साउथ कोरिया के 23 फीसदी मर्द इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के शिकार हैं, जिसकी वजह से वियाग्रा जैसी शक्तिवर्धक दवाइयों की डिमांड काफी बढ़ी है. इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के शिकार अधिकतर मर्दों की औसतन उम्र 30-39 साल है.
सियोल: दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल के सीवेज सिस्टम में वियाग्रा में पाए जाने वाले रसायनों की मात्रा काफी बढ़ी है, जिससे प्रशासन परेशान है. रिपोर्ट के मुताबिक सीवेज सिस्टम में फॉस्फोडिएस्टरेज -5 इनहिबिटर (पीडीई -51) की मात्रा वीकेंड पर काफी बढ़ जाती है.
विशेषज्ञों ने दक्षिण कोरियाई राजधानी में दो सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) के साथ-साथ प्राप्त जल निकायों के प्रभाव और प्रवाह में रसायनों की जांच की और पाया कि सीवेज सिस्टम में सप्ताहांत में बढ़ते वायग्रा अपशिष्ट का उपचार नहीं हो पा रहा है.
शोधकर्ताओं ने इस महीने की शुरुआत में साइंटिफिक रिपोर्ट्स द्वारा किए गए शोध पत्र में कहा, 'हमने अनुमान लगाया कि पीडीई -5i की खपत कम नाइटलाइफ स्पॉट वाले क्षेत्रों की तुलना में 31 प्रतिशत अधिक थी. वहीं, वायग्रा के अपशिष्ट ज्यादा उन इलाकों में मिले, वहां नाइटक्लब, बार और रेड-लाइट एरिया ज्यादा हैं.
यही नहीं, अध्ययन से पता चलता है कि 30 से 39 वर्ष की आयु के लगभग 23 प्रतिशत दक्षिण कोरियाई पुरुष इरेक्टाइल डिस्फंक्शन से पीड़ित हैं, और शीर्ष 20 कोरियाई दवा कंपनियों की कुल PDE-5i बिक्री 2019 में 133 मिलियन डॉलर तक पहुंच गई.
साल 2025 तक दुनिया के करीब 32.2 करोड़ लोग इरेक्टाइल डिस्फंक्शन से पीड़ित हो सकते हैं. एशिया में साल 1995 में करीब 8.7 करोड़ लोग इस विकार से पीड़ित थे. इसकी मुख्य वजह लोगों की बढ़ती उम्र है.
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