पहले इस देश में भी आम देशों की तरह महिलाओं (Women) को बाहर और इधर-उधर, बाजारों में खरीदारी करते, यात्रा करते देखा जा सकता था. वे पढ़ती भी थीं और काम भी करती थीं.
अब बाजारों, सड़कों से महिलाएं नदारद हैं. वे अपने घरों में कैद हैं. तालिबानियों ने बिना पुरुष रिश्तेदारों के उनके घर से बाहर निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया है. हालिया खबरों के मुताबिक महिलाओं तालिबानियों ने उन्हें नौकरी छोड़ने पर मजबूर कर दिया. इतना ही नहीं तालिबानी लड़ाकों ने दक्षिणी शहर कंधार में अजीजी बैंक के दफ्तर में घुस कर वहां काम करने वाली 9 महिलाओं को तत्काल वहां से जाने के लिए कह दिया था.
पहले यहां के शहर भी जिंदगी से भरपूर थे. खुशियों भरा माहौल था, खास मौकों पर बाजारों में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती थी.
अब तो यहां दहशत का माहौल है. रुक-रुक कर आती गोलियों की आवाजें ही यहां का सन्नाटा तोड़ती हैं. लोग या तो भाग रहे हैं या डर के कारण घरों में दुबके हैं.
पहले हवाई अड्डे केवल यात्रा शुरू करने और खत्म करने की ही जगह थे. लोग खुशी-खुशी ट्रैवल करते थे.
अफगानिस्तान में अब हवाई अड्डे ही लोगों के लिए आखिरी आशा की किरण हैं. वे यहां पर इन इरादों से पड़ाव डाले हुए हैं कि किसी तरह उन्हें इस देश से निकलने का मौका मिले. इसके लिए वे हवाई जहाजों से लटक कर यात्रा करने को भी तैयार हैं, फिर चाहे उन्हें अपनी जान से हाथ क्यों न धोना पड़े.
बाकी देशों की तरह अफगानिस्तान की दुकानें भी आकर्षक रंगीन पोस्टरों और पोस्टरों से सजी रहती थीं और ग्राहकों को आकर्षित करती थीं.
तालिबानी शासन आते ही महिलाओं की तस्वीरों वाले विज्ञापन और पोस्टरों को हटाया जा रहा है. उन पर कलर करके उन्हें छिपाया जा रहा है. ताकि इन पोस्टरों के कारण दुकानदारों को तालिबानियों का कहर न झेलना पड़े.
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