Turkey earthquake: तुर्किये में आधुनिक ‘पैनकेक मॉडल’ पर बनी इमारतों को भी भूकंप ने कर दिया धराशायी, क्या है इसकी वजह?
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Turkey earthquake: तुर्किये में आधुनिक ‘पैनकेक मॉडल’ पर बनी इमारतों को भी भूकंप ने कर दिया धराशायी, क्या है इसकी वजह?

Turkey Earthquake News: तुर्किये सरकार की मानें तो इस तबाही में 3,450 से अधिक इमारतें ज़मींदोज़ हो गईं. इनमें से कई तो आधुनिक इमारतें थीं जिनका निर्माण ढांचे के ‘पैनकेक मॉडल’ के आधार पर किया गया था लेकिन यह मॉडल भूकंप के आगे नाकाम साबित हुआ. ऐसा क्यों हुआ ?

Turkey earthquake: तुर्किये में आधुनिक ‘पैनकेक मॉडल’ पर बनी इमारतों को भी भूकंप ने कर दिया धराशायी, क्या है इसकी वजह?

Turkey News: तुर्किये में भूकंप के दो बड़े झटकों ने तबाही मचा दी. 4000 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई, हजारों घायल हो गए और कई तो अब तक मलबे में दबे हुए हैं.  पहला भूकंप सीरियाई सीमा के पास स्थित गजियांतेप के नजदीक आया. रिक्टर पैमाने पर 7.8 तीव्रता के इस भूकंप को सुदूर ब्रिटेन तक महसूस किया गया. नौ घंटे बाद तुर्किये दूसरे भूकंप से थर्राया जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 7.5 थी.

ऐसा लगता है कि यह भूकंप ‘‘इंटरसेक्टिंग फॉल्ट’’ की वजह से आया. यह स्थिति तब होती है जब एक टेक्टॉनिक प्लेट दूसरी के ऊपर आने की कोशिश करती है.

तुर्किये सरकार की मानें तो इस तबाही में 3,450 से अधिक इमारतें ज़मींदोज़ हो गईं. इनमें से कई तो आधुनिक इमारतें थीं जिनका निर्माण ढांचे के ‘पैनकेक मॉडल’ के आधार पर किया गया था लेकिन यह मॉडल भूकंप के आगे नाकाम साबित हुआ. ऐसा क्यों हुआ ? क्या इसकी वजह भूकंप की अत्यधिक तीव्रता थी या इन इमारतों में कोई समस्या थी ?

भूकंप की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है तुर्किये
भूकंप आज से नहीं, हजारों साल से आते रहे हैं. तुर्किये में भूकंप आम हैं क्योंकि यह देश भूकंप की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र में आता है. ऐसे क्षेत्र में जहां पृथ्वी की सतह के नीचे तीन टेक्टॉनिक प्लेटें लगातार एक दूसरे के साथ घर्षण करती रहती हैं.

कम से कम 2000 साल से तुर्किये भूकंप का सामना करता रहा है. 17वीं शताब्दी में कई शहर इस आपदा में तबाह हो गए थे.

भूकंप अक्सर ‘ईस्ट अनातोलियन फॉल्ट’ जोन में आते हैं जो अरेबियन और अनातोलियन टेक्टॉनिक प्लेटों के मध्य में, सीमा पर स्थित है. ये दोनों प्लेटें हर साल 6 से 10 मिमी की गति से एक दूसरे के पास आ रही हैं.

इस क्षेत्र में उत्पन्न तन्यता का दबाव रुक रुक कर आए भूकंप के चलते धीरे धीरे कम हुआ. यह सिलसिला बरसों-बरस चला. इसे देखते हुए हाल ही में आये भूकंप स्तब्धकारी नहीं हैं. यह भी जाहिर है कि यहां अवसंरचना भी जोखिम के साए में है.

बीते करीब 2000 साल में हमने ऐसी इमारतों के निर्माण के बारे में बहुत कुछ सीखा है जो भूगर्भीय हलचल होने पर सुरक्षित रहें. लेकिन यह भी सच है कि इस क्षेत्र में तथा दुनिया के दूसरे हिस्सों में इमारतों का निर्माण प्रभावित करने वाले कई कारक भी हैं.

