Imran Khan: मरियम औरंगजेब सरेआम जिसके सिर कलम करने की बात कर रही हैं. वो पाकिस्तान की सियासत का सबसे बड़ा चेहरा इमरान खान हैं. मरियम औरंगजेब ने खुलेआम इमरान खान की हत्या को जायज ठहरा दिया है साथ ही कई और गंभीर आरोप लगाए.
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Marriyum Aurangzeb on Imran Khan: चुनावों में धांधली के सबूत आने के बाद से कोहराम मचा हुआ है. इमरान खान के समर्थक सड़कों पर उतरकर चुनाव नतीजों के खिलाफ विरोध जता रहे हैं. इस बीच नवाज शरीफ की पार्टी की कद्दावर नेता और शरीफ परिवार की भरोसेमंद मरियम औरंगजेब के एक बयान से पाकिस्तान की सियासत में भूचाल आ गया है.
क्या बोलीं मरियम औरंगजेब
इस बयान में मरियम औरंगजेब ने कहा, 'उस वक्त जब PTV और रेडियो पाकिस्तान पर हमला किया था ना इस गिरोह ने... 2013-14 में जब चीन के सदर आ रहे थे... उस वक्त इस फितने को ख़त्म करना चाहिए था... इसका सिर कलम करना चाहिए था... ये वो ही फितना है जिसने रेडियो पाकिस्तान पर तब हमला किया था... सड़क पर कब्रें खोदी थी... सुप्रीम कोर्ट के बंद किया था... सभी सांसद को बंद किया था... ये वही फितना है'.
इमरान को मरियम की खरी-खरी
मरियम औरंगजेब सरेआम जिसके सिर कलम करने की बात कर रही हैं. वो पाकिस्तान की सियासत का सबसे बड़ा चेहरा इमरान खान हैं. मरियम औरंगजेब ने खुलेआम इमरान खान की हत्या को जायज ठहरा दिया है साथ ही कई और गंभीर आरोप लगाए.
मरियम के मुताबिक, 2013-14 में जब चीन के सदर आ रहे थे तो इस फितने यानी इमरान खान और PTI के लोगों ने रेडियो पाकिस्तान पर हमला किया था..सड़कों को खोदा और सुप्रीम कोर्ट को बंद किया. इसने दहशतगर्दी को मुल्क में जिंदा किया. इसने 2018 में लोगों की वोटों की चोरी की, इसने आईएमएफ को खत लिखकर कहा कि मैंने इस देश को डिफॉल्ट कर दिया है, यहां कोई मदद मत देना. देश को लूटने खसोटने वाले इस फितने को 10 साल पहले ही खत्म कर देना चाहिए था। इस गिरोह का सिर कलम कर देना चाहिए था.
क्या चुनाव है इमरान से नफरत की वजह?
इमरान खान के लिए मरियम औरंगजेब की इस नफरत के पीछे असली वजह है चुनाव. क्योंकि सत्ता पक्ष की लाख कोशिशों के बावजूद बिना पार्टी और बिना चुनाव चिन्ह के इमरान समर्थित उम्मीदवारों ने बड़ी जीत हासिल की और नतीजों में धांधली हुई तो इमरान के समर्थक सड़कों पर उतर आए. नवाज शरीफ की पार्टी और चुनाव आयोग पर धांधली के आरोप लगाए. बस यही बात मरियम औरंगजेब को नगवार गुजर रही है.
इमरान खान के सिर कलम की तैयारी?
क्या पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर..'इमरान मुक्त पाकिस्तान' बनाने की प्लानिंग कर रहे हैं. ये तमाम सवाल मरियम औरंगजेब के बयान के बाद उठ रहे हैं, जो सरेआम इमरान खान के कत्ल की धमकी दे रही हैं.
इमरान अभी सलाखों के पीछे हैं और बाहर उनकी मौत का नापाक प्लान बनाया जा रहा है. पूरी तरह कंगाल ये मुल्क सियासी बदहाली से जूझ रहा है और इसी का फायदा उठाकर इमरान के विरोधी उन्हें ठिकाने लगाने की साजिश रच रहे हैं. हालांकि इमरान को ठिकाने लगाने की साजिश अब भी रची जा रही है इसकी शुरुआत उस वक्त हुई, जब नया पाकिस्तान का नारा देकर 2018 में पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम बने इमरान ने बाजवा के रिमोट कंट्रोल से चलना फिरना बंद किया, वो सेना की आंखों में खटकने लगे. दावा किया जाता है कि तभी से सेना उन्हें खत्म करने की साजिश रचने लगी.
