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नई दिल्ली. Facebook Whatsapp Down: पूरी दुनिया में सोमवार को सोशल मीडिया (Social Media) पर ब्रेक लग गया था. भारतीय समय के अनुसार रात 9 बज कर 11 मिनट पर दुनिया के 300 करोड़ लोगों की जिंदगियां उस समय एक दम से ठहर गईं, जब फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप ने अचानक काम करना बंद कर दिया. करीब 6 घंटे तक लोग ना तो फेसबुक और इंस्टाग्राम चला पाए और ना ही व्हाट्सऐप पर किसी को कोई मैसेज भेज पाए. भारत में फेसबुक के 34 करोड़, इंस्टाग्राम के 17 करोड़ और व्हाट्सऐप के 40 करोड़ यूजर्स हैं और ये सभी यूजर्स घबराहट और बेचैनी का शिकार हो गए. हालांकि कुछ देर के बाद लोगों ने इस सच को स्वीकार कर लिया और सुबह तक ये बेचैनी और घबराहट कुछ हद तक कम हो गई.
इस समस्या की जड़ में थी फेसबुक के Border Gateway Protocol में आई एक तकनीकि खामी. अब क्योंकि फेसबुक ही इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप की मालिक कंपनी है. इसलिए इस तकनीकी खामी के बाद इन तीनों सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने एक साथ काम करना बंद कर दिया. Border Gateway Protocol यानी BGP ही आपको इंटरनेट पर उस वेबसाइट या लिंक तक पहुंचाता है. जहां आप पहुंचना चाहते हैं. ठीक वैसे ही जैसे आप अपने मोबाइल फोन पर मैप और जीपीएस का इस्तेमाल करके एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचते हैं. आप इसकी तुलना एयर ट्रैफिक कंट्रोल से भी कर सकते हैं. जिसका काम होता है विमानों को सही मार्ग पर उड़ान भरने का निर्देश देना.
आप कह सकते हैं कि जब Border Gateway Protocol ने काम करना बंद किया तो दुनिया भर में फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप का ट्रैफिक रास्ते से भटक गया और जब जाम की स्थिति पैदा हो गई तो फेसबुक के सर्वर्स ने नो एंट्री का बोर्ड लगा दिया. यानी दुनिया भर के लोग जब इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को एक्सेस करने की कोशिश कर रहे थे तो उन्हें एरर मैसेज दिखाई देने लगा. इसके बाद फेसबुक के इंजीनियर्स ने करीब 6 घंटे की मेहनत के बाद ये ट्रैफिक जाम खुलवाया और इन तीनों सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने काम करना शुरू कर दिया, लेकिन इस घटना ने ये भी साफ कर दिया कि फेसबुक जैसी दुनिया की बड़ी-बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियां भी कभी भी फेल हो सकती हैं.
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हालांकि फेसबुक ने Zee News को दिए अपने आधिकारिक बयान में BGP में आई समस्या का जिक्र नहीं किया है. फेसबुक ने बताया है कि उसके Routers के Configurations में बदलाव किया गया था, जिस वजह से ये समस्या पैदा हुई. फेसबुक ने इस दौरान किसी भी प्रकार के डाटा लीक से भी इनकार किया है. लेकिन ऐसा लगता नहीं है कि ये समस्या इतनी साधारण थी, क्योंकि वर्ष 2008 के बाद पहली बार ऐसा हुआ, जब फेसबुक की सेवाएं इतनी बुरी तरह से और इतनी देर के लिए प्रभावित हुईं. इस समस्या की वजह से सिर्फ दुनिया के 300 करोड़ लोग ही परेशान नहीं हुए, बल्कि फेसबुक में काम करने वाले कर्मचारियों को भी समझ नहीं आ रहा था कि वो अब क्या करें?
फेसबुक का हेडक्वार्टर अमेरिका के कैलिफोर्निया के मेनलो पार्क (Menlo Park) में है. जब ये समस्या सामने आई तो वहां लगे बायो बायो मैट्रिक्स डिवाइस (Bio Metrics Devices) ने भी काम करना बंद कर दिया और फेसबुक के बहुत सारे कर्मचारी अपने ऑफिस में ही नहीं घुस पाए. इतना ही नहीं फेसबुक के ऑफिस में इंटरनेट के माध्यम से होने वाला इंटरनेशनल कम्युनिकेशन भी प्रभावित हो गया. यानी कर्मचारी फेसबुक के आतंरिक संचार माध्यम का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे थे.
इस समस्या को दूर करने के लिए फेसबुक ने अपने इंजीनियर्स की एक टीम को कैलिफोर्निया में वहां भेजा, जहां फेसबुक के सर्वर्स लगे हुए हैं. इन इंजीनियर्स ने मैनुअल तरीके से सर्वर्स को रिसेट किया. कई लोग तो मजाक में कह रहे हैं कि फेसबुक को पहले ही अपने सिस्टम को रिस्टार्ट और रिसेट करके देख लेना चाहिए था. ठीक वैसे ही जैसे आम तौर पर दफ्तरों में जब कंप्यूटर्स में कोई समस्या आती है तो अक्सर आईटी डिपार्टमेंट के लोग कहते हैं कि कंप्यूटर को रिस्टार्ट करके देख लो.
