक दिया..नाराज कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर जमकर पत्थर चलाए, जिसमें कई पुलिसवाले घायल हुए तो जवाब में पुलिस ने लाठियां बरसाईं और आंसू गैस के गोले दागे.

इमरान की पार्टी ने अपनी ताकत दिखाने के लिये जलसा रखा. पर यहां वो आर्मी को टारगेट करने की गलती कर गए और सीधे पाकिस्तानी फौज को चैलेंज कर दिया.

क्यों आर्मी पर अटैक से बचने की मिल रही नसीहत

पाकिस्तान के पुराने पत्रकार इमरान खान की पार्टी को आर्मी पर अटैक करने से बचने की सलाह दे रहे हैं. इसकी वजह समझने के लिये पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के नाना यानी पूर्व पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो का नाम लिया जा रहा है. पूरा मामला क्या था, पहले वो जान लीजिए.

आर्मी से पंगा लेने की वजह से इमरान की रिहाई नहीं हो पा रही है. इमरान खान पर पिछले साल 9 मई को सेना के खिलाफ हिंसा के लिए अपने कार्यकर्ताओं को उकसाने के आरोप हैं.

जुल्फिकार ने भी ली थी सेना से सीधी टक्कर

ऐसी गलती 47 साल पहले भी एक लीडर ने की थी, तब पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने फौज से सीधी टक्कर लेने की कोशिश की थी.

साल 1977 में जुल्फिकार अली भुट्टो ने पाकिस्तान के तत्कालीन तानाशाह जिया उल हक के खिलाफ बयान दिए. इसी तरह 2022 के बाद इमरान खान लगातार फौज पर बयान दे रहे हैं. इसके बाद भुट्टो को कई मुकदमों में फंसा दिया गया..इमरान पर भी इस समय 150 मुकदमे चल रहे हैं. गिरफ्तारी के करीब 2 साल बाद भुट्टो को फांसी पर चढ़ा दिया गया था और इधर इमरान भी एक साल से जेल में हैं. 

फिलहाल पाकिस्तान में सियासी बयानबाजी चल रही है और दावा ये भी है कि इमरान ने रैली के जरिये ताकत दिखाकर दूसरी पार्टियों को साथ आने के लिये इशारा दिया है. यानी संभव है कि आंदोलन या समझौते के जरिये इमरान खान के आजाद होने की राह बन जाए और इमरान के छूटने तक पाकिस्तान में हर दिन ऐसे ही आंदोलन और हिंसक प्रदर्शन होते रहेंगे.

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