तोशाखाने मामले में गिरफ्तारी के बाद एक के बाद एक कई मामले में सजा सुनाकर उन्हें जेल भेज दिया गया. कोर्ट से मिली सज़ा का हवाला देकर इमरान को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिया गया और तो और इमरान की पार्टी PTI के चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई और उसका चुनाव चिन्ह बैट भी ज़ब्त कर लिया गया.
इमरान समर्थकों ने किया शानदार प्रदर्शन
लेकिन इमरान समर्थकों ने हार नहीं मानी. वो निर्दलीय ही चुनाव में उतरे और जीत का परचम लहराने में कामयाब रहे. आरोप है कि उन्हें सत्ता के करीब देखकर पाकिस्तानी सेना, चुनाव आयोग ने मिलकर चुनावी नतीजों को बदला, ताकि नवाज की पार्टी सरकार बना सके. इसके बाद इमरान के समर्थकों ने धांधली के खिलाफ झंडा बुलंद किया और वो सड़क पर उतर पड़े. इससे ये साफ हो गया कि पाकिस्तानी अवाम पर इमरान की अमिट छाप को मिटाना आसान नहीं. इसके बाद वो फिर से निशाने पर आ गए. यही वजह है कि इमरान के खिलाफ ज़हर उगलने वाली मरियम औरंगजेब पुराने ज़ख्म कुरेद रही हैं.
मरियम ने अपने बयान में आगे कहा, "ये वही फितना है... उसी फितने ने RTS बैठाया... वोटों की चोरी की... जिसने देश को कमजोर किया... ये वही फितना है जिसने आईएमएफ को खत लिखकर कहा कि मैंने इस देश को डिफॉल्ट कर दिया है, यहां कोई मदद मत देना.. ये वही फितना है जिसने मुल्क में दहशतगर्दी को ज़िंदा किया... ये वही फितना है जिसने देश में 9 मई वाले हालात पैदा किए... लूट खसोट कर मुल्क को चले गए... 9 मई को रियासत पर चढ़ बैठे... इसी फितने ने रेडियो पाकिस्तान पेशावर पर हमला किया... यादगारों पर हमला किया... GHQ पर हमला किया... इनकी आग ठंडी नहीं हो रही.
मरियम के बयान पर खड़ा हुआ बखेड़ा
मरियम औरंगजेब के इस बयान पर बखेड़ा खड़ा हो गया है और अपनी तीखी बयानबाजी से खुद ही घिर गई हैं. पाकिस्तानी मीडिया उनके खिलाफ खड़ा हो गया है और खुलकर मरियम की मुखालफत की जा रही है.
पाकिस्तानी पत्रकार मंसूर अली खान ने कहा, 'आपका विरोध है आप 100 बार बोलें कि इसकी सियासत खत्म हो जानी चाहिए. इसे बैन कर देना चाहिए. इसको वोट न डालें. लेकिन सिर कलम कर देना. मतलब यही है न कि मार देना चाहिए. आपको कैसा लगेगा अगर नवाज शरीफ और शहबाज शरीफ के बारे में ऐसी बात की जाए कि उनके साथ ये कर देना चाहिए... वो कर देना चाहिए.'
इतना ही नहीं पाकिस्तानी पत्रकार मरियम से उनके बयान को लेकर सवाल पूछ रहे हैं... जिसका जवाब देना उनके लिए बेहद मुश्किल साबित होगा
मंसूर अली ख़ान ने आगे कहा, 'क़त्लोगारत... मार दो... जला दो... फांसी चढ़ा दो... गले काट दो... भगवान के लिए क्या हो गया है आप लोगों को, क्या हो गया है. हाल में मैंने ये देखा है कि नवाज की पार्टी में अजीव वहशत आ गई है, वहशी हो गया है एक वो चीज आ गई है कि आप पत्रकार पर हमले कर रहे हैं अपने विरोध पर हमले कर कर रहे हैं... वो भी क्रूरता से... जिसकी इंतहा नहीं.'
आखिर मामला है क्या?
अब जानिए कि नवाज की पार्टी PML-N नेता मरियम औरंगजेब जिस 2013-2014 के दौरे की बात कर रही हैं तब हुआ क्या था. दरअसल बात 2014 की है जब पाकिस्तान में नवाज शरीफ की सरकार बने एक साल ही हुआ था, वहां चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का दौरा होने वाला था, तभी सरकार के खिलाफ विपक्ष ने धरने शुरू कर दिए.. जिसकी अगुवाई इमरान खान कर रहे थे.