जब 6 घंटे तक फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप ने काम करना बंद किया तो फेसबुक के शेयर गिर गए और कंपनी को 3 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो गया. इस दौरान फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग (Mark Zukerberg) की संपत्ति भी 45 हजार करोड़ रुपये कम हो गई. इसके अलावा इस दौरान फेसबुक को प्रति मिनट 1 करोड़ 20 लाख रुपये के विज्ञापनों का भी नुकसान हुआ. बाजार मूल्य के हिसाब से फेसबुक दुनिया की छठी सबसे बड़ी कंपनी है, जिसकी कुल कीमत 65 लाख करोड़ रुपये है. जो दुनिया के 173 देशों की जीडीपी से भी ज्यादा है. अगर फेसबुक एक देश होता तो वो जीडीपी के मामले में दुनिया में 16वें नंबर पर होता. तुर्की, सऊदी अरब, स्वीडन और स्विटजरलैंड जैसे देशों की अर्थव्यवस्था भी फेसबुक की कुल कीमत से कम है.
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यूजर्स की संख्या के मामले में फेसबुक (Facebook) दुनिया में पहले नंबर पर है, जिनकी संख्या 300 करोड़ से ज्यादा है. दूसरे नंबर पर यूट्यूब (Youtube) है, जिसका इस्तेमाल 220 करोड़ लोग करते हैं, लेकिन कल हुई घटना ने बता दिया कि फेसबुक जैसी कंपनियां उतनी ताकतवर नहीं है, जितना इन आंकड़ों को देखकर लगता है.
हालांकि व्हाट्सऐप के डाउन होने का फायदा कुछ दूसरी कंपनियों को जरूर मिला. उदाहरण के लिए सिग्नल (Signal) नाम के मैसेजिंग ऐप की इस दौरान चांदी हो गई, क्योंकि उसे एक रात में ही लाखों नए यूजर्स मिल गए. हालांकि यहां भी यूजर्स का ट्रैफिक इतना ज्यादा हो गया था कि लोग ठीक से इस ऐप का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे थे. इसी तरह टेलीग्राम (Telegram) को भी लाखों नए यूजर्स मिले, लेकिन ट्रैफिक का दबाव ज्यादा होने की वजह ये ऐप भी डाउन हो गया. हैरानी की बात ये है कि फैसबुक के फेल होने की चर्चा सबसे ज्यादा ट्विटर पर हो रही थी, लेकिन ज्यादा ट्रैफिक की वजह से दुनिया के कई इलाकों में ट्विटर (Twitter) ने भी कुछ देर के लिए काम करना बंद कर दिया.
इससे समझ आता है कि दुनिया की बड़ी से बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनी इतना दबाव झेलने के लिए नहीं बनी है. यानी जो फेसबुक (Facebook) के साथ हुआ वो कल को किसी भी टेक्नोलॉजी कंपनी के साथ हो सकता है और जरूरी नहीं है कि इसके लिए कोई Technical Glitch या तकनीकी खामी ही जिम्मेदार हो. ये प्राकृतिक कारणों से भी हो सकता है. कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी (University Of California) की एक रिपोर्ट के मुताबिक सूर्य की सतह पर उठने वाले तूफानों की वजह से आने वाले दशक में कभी भी दुनिया भर में इंटरनेट बंद हो सकता है और ये स्थिति एक दो दिन नहीं बल्कि कई महीनों तक कायम रह सकती है.
साल 1995 तक दुनिया की सिर्फ 1 प्रतिशत आबादी इंटरनेट का इस्तेमाल किया करती थी. आज दुनिया के 460 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. ये दुनिया की कुल आबादी के 50 प्रतिशत से भी ज्यादा है. सोचिए अगर एक कुछ समय के लिए इंटरनेट बंद हो गया तो दुनिया की आधी आबादी का क्या होगा. बहुत सारे लोगों के काम धंधे चौपट हो जाएंगे. जीपीएस के अभाव में सड़कों पर ट्रैफिस जाम लग जाएगा, डिजिटल बैंकिंग सेवाएं और डिजिटल स्वास्थ्य सेवाएं बंद हो जाएंगी. एयरपोर्ट्स से विमान उड़ान नहीं भर पाएंगे, लोग इंटरनेट पर कोई जानकारी सर्च नहीं कर पाएंगे, करोड़ों स्मार्टफोन सिर्फ एक खिलौना बन जाएंगे. सेनाओं की संचार व्यवस्था ठप हो जाएगी और यहां तक कि नेताओं को चुनाव जीतने में भी समस्या होगी. इसके अलावा भी बहुत कुछ ऐसा होगा, जिसकी अभी कल्पना भी नहीं की जा सकती है. यानी इंटरनेट बंद होने की स्थिति में पूरी दुनिया में त्राहिमाम मच जाएगा.
