Pakistan: ‘अब बर्दाश्त नहीं किया जा सकता’- पाकिस्तान में हिंदू और ईसाई महिलाओं पर जुल्म देख बोले UN एक्सपर्ट्स
Advertisement
trendingNow12202168

Pakistan: ‘अब बर्दाश्त नहीं किया जा सकता’- पाकिस्तान में हिंदू और ईसाई महिलाओं पर जुल्म देख बोले UN एक्सपर्ट्स

Pakistan Minorities: यूएन एक्सपर्ट्स ने चिंता जाहिर की कि धार्मिक अल्पसंख्यक लड़कियों की जबरन शादी और धर्म परिवर्तन को अदालतों द्वारा मान्य किया जाता है. 

Pakistan: ‘अब बर्दाश्त नहीं किया जा सकता’- पाकिस्तान में हिंदू और ईसाई महिलाओं पर जुल्म देख बोले UN एक्सपर्ट्स

Pakistan Minority Women: संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने हिंदू और ईसाई महिलाओं को पर्याप्त सुरक्षा नहीं दिए जाने को लेकर पाकिस्तान की आलोचना की. विशेषज्ञों ने कहा कि देश को संबंधित अंतरराष्ट्रीय संधि के तहत अपने दायित्वों को पूरा करने की जरूरत है.

यूएन एक्सपर्ट्स ने ने कहा, ‘ईसाई और हिंदू लड़कियों को जबरन धर्म परिवर्तन, किडनैपिंग, तस्करी, बाल विवाह, जबरन शादी, घरेलू दासता और यौन हिंसा का सामना करना पड़ता है.'

यूएन मानवाधिकार के हाई कमिश्नर के बयान में एक्सपर्ट्स के हवाले से कहा गया है कि धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित महिलाओं और लड़कियों के साथ इस तरह के व्यवहार को और अपराधों को छूट देना अब बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है और न सही ठहराया जा सकता है.

'अदालतपुलिस अपराधियों के साथ'
यूएन एक्सपर्ट्स ने चिंता जाहिर की कि धार्मिक अल्पसंख्यक लड़कियों की जबरन शादी और धर्म परिवर्तन को अदालतों द्वारा मान्य किया जाता है. अक्सर पीड़ितों को उनके माता-पिता को वापस करने की अनुमति देने के बजाय उनके किडनैपर के साथ रखने को उचित ठहराने के लिए धार्मिक कानून का सहारा लिया जाता है. उन्होंने कहा, 'अपराधी अक्सर जवाबदेही से बच जाते हैं, पुलिस 'प्रेम विवाह' की आड़ में अपराधों को खारिज कर देती है.'

और क्या कहा यूएन एक्सपर्ट्स ने?
विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि बाल, शीघ्र और जबरन विवाह को 'धार्मिक या सांस्कृतिक आधार पर उचित नहीं ठहराया जा सकता'. उन्होंने रेखांकित किया कि, अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत, सहमति अप्रासंगिक है अगर पीड़ित की 18 वर्ष से कम है.'

बयान में पाकिस्तान से अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने, बच्चों, कम उम्र में और जबरन शादी, अपहरण और अल्पसंख्यक लड़कियों की तस्करी के खिलाफ मौजूदा कानूनी सुरक्षा लागू करने और देश के अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्वों को बनाए रखने की बात कही गई.

(इनपुट - एजेंसी)

Trending news