Sudan Military Crisis: सूडान में तख्तापलट के बाद सत्ता का नेतृत्व सेना प्रमुख जनरल अब्देल फतह अल-बुरहान और अर्धसैनिक बलों के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान डगालो ने किया, लेकिन इन दोनों कमांडरों के वर्चस्व की लड़ाई ने सूडान को जंग का मैदान बना दिया है.
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Sudan Crisis: किसी भी देश की रक्षा करने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी सेना की होती है. दुश्मन को पहला जवाब सीमा पर डटे सेना के जवान ही देते है, लेकिन अगर किसी देश की सेना और अर्धसैनिक बलों में ही युद्ध छिड़ जाए, मारकाट मच जाए. देश पर कब्जे की लड़ाई शुरू हो जाए तो सोचिए उस मुल्क के क्या हालात होंगे. अफ्रीकी देश सूडान पिछले 3 दिन से जल रहा है. सूडान की सेना और अर्धसैनिक बल एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए है और ये सब हो रहा है देश की सत्ता पर कब्जे को लेकर सूडान में तख्तापलट के बाद सत्ता का नेतृत्व सेना प्रमुख जनरल अब्देल फतह अल-बुरहान और अर्धसैनिक बलों के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान डगालो ने किया. लेकिन, इन दोनों कमांडरों के वर्चस्व की लड़ाई ने सूडान को जंग का मैदान बना दिया है.
अब तक सूडान में 180 से ज्यादा लोगों की मौत
सूडान की राजधानी खार्तूम और ओम्दुर्मान समेत सूडान के कई शहरों में दोनों गुट हवाई हमले और गोलीबारी कर रहे है, जिसमें 180 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. सूडान की सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच हालात इस कदर खराब हैं कि पड़ोसी मुल्कों ने अपनी सीमाओं को बंद कर दिया है. वर्ष 1956 में सूडान को आजादी मिली थी, लेकिन आजादी के बाद से ही ये मुल्क गृहयुद्ध, तख्तपलट और विद्रोह में घिरा रहा है. इस बार ये मुल्क अपने सबसे खराब दौर में है और इसकी वजह है सेना और अर्धसैनिक बलों का संघर्ष सूडान की राजधानी खार्तूम के आसमान में सेना के फाइटर जेट, रैपिड सपोर्ट फोर्सेज पर बमबारी कर रहे है.
2021 में सेना ने किया था तख्तापलट
सूडान में 2021 में सेना ने तख्तापलट किया था और तभी से सेना और अर्धसैनिक बल यानी रैपिड सपोर्ट फोर्स के बीच घमासान चल रहा है. रैपिड सपोर्ट फोर्स ने खार्तूम हवाई अड्डे पर कब्जा कर लिया है. हवाई अड्डे पर कब्जे के दौरान कई हवाई जहाज जला दिए गए है. RSF के कब्जे से एयरपोर्ट को छुड़ाने के लिए सेना ने एयरस्ट्राइक की है. सैटेलाइट तस्वीरों को देखकर पता चलता है कि एयरपोर्ट पर भारी नुकसान हुआ है. जगह-जगह धुआं उठ रहा है. एयरपोर्ट पर खड़े कई यात्री विमान सैटेलाइट तस्वीरों में जले हुए दिख रहे है. सूडान से आने और जाने वाली सभी उड़ानों को निलंबित कर दिया गया है.
रमजान में लोगों के पास नहीं है खाना-पानी
संघर्ष की वजह से राजधानी खार्तूम में लोग अपना घर छोड़ रहे है. बड़ी संख्या में यहां से लोगों ने पलायन किया है. सूडान की 97 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है. रमजान का पवित्र महीना चल रहा है, लेकिन लोगों के पास ना पीना का पानी बचा है, ना घर में खाने का सामान. सेना और अर्ध सैनिक बलों के बीच असली लड़ाई राजधानी खार्तूम और ओम्दुर्मान में चल रही है. लेकिन सत्ता का ये संघर्ष अब सूडान के दूसरे इलाकों को भी अपनी चपेट में ले रहा है. पश्चिमी दारफुर का इलाका और पूर्वी सीमा पर बसा कसाला राज्यों में सेना और अर्ध सैनिक बलों के जवान गोलीबारी कर रहे है. RSF यानी रैपिड सपोर्ट फोर्स ने कई जगह आर्मी की गाड़ियों में आग लगा दी.
