Imran Khan: 'पाकिस्तान की मदद करने से पहले जोड़ दें ये शर्त’, इमरान खान का IMF को पत्र
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Imran Khan: 'पाकिस्तान की मदद करने से पहले जोड़ दें ये शर्त’, इमरान खान का IMF को पत्र

Pakistan Politics: इमरान खान ने पिछले हफ्ते ऐलान किया था कि वह आईएमएफ से किसी भी मदद देने से बचने के लिए कहेंगे क्योंकि अधिकारियों ने उनकी पार्टी को सत्ता से बाहर रखने के लिए चुनावी नतीजों में धांधली की है.

Imran Khan: 'पाकिस्तान की मदद करने से पहले जोड़ दें ये शर्त’, इमरान खान का IMF को पत्र

Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान के जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने बुधवार को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) को एक पत्र लिखा. पत्र में उन्होंने आर्थिक संकट से जूझ रहे देश के साथ किसी और बेलआउट वार्ता पर विचार करने से पहले कम से कम 30 प्रतिशत राष्ट्रीय और प्रांतीय असेंबली सीटों के ऑडिट की शर्त जोड़ी जाए.

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के संस्थापक खान (71) ने पिछले हफ्ते ऐलान किया था कि वह आईएमएफ से किसी भी मदद देने से बचने के लिए कहेंगे क्योंकि अधिकारियों ने उनकी पार्टी को सत्ता से बाहर रखने के लिए चुनावी नतीजों में धांधली की है.

पीटीआई ने पत्र की डिटेल नहीं की साझा
पीटीआई के मनोनीत अध्यक्ष गौहर अली खान ने पार्टी महासचिव उमर अयूब खान के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्र की पुष्टि की लेकिन उन्होंने इसके कंटेंट को साझा करने से इनकार कर दिया.

पीटीआई के एक प्रवक्ता ने यह भी कहा कि पत्र को तब तक मीडिया के साथ शेयर नहीं किया जाएगा जब तक कि इसे पार्टी द्वारा मान्यता नहीं मिल जाती।

पत्र में क्या कहा गया है?
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक खान के मार्गदर्शन में पार्टी प्रवक्ता रऊफ हसन की तरफ से आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा को लिखा पत्र लिखा है. पत्र में स्पष्ट किया गया है कि पीटीआई आईएमएफ द्वारा पाकिस्तान को दी जाने वाली सहायता के रास्ते में अड़चन नहीं डालना चाहती लेकिन आईएमएफ की मदद के साथ कुछ शर्तें जोड़ी जानी चाहिए.

पत्र में कहा गया, 'यह स्पष्ट है कि देश के हित में ऐसी मदद के लिए बातचीत केवल एक विधिवत निर्वाचित सरकार द्वारा की जा सकती है जिसे पाकिस्तान के लोगों का भरोसा प्राप्त हो.'

पत्र में कहा गया है, 'यह एक अच्छी तरह से स्थापित वास्तविकता है कि वैध प्रतिनिधित्व के बिना एक सरकार, जब किसी देश पर थोपी जाती है, तो उसके पास शासन करने और विशेष रूप से टैक्सेशन उपायों को लागू करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं होता है.'

(इनपुट - एजेंसी)

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