इजरायल के लेखक युवल नोआ हरारी कहते हैं कि जब आज के दौर में फेसबुक (Facebook) जैसी कंपनियां चुनावों के नतीजों को प्रभावित कर सकती है और वोटर्स के मन में ये बात डाल सकती है कि उन्हें किस नेता को वोट देना है. तो आने वाले दिनों में टेक्नोलॉजी कंपनियां आपके मस्तिष्क को भी हैक कर सकती है. और आपके जीवन के हर फैसले को प्रभावित कर सकती है. फेसबुक पहले से इसी दिशा में काम कर रही है.
हाल ही में अमेरिकी अखबार द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि फेसबुक को ये बात अच्छी तरह पता है कि 18 साल से कम उम्र की लड़कियों के मन पर इंस्टाग्राम का बुरा प्रभाव पड़ता है, क्योंकि वो इस प्लेटफॉर्म पर आने के बाद अपनी शारिरक बनावट और चेहरे को लेकर ज्यादा सजग हो जाती है और इससे इन लड़कियों का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है. इसे लेकर इंस्टाग्राम ने एक गोपनीय सर्वे किया था, जिसमें 32 प्रतिशत टीनएजर्स लड़कियों ने माना था कि उन्हें अपनी शारीरिक बनावट पसंद नहीं है. कई लड़कियों ने तो ये भी माना था कि उन्हें इंस्टाग्राम पर पोस्ट की गई अपनी तस्वीर पसंद नहीं आती और उनका मन करता है कि वो आत्महत्या कर लें. इसके बावजूद इंस्टाग्राम 13 साल और उससे कम उम्र के बच्चों के लिए भी एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लाना चाहती थी. हालांकि विवाद के बाद इस योजना को रद्द कर दिया गया.
फेसबुक (Facebook) को हर साल विज्ञापनों से 6 लाख 30 हजार करोड़ रुपये की कमाई होती है. हाल ही में फेसबुक की एक पूर्व कर्मचारी ने एक अमेरिकी न्यूज चैनल पर इस बात का खुलासा किया था कि फेसबुक का Algorithm समाज के अलग-अलग वर्गों के बीच खाई पैदा कर रहा है. फेसबुक की वजह से लोग एक दूसरे से नफरत करने लगते हैं और कई बार तो इससे दंगों जैसी घटनाएं भी हो जाती है. फेसबुक की इस पूर्व कर्मचारी के मुताबिक कंपनी को ये बात अच्छी तरह से पता भी है और फेसबुक के पास वो सिस्टम भी है, जिसकी मदद से नफरत भरे कंटेंट को फैलने से रोका जा सकता है. पिछले साल अमेरिका में हुए चुनाव के दौरान फेसबुक ने इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया भी था, लेकिन इससे फेसबुक के विज्ञापन कम हो गए और इसीलिए चुनाव खत्म होते ही इस सिस्टम को बंद कर दिया गया.
भारत समेत पूरी दुनिया में आज जहां भी हिंसा भड़कती है, दंगे होते हैं, लोग एक दूसरे के खिलाफ नफरत फैलाते हैं या सरकारों के खिलाफ प्रदर्शन होते हैं. उनमें से ज्यादातर की शुरुआत फेसबुक (Facebook) और व्हाट्सऐप (Whatsapp) जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से होती है. यानी ये सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म दोधारी तलवार की तरह है जो आप तक जानकारी भी पहुंचाते हैं, लेकिन आपकी जान पर भारी भी पड़ते हैं.
जब 6 घंटे के लिए आपका Facebook, Instagram और Whatsapp बंद था तो आपको कुछ देर के लिए बेचैनी तो हुई होगी, लेकिन आपने ये भी देखा होगा कि आपके पास आपको अशांत करने वाले मैसेज नहीं आए, नफरत भरी जानकारियां नहीं आई, किसी ने आप तक फेस न्यूज पहुंचाने की कोशिश नहीं की. शायद आपने खाना खाकर मोबाइल फोन बार बार चेक करने की बजाय परिवार के साथ समय बिताया होगा. कुछ नई पुरानी बातें की होगी. शायद परिवार के साथ बैठकर कोई फिल्म देखी होगी और आप समय से सो भी गए होंगे. अगर आपको भी ये अनुभव हुआ तो इससे ये साफ है कि आपका स्मार्टफोन और आपका सोशल मीडिया आपका मालिक नहीं है. बल्कि आप ही इन दोनों के मालिक हैं. इसलिए कोशिश कीजिए कि आप हफ्ते में एक दो दिन बिना स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के बिताएं और डिजिटल उपवास रखकर अपने मन को शांत बनाएं.
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