3 दिनों से जल रहा है देश
सूडान पिछले 3 दिन से जल रहा है. हालात खराब हैं. हर जगह से बम और गोलियों की आवाज सुनाई दे रही है. RSF ने रणनीतिक रूप से घनी आबादी वाले इलाकों में अपने अड्डे बनाए हैं. ताकि संघर्ष की स्थिति में आम नागरिकों की बड़ी संख्या में मौत को बचाव के तौर पर इस्तेमाल किया जा सके. रूस और यूक्रेन की जंग दो देशों की जंग है, लेकिन सूडान में दुनिया दो जनरलों की जंग देख रही है, जिसका खामियाजा इस मुल्क की जनता भुगत रही है.
सूडान इस वक्त सेना प्रमुख अल-बुरहान और RSF के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान डगालो के बीच की लड़ाई का खामियाजा भुगत रहा है. एक वक्त पर बुरहान और हमदान एक दूसरे के साथी थे. सूडान का हर बड़ा फैसला दोनों मिलकर लेते थे, लेकिन सत्ता पर कब्जे की लड़ाई ने दोनों को एक दूसरे का दुश्मन बना दिया. सेना और RSF के बीच का घमासान डेढ़ वर्ष से अधिक समय से चल रहा है. वर्ष 2021 में सूडान में तख्तापलट हुआ था. तख्तापलट के बाद सत्ता पर सेना प्रमुख अल-बुरहान और अर्धसैनिक बल के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान डगालो का कब्जा हुआ. तब से सूडान में एक संप्रभु परिषद के माध्यम से देश चला रहा है. हालिया संघर्ष की मुख्य वजह सेना और अर्धसैनिक बल RSF का विलय है.
सूडान में क्यों चल रहा संघर्ष और कैसे शुरू हुआ?
सूडान में चल रहे संघर्ष की असली जड़ें वर्ष 2019 से जुड़ी हुई हैं. उस समय सूडान के तत्कालीन राष्ट्रपति उमर अल-बशीर के खिलाफ जनता ने विद्रोह किया था. बाद में सेना ने अल-बशीर की सत्ता को उखाड़ फेंका. बशीर को सत्ता से बेदखल तो कर दिया गया, लेकिन इसके साथ ही सूडान में संघर्ष का अगला चरण शुरू हो गया. जनरल बुरहान और जनरल डगालो यही से एक दूसरे के दुश्मन बने.
दोनों के बीच सूडान में चुनाव कराने को लेकर एकराय नहीं बनी. सेना ने प्रस्ताव रखा था जिसके तहत RSF यानि रैपिड सपोर्ट फोर्सेज के 10 हजार जवानों को सेना में शामिल करने की बात थी. लेकिन, फिर सवाल उठा कि सेना में पैरामिलिट्री फोर्स को मिलाने के बाद जो नई फोर्स बनेगी, उसका प्रमुख कौन बनेगा. बीते कुछ हफ्तों से सूडान के अलग-अलग हिस्सों में अर्ध सैनिक बलों की तैनाती बढ़ी थी, जिसे सेना ने उकसावे और खतरे के तौर पर देखा.
सूडान आज बुरहान और डगालो की दुश्मनी का नतीजा भुगत रहा है. दोनों गुटों को दूसरे देशों से मिल रहा समर्थन इस आग को और भड़का रहा है. सूडान की आर्मी को मिस्र का समर्थन मिलता है, तो पैरामिलिट्री ग्रुप को UAE और सऊदी अरब का समर्थन प्राप्त है. इसलिए भी दोनों गुट एक दूसरे के सामने झुकना नहीं चाहते. दोनों गुटों की अपनी-अपनी महत्वकांक्षा है. जनरल डगालो 2021 के तख्तापलट को एक बड़ी गलती बता रहे है और वो खुद को जनता के साथ दिखाने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं, जनरल बुरहान का कहना है कि वो सिर्फ चुनी हुई सरकार को ही सत्ता सौंपेंगे. हालांकि, दोनों के समर्थकों को इस बात का डर है कि अगर उन्हें पद से हटा दिया तो उनके प्रभाव का क्या होगा.
सूडान में हैं करीब 4 हजार भारतीय
सूडान में करीब 4 हजार भारतीय है. इस संघर्ष में 1 भारतीय की भी मौत हुई है, जिसके बाद भारतीय दूतावास ने एडवाइजरी जारी करते हुए भारतीय नागरिकों को सावधानी बरतने और घर के अंदर रहने की सलाह दी है.
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