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नई दिल्लीः दुनिया भर के करोड़ों लोग पहले ही कोरोना वायरस (Coronavirus) की मार झेल रहे हैं और वहीं लंदन में नए तरह का वायरस तेजी से अपने पैर पसार रहा है. नए स्ट्रेन ने लोगों में तनाव और डर पैदा कर दिया है. लिहाजा नए वायरस की रोकथाम के लिए दुनिया के तमाम देशों की यात्रा पर अंकुश लगा दिया गया है. इसी बीच एक वैज्ञानिक ने निकट भविष्य में कई और तरह के वायरस के उभरने की चेतावनी दी है.
अफ्रीका में फैल रहा नया वायरस
इबोला (Ebola) बीमारी की खोज करने वाले वैज्ञानिक ने बताया कि आने वाले दिनों ऐसे वायरस आने वाले हैं जो कोविड-19 से भी अधिक घातक हो सकते हैं. प्रोफेसर. डॉ जीन-जैक्स मुएम्बे ताम्फुम, जिन्होंने साल 1976 में इबोला की खोज में मदद की थी. उनका दावा है कि भविष्य में अज्ञात संख्या में वायरस आने वाले हैं जिनमें से कुछ तो मौजूदा COVID-19 से भी अधिक खतरनाक हो सकते हैं. इन वायरस की शुरुआत अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावनों (tropical rainforests) से शुरू हो चुकी है. CNN से बातचीत में ताम्फुम ने चेतावनी दी कि हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं, जहां नए रोगजनक (Pathogens) सामने आएंगे. उन्होंने कहा कि अफ्रीका के वर्षावनों से मानवता के लिए बेहद खतरनाक वायरस अज्ञात संख्या में विकसित हो रहे हैं.
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इबोला ने मचाई थी तबाही
इबोला की जब खोज हुई थी तब डॉ जीन इस बीमारी से पीड़ित लोगों के ब्लड सैंपल लेने के लिए फ्रंट लाइन में थे. इबोला एक बहुत ही घातक बीमारी है जो रक्तस्राव (haemorrhages) का कारण बनती है और इसकी दर बहुत अधिक होती है. इसके प्रसार की शुरुआत में ही 88 फीसदी संक्रमित मरीजों की मौत हो गई थी. यहां तक कि जिस अस्पताल में इन मरीजों का इलाज चल रहा था, उसके 80 प्रतिशत स्टाफ की भी जान चली गई थी. यम्बुकु मिशन अस्पताल (Yambuku Mission Hospital) में इबोला की खोज हुई थी.
बता दें, यूरोप और अमेरिका में सैंपल ट्रांसफर करने बाद वैज्ञानिकों ने एक कृमि आकार (worm-shaped virus) के वायरस की खोज की थी जो इबोला के नाम से जाना गया. इबोला वायरस के बारे में काफी लोग जानते हैं लेकिन ये नहीं जानते इसका नाम इबोला क्यों रखा गया. जानकारी के लिए बता दें जहां वैज्ञानिकों ने इस वायरस की खोज की थी उस क्षेत्र के नजदीक इबोला नाम की नदी थी जिसे जैरे (Zaire) के नाम से भी जाना जाता है. बाद में वैज्ञानिकों ने वायरस का नाम भी इबोला रख दिया.
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