China and US: ताइवान (Taiwan) को लेकर चीन और अमेरिका में तनातनी बढ़ गई है. आखिर ताइवान के पास ऐसी क्या चीज है, जिसे लेकर दोनों देश आमने-सामने आ गए हैं. आज आज आपको यह राज जानना चाहिए.
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China and US over Taiwan: अगर चीन (China) और ताइवान (Taiwan) के बीच टेंशन बढ़ती है तो आपकी जिंदगी और आपकी जेब पर क्या असर पड़ सकता है. हो सकता है आपके स्मार्टफोन में जो चिप लगी है, वो शायद ताइवान में बनी हो. इसी तरह आप जिस कंप्यूटर पर काम करते हैं, वो भी जिस चिप के आधार पर काम करता है, दुनिया भर में उसका भी सबसे ब़ड़ा निर्माता ताइवान ही है. अगर आपके पास गाड़ी है, तो वो भी सेमीकंडक्टर चिप की तकनीक के सहारे ही दौड़ती है और बहुत मुमकिन है कि वो चिप ताइवान में बनी हो. इसके अलावा वीडियो गेम समेत कई और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स में इन चिप्स का इस्तेमाल होता है.
आजकल पूरी दुनिया में जितनी भी गाड़ियां बनती हैं, उनके Power steering, Brake Sensor, Entertainment System, Air Bags और Parking कैमरों में Semi Conductor Chips का ही इस्तेमाल होता है . ये Chips कंप्यूटर प्रोग्रामिंग पर आधारित होती हैं और आपकी गाड़ी के Data को भी Process करती है . Semi Conductor Chips के बिना आधुनिक गाड़ियों का निर्माण लगभग असंभव है.
दुनिया में चिप्स का सबसे बड़ा उत्पादक ताइवान
गाड़ियां ही नहीं, ये चिप हर उस Device में इस्तेमाल होती है, जो आधुनिक हैं, इंटरनेट से जुड़ी हैं और जिसमें खास Features हैं. इन चिप्स का सबसे बड़ा उत्पादक देश ताइवान (Taiwan) है. ताइवान में बने सेमी कंडक्टर चिप का इस्तेमाल विश्व के कोने कोने में होता है, जिसमें भारत से लेकर चीन और अमेरिका तक तमाम देश शामिल हैं. आपको याद होगा कि भारत में कुछ महीने पहले सेमी कंडक्टर चिप की कमी से कारों के उत्पादन पर असर पड़ा था.
अगर कभी ताइवान को लेकर युद्ध होता है तो मोबाइल फोन से लेकर लैपटॉप और गाड़ियों तक का उत्पादन और आपूर्ति कम हो सकती है. जब आपूर्ति कम होगी तो ये चीजें महंगी हो जाएंगी.
अब आप समझ सकते हैं कि ताइवान को लेकर चीन और अमेरिका में जो टकराव नजर आ रहा है, उसके पीछे चिप का खेल भी है. आज हम आपको बताते हैं कि आखिर एक छोटी सी चिप को लेकर दुनिया के दो बड़े और शक्तिशाली देश एक दूसरे के आमने सामने क्यों हैं.
पूरी दुनिया को होती है माइक्रो चिप्स की सप्लाई
2020 के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया के कुल सेमी कंडक्टर चिप उत्पादन में 63 प्रतिशत हिस्सा अकेले ताइवान (Taiwan) का है. यानी मोटे तौर पर समझ लीजिए कि दुनिया भर में प्रत्येक 10 सेमी कंडक्टर चिप में से 6 या 7 चिप Made in Taiwan है. ताइवान में एक बड़ी कंपनी है, जिसका नाम है-- Taiwan Semiconductor Manufacturing Company यानी TSMC. ये कंपनी अकेले ही दुनिया के 54 प्रतिशत सेमीकंडक्टर चिप का उत्पादन करती है.
ताइवान सेमी कंडक्टर चिप के उत्पादन में दुनिया का बादशाह है. वहां न सिर्फ सबसे ज्यादा सेमी कंडक्टर चिप्स बनाए जाते हैं, बल्कि सबसे Advanced चिप्स बनाने में भी ताइवान की कंपनियों को महारत हासिल है, जिनका इस्तेमाल मोबाइल फोन से लेकर फाइटर जेट तक में किया जाता है. Taiwan Semiconductor Manufacturing Company यानी TSMC अकेले ही दुनिया के 92 प्रतिशत Advanced चिप्स का उत्पादन करती है.
TSMC के प्रमुख ने दी दुनिया को चेतावनी
यानी ये कहना गलत नहीं होगा कि अगर सिर्फ ताइवान (Taiwan) की एक कंपनी ही युद्ध की चपेट में आ गई तो दुनिया भर में सेमी कंडक्टर की सप्लाई चेन टूट सकती है. TSMC के प्रमुख मार्क लिऊ ने चेतावनी दी है कि अगर चीन ने ताइवान पर हमला किया तो दुनिया की सबसे बड़ी सेमी कंडक्टर चिप निर्माता कंपनी काम नहीं कर सकेगी. इसलिए चीन को कोई भी एक्शन लेने से पहले अच्छी तरह सोच लेना चाहिए.
ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन (China) के बीच सैन्य टकराव की आशंका जताई जा रही है. अब समझिए कि चीन बिना एक भी गोली चलाए किस तरह अमेरिका की सेना को नुकसान पहुंचा सकता है. चीन बिना एक भी मिसाइल दागे बिना अमेरिकी वायुसेना को मुश्किल में डाल सकता है. इसके लिए वह सेमी कंडक्टर चिप को हथियार की तरह इस्तेमाल कर सकता है.
अमेरिकी सेना भी ताइवानी कंपनियों पर निर्भर
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका की वायुसेना अपने घातक F-35 फाइटर जेट में जिन कंप्यूटर चिप्स का इस्तेमाल करती है, वो ताइवान की Taiwan Semiconductor Manufacturing Company में तैयार किए जाते हैं. इसके अलावा कुछ अन्य अमेरिकी सैन्य साजो सामान में भी ताइवान में बने हाईटेक ''मिलिट्री ग्रेड चिप्स'' का प्रयोग किया जाता है. बताया जाता है कि अमेरिका ने Taiwan Semiconductor Manufacturing Company से कहा है कि वो अपनी फैक्ट्री को अमेरिका की धरती पर शिफ्ट करे. अमेरिका को शायद चिंता है कि ताइवान की धरती पर चीन का दखल हो सकता है, इसलिए उसने ये मांग की है.
अब अगर मान लीजिए कि चीन (China) ने फौज के सहारे ताइवान (Taiwan) पर जबरन कब्जा कर लिया तो चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक झटके में अमेरिका को होने वाली Semiconductor चिप्स की सप्लाई को रोक सकते हैं या फिर अमेरिका को सप्लाई की जाने वाली चिप्स की संख्या को सीमित कर सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो अमेरिकी सेना के लिए नए लड़ाकू विमानों और दूसरे कई आधुनिक weapon systems का निर्माण मुश्किल हो जाएगा.
सिर्फ अमेरिकी सेना ही नहीं, अमेरिका के उद्योगों के लिए भी ताइवान में बने चिप ऑक्सीजन की तरह हैं, जिसके बिना वो सांस नहीं ले सकते हैं. जानी मानी मोबाइल फोन निर्माता कंपनी Apple के कई गैजेट्स में Taiwan Semiconductor Manufacturing Company यानी TSMC के हाईटेक चिप्स इस्तेमाल किए जाते हैं. TSMC के ग्राहकों में Qualcomm, AMD और Intel समेत अमेरिका की कई दिग्गज कंपनियां शामिल हैं. ऐसा नहीं है कि सिर्फ अमेरिका ही ताइवान में बने सेमी कंडक्टर चिप्स पर निर्भर है. चीन का काम भी इनके बिना नहीं चल सकता है.
चीन का बिजनेस भी ताइवान के भरोसे
चीन ने 2020 में 300 अरब डॉलर के सेमी कंडक्टर और Advanced चिप्स का आयात किया था. इनमें सबसे ज्यादा हिस्सा ताइवान से मंगवाया गया. चीन खुद को दुनिया के manufacturing hub के तौर पर पेश करता है. लेकिन सेमी कंडक्टर चिप बनाने के मामले में चीन की कंपनियां ताइवान से काफी पीछे हैं. 2020 में TSMC की दूसरी सबसे बड़ी ग्राहक चीन की आईटी कंपनी Huawei थी.
इससे साबित होता है कि चीन (China) के लिए भी ताइवान (Taiwan) से सेमी कंडक्टर और Advanced चिप्स की सप्लाई बहुत जरूरी है. इसके बिना चीन की बड़ी बड़ी कंपनियों पर ताला लगने की नौबत आ सकती है. इसलिए चीन किसी भी कीमत पर ताइवान को अमेरिका के प्रभाव से दूर रखना चाहता है.
अमेरिका सेमी कंडक्टर चिप्स के आयात पर निर्भरता को खत्म करने के लिए लगातार कोशिश कर रहा है. हाल में अमेरिका में एक कानून पास किया गया है, जिसके जरिए आने वाले समय में अमेरिका की चिप निर्माता कंपनियों को 52 अरब डॉलर की टैक्स छूट और मदद दी जाएगी.
क्या माइक्रो चिप के लिए आमने-सामने हैं दोनों देश?
चीन (China) और अमेरिका दोनों को ताइवान (Taiwan) में बने सेमी कंडक्टर चिप और ADVANCED चिप की जरूरत है. उनकी सुरक्षा और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए ये चिप्स काफी अहम हैं. इसलिए चीन और अमेरिका दोनों किसी भी कीमत पर ताइवान के मुद्दे पर पीछे हटने के लिए तैयार नहीं दिखते हैं. जानकारों की राय में अगर चीन ताइवान के खिलाफ किसी तरह का मिलिट्री एक्शन करता है तो ताइवान के सेमी कंडक्टर उद्योग की बुनियाद हिल सकती है. और इसका प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ेगा.
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