South Korean: विपक्ष ने चुनाव में पलट दी बाजी, हारते ही प्रधानमंत्री का इस्तीफा! क्या राष्ट्रपति बचा पाएंगे अपना पद?
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South Korean: विपक्ष ने चुनाव में पलट दी बाजी, हारते ही प्रधानमंत्री का इस्तीफा! क्या राष्ट्रपति बचा पाएंगे अपना पद?

South Korean parliamentary elections: दक्षिण कोरिया में सरकार से परेशान जनता ने चुनाव में हिसाब पूरा कर लिया है. आर्थिक मंदी और असंतुलित कूटनीति की बढ़ती चिंता के बीच राष्ट्रपति यूं सुक-येओल की सरकार को जनता ने उखाड़ फेंका है. नाराज दक्षिण कोरियाई मतदाताओं ने संसदीय चुनावों में विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी को जनादेश दिया है.

South Korean: विपक्ष ने चुनाव में पलट दी बाजी, हारते ही प्रधानमंत्री का इस्तीफा! क्या राष्ट्रपति बचा पाएंगे अपना पद?

South Korea National Assembly Elections: दक्षिण कोरिया के संसदीय चुनाव में मुख्य लिबरल विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी ने जबरदस्त जीत हासिल की है. दक्षिण कोरिया के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के कई टॉप कैडर के अधिकारियों ने पार्टी की हार के बाद इस्तीफा देने की पेशकश कर दी है. इस्तीफा स्वीकार हुआ या नहीं, इसको लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन चुनाव नतीजों को देखें तो इस्तीफा होना तय है. राष्ट्रपति यूं सुक योल (Yoon Suk Yeol) की पार्टी को इस चुनाव में करारी हार मिली है. सरकार से परेशान जनता ने चुनाव में हिसाब पूरा कर लिया है. आर्थिक मंदी और असंतुलित कूटनीति की बढ़ती चिंता के बीच राष्ट्रपति यूं सुक-येओल की सरकार को जनता ने उखाड़ फेंका है. नाराज दक्षिण कोरियाई मतदाताओं ने संसदीय चुनावों में विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी को जनादेश दिया है.

विपक्षी पार्टियों की जबरदस्त जीत
राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने गुरुवार को कहा कि मुख्य विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी ने इस चुनाव में 161 सीटें जीतीं हैं. रीबिल्डिंग कोरिया पार्टी, केंद्र-वाम न्यू फ्यूचर पार्टी और वामपंथी प्रोग्रेसिव पार्टी की सभा सीटें मिला दें तो कुल 189 सीटों पर जीत दर्ज हुई है. 

राष्ट्रपति की पार्टी की करारी हार
राष्टपति की पार्टी कंजर्वेटिव पीपुल्स पावर पार्टी और उसकी सहयोगी पार्टी ने 90 निर्वाचन क्षेत्र सीटें और 18 पीआर सीटें प्राप्त कीं, जबकि छोटी केंद्र-दक्षिणपंथी न्यू रिफॉर्म पार्टी ने एक निर्वाचन क्षेत्र सीट और दो पीआर सीटें हासिल कीं.

राष्ट्रपति के ताकत पर सवाल?
चुनाव नतीजों के आने के बाद राष्ट्रपति योल की ताकत और उनकी पार्टी पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. अब विपक्षी पार्टी 2027 तक संसद में अपनी ताकतें बनाए रखेगी. इधर राष्ट्पति के लिए समस्या हो गई, अभी उनका पांच साल का कार्यकाल पूरा हुआ नहीं है. अब राष्ट्र्पति होते हुए योल को विपक्ष के ताकतों के सामने काम करना होगा. इससे योल अपने और अपनी पार्टी के एजेंडे को आगे नहीं बढ़ा पाएंगे. और धीर धीरे उनकी पकड़ कम होती जाएगी. 

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