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काबुल: तालिबान (Taliban) भले ही अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हो गया हो, लेकिन बंदूक के दम पर कब्जा जमाने की उसकी आदतों में कोई कमी नहीं आई है. तालिबानी लड़ाकों ने काबुल स्थित नॉर्वे के दूतावास (Norwegian Embassy) पर कब्जा कर लिया है. हथियारों से लैस तालिबानी दूतावास में घुसे और सब कुछ अपने नियंत्रण में ले लिया. बता दें कि तालिबान के सुप्रीम लीडर हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने सरकार के गठन की घोषणा के बाद कहा था कि विदेशी राजनयिकों और दूतावासों को डरने की जरूरत नहीं है. उन्हें अफगानिस्तान में सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराया जाएगा.
तालिबान (Taliban) की इस करतूत के बारे में ईरान में नॉर्वे के राजदूत सिगवाल्ड हाउगे (Ambassador Sigvald Hauge) ने ट्वीट करके जानकारी दी है. उन्होंने तालिबानी लड़ाकों का एक फोटो भी पोस्ट किया है. अपने ट्वीट में राजदूत ने लिखा है, ‘तालिबान ने अब काबुल स्थित नॉर्वे के दूतावास को अपने कब्जे में ले लिया है. उसका कहना है कि दूतावास बाद में लौटाया जाएगा. इसे पहले वो वाइन की बोतलें और बच्चों की किताबों को नष्ट करेगा’.
Taliban has now taken over the Norwegian Embassy in Kabul. Say they will return it to us later. But first wine bottles are to be smashed and childrens’ books destroyed. Guns apparently less dangerous. Foto: Aftenposten, Norway pic.twitter.com/0zWmJXmQeX
— Ambassador Sigvald Hauge (@NorwayAmbIran) September 8, 2021
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तालिबान शुरुआत से ही बच्चों की पढ़ाई के खिलाफ रहा है. भले ही वो बड़ी-बड़ी बातें करे, लेकिन असलियत यही है कि उसे पढ़ते बच्चे अच्छे नहीं लगते. खासतौर पर लड़कियों का स्कूल जाना उसे इस्लाम के खिलाफ नजर आता है. तालिबानी हुकूमत के शिक्षा मंत्री खुद अपने ‘ज्ञान’ का प्रदर्शन कर चुके हैं. शेख मौलवी नूरुल्लाह मुनीर (Sheikh Molvi Noorullah Munir) की नजर में पीएचडी या मास्टर डिग्री की कोई वैल्यू नहीं. उन्होंने हाल ही में कहा था कि ताकत के आगे शिक्षा मायने नहीं रखती, तालिबानियों ने भी ताकत के बल पर सत्ता हासिल की है.
तालिबान के खौफ के चलते कई देशों ने अपने दूतावास खाली कर दिए हैं. तालिबानी लड़ाकों के काबुल पहुंचते ही विदेशी दूतावास खाली होने लगे थे. जब तालिबानी उन दूतावासों में जाकर सबकुछ खंगाल रहे हैं. बीच में ऐसी भी खबरें सामने आई थीं कि अमेरिकी एंबेसी के कर्मचारी कई महत्वपूर्ण दस्तावेज वहां छोड़ गए हैं. दरअसल, तालिबान अमेरिकी और ब्रिटिश सैनिकों की मदद करने वालों को अपना दुश्मन मानता है. वो उनकी जानकारी जुटाने के लिए दूतावासों को खंगाल रहा है.
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