अफगानिस्तान से अपने नागरिकों को निकालने के बीच व्हाइट हाउस (White House) ने कहा है कि तालिबान ने वादा किया था कि नागरिक काबुल हवाई अड्डे (Kabul AirPort) तक सुरक्षित यात्रा कर सकते हैं. अमेरिकी सेना (US Army) ने वहां से भाग रहे अमेरिकियों और अफगानों को निकालने के लिए एयरलिफ्ट प्रक्रिया को आगे बढ़ा दिया है. व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने बताया कि अमेरिकी सेना ने अब तक लगभग 3,200 लोगों को निकाला है, जिसमें से अकेले मंगलवार को 1,100 लोग निकाले गए. इस बीच काबुल में जीवन एक नए सामान्य की ओर लौट रहा है, लोग अब बहुत सतर्क हैं और इस चिंता में हैं कि अब तालिबानियों के अधीन उनका जीवन कैसा होगा.
पिछले 20 सालों से खुली हवा में सांस ले रहे अफगानी (Afghans) फिर से तालिबानी शासन की गिरफ्त में आ गए हैं. लिहाजा अब वे अपने जीने का तरीका बदल रहे हैं. भले ही तालिबानियों ने इसके लिए सीधे आदेश नहीं दिए हैं लेकिन अफगानियों को अपनी जान की सुरक्षा के लिए ऐसा करना सही लग रहा है. 1996 से 2001 के बीच सत्ता में अपने पहले कार्यकाल के दौरान तालिबानियों ने अफगानियों पर जमकर कहर ढाए थे. उनके अत्याचारों की याद आज भी रूह कंपा देती है.
काबुल के सभी सरकारी दफ्तरों पर तालिबानी लड़ाके कब्जा जमा चुके हैं. पहले के तालिबानी शासन में लोगों को सार्वजनिक तौर पर कोड़े मारना, उनके हाथ काट देना, चौराहों पर फांसी देने जैसे अत्याचार होते थे. लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध था, उन्हें उन क्षेत्रों में काम करने की इजाजत नहीं थी, जहां वे पुरुषों के संपर्क में आएं. उस समय को याद करके लोग बेहद खौफ में हैं. एक दुकानदार ने बताया, 'तालिबानियों के छोटे काफिले में शहर में गश्त कर रहे हैं. वे लोगों को अभी परेशान नहीं कर रहे, फिर भी लोग बहुत डरे हुए हैं.'
स्टेट टीवी पर अब ज्यादातर समय मौलवी इशाक निजामी के पहले रिकॉर्ड किए गए इस्लामी कार्यक्रम या घोषणाएं दिखाई जा रही हैं. निजामी को शरिया की आवाज वाले व्यक्ति के तौर पर पेश किया गया है. वहीं अपने विभिन्न कार्यक्रमों के लिए लोकप्रिय रहा निजी चैनल टोलो ने अपने अधिकांश कार्यक्रम बंद कर दिए हैं और तुर्क साम्राज्य पर बने एक तुर्की ड्रामा को फिर से दिखा रहा है. हालांकि हाल ही में उन्होंने एक इंटरव्यू दिखाया था जो कि एक महिला प्रजेंटेटर ने तालिबानी प्रवक्ता का लिया था.
तालिबान ने कहा है कि उन्होंने अफगानी सरकार के लोगों को माफ कर दिया है और उन्हें अपने काम पर लौटने को कहा है. इसके बाद भी सड़कें सूनी हैं. तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा है कि भविष्य में महिलाओं को किसी तरह का खतरा नहीं होगा. उन्हें पढ़ने की भी इजाजत होगी. इसके साथ ही कहा कि वे इस्लामी सिद्धांतों के आधार पर शासन करेंगे. वहीं इस बीच कुछ महिलाओं ने अपने रसोइए, साफ-सफाई आदि के कामों पर वापस जाने दिए जाने की मांग की है.
इस बीच अफगानिस्तान से रिहा किए गए एक कैदी का स्वागत करने के लिए मंगलवार (17 अगस्त) को पाकिस्तानी सीमावर्ती शहर चमन में कई लोग इकट्ठा हुए और उन्होंने तालिबान के झंडे लहराए. तालिबान ने अफगानिस्तान में जेल से 780 खूंखार कैदियों को रिहा किया है, जिनमें कुछ पाकिस्तान के हैं.
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