ताइवान के विदेश मंत्री बोले- चीन से ही हुई है कोरोना वायरस की उत्पति, कोई संदेह नहीं
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ताइवान के विदेश मंत्री बोले- चीन से ही हुई है कोरोना वायरस की उत्पति, कोई संदेह नहीं

ताइवान (Taiwan) का मानना है कि कोरोना वायरस (Coronavirus) की उत्पत्ति चीन से ही हुई थी. ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू (Joseph Wu) ने कहा, "हमें इसमें कोई संदेह नहीं है." 

(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) को आए लगभग 10 महीने हो चुके हैं और यह दुनियाभर में फैल चुका है, लेकिन अभी तक इसके शुरुआत को लेकर संशय बरकरार है. कई रिपोर्ट में दावा किया गया कि यह चीन के वुहान शहर (Wuhan) से शुरू हुआ तो वहीं कुछ का दावा है कि यह वुहान के एक प्रयोगशाला से फैला है. कुछ रिपोर्ट में तो यह भी दावा किया गया कि चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने महामारी को कवर करने की कोशिश की, हालांकि ये आरोप अभी साबित नहीं हुए हैं.

  1. कोरोना वायरस की उत्पति पर संशय बरकरार है
  2. ताइवान का मानना है कि उत्पत्ति चीन से ही हुई थी
  3. ताइवान ने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने गंभीरता से नहीं लिया

चीन से हुई कोरोना वायरस की उत्पति: ताइवान
ताइवान का मानना है कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति चीन से ही हुई थी. ZEE NEWS के सहयोगी चैनल WION से बात करते हुए ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू (Joseph Wu) ने कहा, हमें इसमें कोई संदेह नहीं है." डॉक्टर वू ने कहा, "ताइवान, चीनी स्वास्थ्य अधिकारियों और डब्ल्यूएचओ के पास दिसंबर 2019 में पहुंचा, जब ताइवान के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कुछ इंटरनेट रिपोर्ट और मरीजों के आइसोलेशन में इलाज किए जाने के वीडियो देखे.

कोरोना की उत्पति को लेकर होनी चाहिए जांच
ताइवान (Taiwan) का दावा है कि कोरोना वायरस (Coronavirus) वुहान शहर से ही उत्पन्न हुआ था और इसलिए उन्होंने चीन से आने वाले लोगों के खिलाफ सावधानी बरतनी शुरू कर दी. डॉक्टर वू ने कहा, "हमें कोई हिचकिचाहट नहीं है. हमने वुहान से वापस आने वाले यात्रियों की जांच शुरू कर दी थी. इसलिए, हमारे लिए इसमें कोई संदेह नहीं है कि वुहान दुनिया भर में इस महामारी का मूल है।" उन्होंने यह भी कहा कि महामारी की उत्पत्ति कहां से हुई है, इसकी जांच की जानी चाहिए."

क्या डब्ल्यूएचओ ने की चीन की मदद
जब उनसे पूछा गया कि क्या वे मानते हैं कि डब्ल्यूएचओ (WHO) ने चीन को महामारी को कवर करने में मदद की. तो उन्होंने कहा, "शुरुआत में, डब्ल्यूएचओ को कोरोनो वायरस अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए बहुत गंभीर खतरा नहीं लगता था और आम सहमति यह है कि जब डब्ल्यूएचओ ने इसे गंभीरता से लेना शुरू किया, तब तक बहुत देर हो चुकी थी.

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