14 अगस्त को एक मार्च निकाला गया जो ये ज़मान पार्क से शुरू हुआ और इस्लामाबाद के डी चौक तक पहुंचना था. लेकिन मार्च शुरू होने के कुछ देर बाद ही हिंसा हो गई, जिसमें 400 से ज्यादा लोग घायल हो गए. ये मार्च कई दिनों तक चला. करीब 30 हजार इमरान समर्थक पाकिस्तान की संसद की तरफ कूच करने लगे. अब नवाज शरीफ खुद को कमजोर नहीं दिखाना चाहते थे. इसलिए उन्होंने प्रदर्शनकारियों को इस्लामाबाद के बीचों बीच संसद तक पहुंचने दिया. हालांकि, हालात बिगड़ गए और शी जिनपिंग ने पाकिस्तान का दौरा रद्द कर दिया.
10 साल पहले हुई इस घटना के लिए मरियम औरंगजेब इमरान खान के कत्ल तक को जायज़ ठहरा रही हैं. हालांकि इमरान खुद कई बार अपनी हत्या की आशंका जता चुके हैं. लेकिन इस बार तो उनके विरोधियों का मंसूबा खुलकर सामने आ गया है.
पाकिस्तान में जनता के चहेते बने इमरान
पाकिस्तान में 8 फरवरी को नेशनल असेंबली की 265 सीटों पर चुनाव हुए थे.. लेकिन चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला, जिसके बाद PML-N और PPP गठबंधन सरकार बनाने में जुट गईं हालांकि 10 दिन बीत जाने के बाद भी सरकार नहीं बन पाई है.
पाकिस्तान में मुख्य रूप से 3 पार्टियों के बीच मुकाबला है. इनमें नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज, इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ और बिलावल भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी शामिल हैं. 9 फरवरी को नतीजे घोषित होने थे लेकिन हुए 13 फरवरी को और जो नतीजे आए उसे इमरान खान की पार्टी समेत तमाम राजनीतिक दलों ने मानने से इनकार कर दिया. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक इमरान समर्थित उम्मीदवार 93 सीटें जीतने में कामयाब रहे. दूसरे नंबर पर नवाज़ की मुस्लिम लीग रही जिसने 75 सीटें जीती. जबकि तीसरे नंबर पर 54 सीटें जीतने वाली बिलावल की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी रही.
विरोधियों का हुआ बंटाधार
अगर इमरान के सभी आज़ाद उम्मीदवारों को मिला दिया जाए तो सबसे बड़ी पार्टी बन जाएगी. मतलब ये कि बिना पार्टी और चुनाव चिन्ह के इमरान खान ने विरोधियों का बंटाधार कर दिया है और तमाम ज़ियादतियों के बावजूद वो आवाम के दिल में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे. शायद यही वजह जो उनके विरोध इमरान को रास्ते से हटाने की साज़िश रच रहे हैं.
धांधली का आरोप लगाकर इमरान खान के समर्थक सड़क पर उतरे हुए हैं. इस विरोध प्रदर्शन में इमरान खान को दूसरे राजनीतिक दलों के अलावा मुस्लिम संगठनों भी साथ मिल रहा है तो कुछ अधिकारी भी नतीजों में धांधली की बात कबूल कर इस्तीफा दे रहे हैं. ये सभी बातें नवाज़ की पार्टी और मरियम औरंगजेब के गले नहीं उतर रही हैं. शायद इमरान की हत्या की साज़िश की एक वजह ये भी हो सकती है. लेकिन सवाल अब भी वही है कि क्या इमरान खान की हत्या से धांधली के आरोप खत्म हो जाएंगे? क्योंकि रावलपिंडी के कमिश्नर ने चुनाव में धांधली को लेकर बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने कबूल किया है कि जीतने वाले निर्दलीय उम्मीदवारों को हरवाया गया. इस धांधली में मुख्य चुनाव आयुक्त और सुप्रीम कोर्ट के एक जज भी शामिल थे.
क्या साजिश की हो गई शुरुआत!
अब अगर इमरान की हत्या की साज़िश सच भी साबित हो जाए तो क्या चुनाव आयोग इन आरोपों से अपना पीछा छुड़ा सकता है. अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या PML-N को इमरान समर्थकों की तरफ से उठाई जा रही विरोध की आवाज चुभ रही है. क्या उन्हें जेल में बंद इमरान की लोकप्रियता कांटा नजर आ रहा है और क्या नई सरकार इस कांटे को निकालने की साज़िश में अभी से जुट गई है. कहीं मरियम औरंगजेब का बयान उसी साजिश की शुरुआत तो नहीं.