Russia-Pakistan: पाकिस्तान को पुतिन ने दी ऐसी छूट, दुनिया के बाकी देश देखते रह गए मुंह
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Russia-Pakistan: पाकिस्तान को पुतिन ने दी ऐसी छूट, दुनिया के बाकी देश देखते रह गए मुंह

Pakistan-Russia Oil Deal: द न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, लेकिन सरकार इंटरनेशनल मार्केट से कच्चे तेल की खरीद के लिए कुछ गुंजाइश रखना भी पसंद करेगी क्योंकि कच्चे तेल की कीमत लंबी अवधि के समझौतों के तहत दस्तखत हुई लागत को भी कम कर सकती है.

Russia-Pakistan: पाकिस्तान को पुतिन ने दी ऐसी छूट, दुनिया के बाकी देश देखते रह गए मुंह

Russian Oil Price: पाकिस्तान भी अब रूस से कच्चा तेल खरीदने वाला है. जून में 750,000 बैरल कच्चा तेल पाकिस्तान पहुंचेगा. मुमकिन है कि पाकिस्तान इसके लिए चीनी युआन में भुगतान करेगा. द न्यूज ने शुक्रवार को एक अफसर के हवाले से बताया कि पाकिस्तान कच्चे तेल की कीमत चीनी मुद्रा में चुकाएगा और बैंक ऑफ चाइना लेनदेन के लिए अपनी भूमिका निभा सकता है.

हालांकि, अधिकारी ने साफ शब्दों में भुगतान के तरीके और सटीक छूट का ब्योरा देने से इनकार कर दिया.उन्होंने तर्क दिया कि यह देश के हित में नहीं है और विक्रेता भी मॉस्को से सीधे रूसी तेल खरीदने वाले बाकी देशों की टिप्पणी के डर से इसे सार्वजनिक नहीं करना चाहता. उन्होंने कहा, रूस टेस्ट कार्गो में यूआरएएल क्रूड मुहैया कराएगा और मुमकिन है कि पाकिस्तान रिफाइनरी लिमिटेड (पीआरएल) को रूसी क्रूड को रिफाइन करने का काम दिया जाएगा.

रूसी कच्चे तेल का बिजनेस एनालिसिस पाकिस्तान की इकोनॉमी के पक्ष में किया गया है, लेकिन रूसी तेल को साफ करने के बाद इसकी और जांच की जाएगी. रूसी तेल की शिपिंग लागत भी कहीं-कहीं 15 डॉलर प्रति बैरल आंकी गई है, लेकिन इसे पाकिस्तान के बंदरगाह पर पहुंचने के बाद अंतिम रूप दिया जाएगा.

द न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, बाकी सूत्रों ने माना कि पाकिस्तान ने प्रति बैरल कीमत 50-52 डॉलर के करीब तय की है, जबकि जी7 देशों की कैप कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल है. पाकिस्तानी रिफाइनरियां एडीएनओसी और सऊदी अरामको लॉन्ग-टर्म समझौतों के तहत 80 प्रतिशत कच्चे तेल का आयात करती रही हैं और बाकी 20 प्रतिशत में कुछ हद तक लॉन्ग-टर्म समझौते के तहत रूसी तेल खरीदने की गुंजाइश है.

द न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, लेकिन सरकार इंटरनेशनल मार्केट से कच्चे तेल की खरीद के लिए कुछ गुंजाइश रखना भी पसंद करेगी क्योंकि कच्चे तेल की कीमत लंबी अवधि के समझौतों के तहत दस्तखत हुई लागत को भी कम कर सकती है.

(आईएएनएस इनपुट के साथ)

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