Pakistan: 'सेना से दोस्ती न रखना मूर्खता'- इमरान खान के बदले सुर, अमेरिका को लेकर कही ये बात
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Pakistan: 'सेना से दोस्ती न रखना मूर्खता'- इमरान खान के बदले सुर, अमेरिका को लेकर कही ये बात

Pakistan Politics: इमरान खान ने सफाई दी कि सत्ता से हटाए जाने के बाद से उनकी आलोचना व्यक्तियों पर केंद्रित थी, न कि एक संस्था के रूप में सेना पर.

Pakistan: 'सेना से दोस्ती न रखना मूर्खता'- इमरान खान के बदले सुर, अमेरिका को लेकर कही ये बात

Imran Khan News:  पाकिस्तान के जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को कहा कि सेना और अमेरिका को लेकर अपने सुर बदल लिया. उन्होंने कहा कि आर्मी के साथ अच्छे संबंध न रखना 'मूर्खता' होगी. भ्रष्टाचार से लेकर सरकारी रहस्यों को लीक करने जैसे दर्जनों आरोपों के चलते जेल में बंद खान ने कहा कि उनके मन में संयुक्त राज्य अमेरिका के खिलाफ कोई दुर्भावना नहीं है. बता दें उन्होंने 2022 में पद से हटाए जाने के लिए अमेरिका और सेना जिम्मेदार ठहराते रहे हैं. 

रॉयटर्स के पूछे सवाल के जवाब में खान ने अपनी मीडिया और कानूनी टीम द्वारा दिए गए जवाब में लिखा, 'पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति और निजी क्षेत्र में सेना की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए, इस तरह के रिश्ते को बढ़ावा न देना मूर्खता होगी.' उन्होंने कहा, ‘हमें अपने सैनिकों और सशस्त्र बलों पर गर्व है.’

पूर्व पीएम ने दी ये सफाई
खान ने सफाई दी कि सत्ता से हटाए जाने के बाद से उनकी आलोचना व्यक्तियों पर केंद्रित थी, न कि एक संस्था के रूप में सेना पर.  उन्होंने लिखा, 'सैन्य नेतृत्व के गलत आकलन को पूरी संस्था के खिलाफ नहीं माना जाना चाहिए.'

इससे पहले विपक्षी नेता ने सेना के साथ 'सशर्त वार्ता' करने की पेशकश की - बशर्ते 'स्वच्छ और पारदर्शी' चुनाव कराए जाएं और उनके समर्थकों के खिलाफ 'फर्जी' मामले वापस लिए जाएं. 

रॉयटर्स के मुताबिक पाकिस्तान की सेना और सरकार ने खान के बयान पर तुरंत जवाब नहीं दिया. हालांकि दोनों ने ही खान के सत्ता से हटने को लेकर उनके दावों का बार-बार खंडन किया है। अमेरिका ने भी खान के सत्ता से हटने में अपनी किसी भूमिका से इनकार किया है. 

खान ने कहा, 'देशों के बीच संबंधों में हमेशा अपने-अपने देशों के कल्याण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. जब ​​लोग आपको वोट देकर सत्ता में लाते हैं, तो आपको व्यक्तिगत शिकायतों पर कार्रवाई करने की स्वतंत्रता नहीं होती.' हालांकि 71 वर्षीय पूर्व क्रिकेट स्टार ने यह साफ नहीं किया कि वह सेना के साथ क्या चर्चा करना चाहते हैं. 

पाकिस्तानी राजनीति में सेना की अहम भूमिका
सेना, ने पाकिस्तान के 76 साल के स्वतंत्र इतिहास में आधे से अधिक समय तक शासन किया है. यह देश की राजनीति और शासन में एक बड़ी भूमिका निभाती है. 

किसी भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने अपने कार्यकाल के पांच साल पूरे नहीं किए है और उनमें से अधिकांश ने जेल में समय बिताया है. जानकारों का का कहना है कि ज्यादातर ने सेना के साथ समझौते करके अपनी रिहाई हासिल की. हालांकि सेना इस दावे का खंडन करती है. 

खान ने 2022 में पिछले साल जनरलों के साथ मतभेद के बाद अविश्वास प्रस्ताव पर संसदीय वोट में सत्ता खो दी. उन्होंने आरोप लगाया कि सेना उनके खिलाफ राजनीतिक रूप से प्रेरित मामलों का समर्थन कर रही है, जिसका सेना ने खंडन किया. 

उन्होंने कहा, 'हम किसी भी ऐसी बातचीत के लिए तैयार हैं जो पाकिस्तान में गंभीर स्थिति को सुधारने में मदद कर सकती है. उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की गठबंधन सरकार के साथ ऐसी कोई भी बातचीत शुरू करना बेकार है. 

खान का कहना है कि सरकार को जनता का समर्थन नहीं है क्योंकि फरवरी में हुए चुनाव में उनकी पार्टी समर्थित उम्मीदवारों ने संसद में सबसे अधिक सीटें जीती थीं.  इसके बजाय, उन्होंने कहा, 'वास्तव में सत्ता का इस्तेमाल करने वालों के साथ जुड़ना अधिक फायदेमंद होगा.'

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