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वारसा: रूस-यूक्रेन के बीच जंग का आज 10वां दिन (Russia-Ukraine War 10th day) है. यूक्रेन (Ukraine) पर रूस (Russia) का हमला जारी है. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के आदेश पर रूसी परमाणु निवारण फोर्स (Nuclear Deterrence Force) अलर्ट मोड पर है.
पिछले कई दशकों से ऐसा नहीं हुआ है, जब किसी देश ने खुलेआम परमाणु हमले की धमकी दी हो, लेकिन यूक्रेन पर हमला करने वाले पुतिन ने ऐसा किया है. पुतिन के इरादों से साफ है कि यूक्रेन में चल रही जंग परमाणु युद्ध (Nuclear War) में बदल सकती है. पुतिन की इस धमकी के बीच यूरोप में डर और दहशत देखी जा रही है.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक पुतिन की धमकी की वजह से यूरोप खासकर सेंट्रल यूरोप में चिंता की लहर है. वहीं पोलैंड (Poland) से लेकर बेलारूस (Belarus) और पूर्व सोवियत यूनियन के विघटन के बाद बने स्वतंत्र देशों तक इस लड़ाई का खौफ है. न्यूक्लियर अटैक की दहशत के बीच लोग आयोडीन की गोलियां खरीदने के लिए दौड़ रहे हैं. उनका मानना है कि परमाणु हमले हुआ तो यही आयोडीन, रेडिएशन से उनका बचाव करेगा. यही वजह है कि आयोडीन पिल्स से लेकर सिरप (Syrup) तक की डिमांड इतनी बढ़ गई है कि यूरोप के कई देशों में उसकी शॉर्टेज यानी किल्लत हो गई है.
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वहीं फार्मेसी यूनियन के अध्यक्ष निकोले कोस्तोव के मुताबिक, 'पिछले छह दिनों में बुल्गारिया की फार्मेसी ने उतना आयोडीन बेचा है जितना पहले साल भर में भी नहीं बिकता था. कई फार्मेसी तो पहले से ही आउट ऑफ स्टॉक हैं. बढ़ती मांग के बीच हमने नई खेप के लिए ऑर्डर दिया है. लेकिन मुझे डर है कि वो स्टॉक भी बहुत जल्द खत्म हो जाएगा. लोग इसे स्टोर कर रहे हैं.' वहीं चेक रिपब्लिक में डॉ मैक्स फार्मेसी के प्रतिनिधि मिरोस्लावा स्टेनकोवा ने कहा यह थोड़ा अजीब सा लगता है कि लोग इसे खरीदने के लिए पागल हो रहे हैं. यही वजह है कि इसकी मांग लगातार बढ़ती ही जा रही है.
आयोडीन को गोलियों या सिरप के रूप में लिया जाता है. रेडिएशन (रेडियोधर्मी जोखिम) के खतरे के बीच इसे मानव शरीर को थायराइड और कैंसर जैसी बीमारियों से बचाने का कारगर उपाय माना जाता है. साल 2011 में जापानी अधिकारियों ने सिफारिश की थी कि क्षतिग्रस्त फुकुशिमा परमाणु ऊर्जा संयंत्र की साइट के आसपास रहने वाले लोग आयोडीन लें. ऐसी मिसालों की वजह से कई देशों में स्टॉक खत्म हो चुका है.
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इस बीच सरकारी अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि मौजूदा हालातों में आयोडीन के लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है. क्योंकि परमाणु युद्ध की स्थिति में ये उपाय कारगर नहीं होगा. वहीं चेक स्टेट ऑफिस फॉर न्यूक्लियर सेफ्टी के चीफ डाना द्रबोवा के मुताबिक, 'लोग आयोडीन की गोलियों के बारे में पूछ रहे हैं लेकिन भगवान न करे कि परमाणु हथियारों का इस्तेमाल हो क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो आयोडीन भी किसी को नहीं बचा पाएगा.'
दरअसल पिछले हफ्ते खबर आई थी कि रूसी सेना ने चेरनोबिल परमाणु संयंत्र पर नियंत्रण हासिल कर लिया है. इसके बाद वहां का रेडिएशन लेवल बढ़ने का अलर्ट जारी हुआ था. वहीं 1986 में हुई एक दुर्घटना ने यूक्रेन के एक बड़े क्षेत्र को रेडिएशन (Radiation) से परेशान किया था. उस दौर का हवाला देते हुए लोग कह रहे हैं कि वहां के लोगों को उस आपदा से बचाने के लिए आयोडीन दिया गया था.