Trending Photos
लंदन: कोरोना के नए और अब तक के सबसे खतरनाक माने जा रहे ओमिक्रॉन वेरिएंट ने पूरी दुनिया को तबाही के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है. इस ओमिक्रॉन को लेकर एक नई स्टडी सामने आई है, जिसमें सामने आए नतीजे किसी के भी रोंगटे खड़े करने के लिए काफी हैं. यह स्टडी में केवल एक देश में ओमिक्रॉन के कारण 75 हजार मौतें होने की आशंका जताई गई है. साथ ही हॉस्पिटल में भर्ती होने वाले मरीजों के आंकड़े भी दहलाने वाले हैं.
वैसे तो पूरी दुनिया में ही ओमिक्रॉन के मामले बढ़ते जा रहे हैं लेकिन ब्रिटेन में ओमिक्रॉन के मामले बेतहाशा बढ़ रहे हैं. इस स्थिति ने दुनिया भर के वैज्ञानिकों को दहशत में ला दिया है कि कहीं कोविड का ये नया वेरिएंट फिर से दुनिया में लाशों के ढेर न लगा दे. इसी के चलते UK के वैज्ञानिकों ने ओमिक्रॉन को लेकर एक स्टडी की है और इसमें सामने आया है कि अप्रैल 2022 तक ओमिक्रॉन के कारण देश में 25,000 से लेकर 75,000 तक मौतें हो सकती हैं. डेली मेल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन और दक्षिण अफ्रीका के स्टेलनबोश यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स द्वारा की गई इस स्टडी के ये आंकड़े बेहद निराशाजनक हैं.
ये भी पढ़ें -जापानी अरबपति ने अंतरिक्ष से शेयर किया धरती का टाइम लैप्स वीडियो, अद्भुत है नजारा
6
इस स्टडी में प्रतिबंध हटाने के खिलाफ चेतावनी दी गई है और कहा गया है कि ऐसी सूरत में जनवरी में आई कोरोना की दूसरी लहर जैसे हालात बन सकते हैं. जब कोरोना ने रोजाना तकरीबन 1 हजार लोगों को मौत की नींद सुलाया था. इसके अलावा स्टडी में ओमिक्रॉन संक्रमण के कारण हॉस्पिटल में भर्ती होने वाले लोगों का आंकड़ा भी 492,000 बताया है. साथ ही आशंका जताई गई है कि यदि लोगों में ओमिक्रॉन से बचने की इम्यूनिटी कम हो गई तो आंकड़े इससे भी ज्यादा भयावह हो सकते हैं.
इस रिसर्च में शामिल एलएसएचटीएम के सेंटर फॉर द मैथमैटिकल मॉडलिंग ऑफ इंफेक्शियस डिजीज के डॉ. रोसन्ना बरनार्ड कहते हैं, 'ओमाइक्रोन की विशेषताओं के बारे में बहुत अनिश्चितता है. यह बात साफ नहीं है कि क्या इंग्लैंड में ओमिक्रॉन उसी तरह व्यवहार करेगा जैसा इसने दक्षिण अफ्रीका में किया है. लेकिन एक बात तय है कि हमें और अधिक सख्त प्रतिबंध लगाने होंगे क्योंकि मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग और बूस्टर डोज इसे काबू करने के लिए नाकाफी होंगे. बता दें कि भारत में भी ओमिक्रॉन फैल रहा है और अब तक इसके करीब 40 मामले सामने आ चुके हैं.