गुणवत्तापूर्ण निर्माण न होना एक सर्वविदित समस्या है. ऐसा प्रतीत होता है कि ध्वस्त हुई कई इमारतें भूकंप की दृष्टि से पर्याप्त सुदृढ़ीकरण के बिना, कंक्रीट से बनी थीं. इस क्षेत्र में इमारतों के भूकंप संबंधी कोड संकेत देते हैं कि इन इमारतों को इतना मजबूत होना चाहिए था कि वे भूकंप के तेज झटके सह लेतीं.

ये झटके आम तौर पर भूमि में सामान्य गुरूत्व के 30 से 40 फीसदी अधिक होते हैं. ऐसा लगता है कि 7.8 और 7.5 तीव्रता के भूकंप की वजह से कंपन की दर गुरूत्व के 20 से 50 फीसदी के बीच रही. ‘‘डिजाइन कोड’’ से कम तीव्रता की थर्राहट भी ये इमारतें नहीं सह पाईं.

तुर्किये और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में सुरक्षित इमारतों का निर्माण सुनिश्चित करना और भूकंप के मद्देनजर समुचित ‘इमारत कोड’ का पालन करना एक बड़ी समस्या है. अतीत में तुर्किये में जब भी भूकंप आए, इमारतें इसी तरह धराशायी हुई हैं.

1999 में इज्मित के समीप आए भूकंप ने करीब 17,000 लोगों की जान ली थी और लगभग 20,000 इमारतों को मिट्टी में मिला दिया था.

2011 में आए भूकंप ने सैकड़ों लोगों को मौत की नींद सुला दिया था. तुर्किये के तत्कालीन प्रधानमंत्री रजब तैयब एर्दोआन ने तब मृतकों की अधिक संख्या के लिए इमारतों के गुणवत्ताहीन निर्माण को दोषी ठहराया था. उन्होंने कहा था ‘नगर निकायों, ठेकेदारों, निरीक्षकों को देखना चाहिए कि उनकी लापरवाही इस हत्या की वजह है.’

इमारतों का पुनर्निर्माण
तुर्किये के अधिकारी यह जानते हैं कि कई इमारतें भूकंप को सह नहीं पाएंगी लेकिन यह समस्या उनके लिए समाधान से परे है. कई इमारतें बन चुकी हैं और भूकंप रोधी उपाय या तो महंगे हो सकते हैं या अन्य सामाजिक आर्थिक चुनौतियों के चलते उन पर प्राथमिकता से विचार नहीं किया गया. बहरहाल, इन इमारतों का पुनर्निर्माण इन्हें अधिक सुरक्षित बनाने का एक अवसर दे सकता है.

तुर्किये ने इमारतों को भूकंप रोधी बनाने के लिए 2019 में नए नियमन तय किए. इन नियमन का स्वागत तो किया गया लेकिन यह देखा जाना अभी बाकी है कि क्या इनसे इमारतों की गुणवत्ता में वास्तव में सुधार हो पाएगा?

भूकंप से अवसंरचना को जिस तरह नुकसान पहुंचा है, उससे पर्यावरण को दूरगामी प्रभाव पड़ने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता. इन प्रभावों की वजह से भी कई जगहों पर इमारतों का पुनर्निर्माण असुरक्षित हो सकता है. इसे देखते हुए जरूरी है कि कहां क्या निर्माण किया जाना है, इस संबंध में योजना बना कर निर्णय किए जाएं ताकि भविष्य में जोखिम का खतरा कम हो सके.

फ़िलहाल, भूकंप के बाद के झटके आ रहे हैं, और खोज एवं बचाव के प्रयास भी जारी हैं. व्यवस्था पटरी पर आने के बाद, पुनर्निर्माण शुरू हो जाएगा. लेकिन क्या हम ऐसी मजबूत इमारतें देख पाएंगे, जो भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील तुर्किये में अगले ज़लज़ले या अन्य आपदा का सामना करने में सक्षम होंगी ?

(इनपुट - भाषा)

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