US Gun Culture: 50 वर्षों तक शीत युद्ध, 20 साल तक आतंकवाद से लड़ने वाला US गन कल्‍चर के आगे है बेबस!
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US Gun Culture: 50 वर्षों तक शीत युद्ध, 20 साल तक आतंकवाद से लड़ने वाला US गन कल्‍चर के आगे है बेबस!

America Gun Culture: अमेरिका ने चीन के साथ ट्रेड वार (Trade War) लड़ा. सोवियत संघ के साथ 50 वर्षों तक शीत युद्ध (Cold war) लड़ा, पिछले 20 सालों से वो आतंकवाद से लड़ रहा है. लेकिन अमेरिका ने कभी गन कल्चर के खिलाफ युद्ध की घोषणा नहीं की और वो उसी का खामियाजा भुगत रहा है.

Gun Exhibition shows US Gun Culture

US Gun Culture: अमेरिका में गन कल्चर से हर साल हजारों की मौत हो रही है जिसको लेकर लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है. इस देश के बारे में कहा जाता है कि आजादी की एक कीमत होती है, इसलिए अमेरिकी आबादी का एक बड़ा हिस्सा बंदूक खरीदने को आजादी से जोड़कर देखता है. हाल ही में कोलोराडो के LGBTQ नाइटक्लब की फायरिंग में 5 की मौत हो गई और 18 से ज्यादा घायल हो गए. हालांकि कुछ लोगों ने हमलावर को पकड़ लिया लेकिन तब तक काफी लोगों को गोली लग चुकी थी.

'गन खरीदना फोन खरीदने जितना आसान'

इस हमले के आरोप में जिस संदिग्ध को पकड़ा गया है उसकी उम्र 22 वर्ष है. हिंदुस्तान में आपको कोई हथियार खरीदना है तो इसकी प्रक्रिया काफी जटिल होती है. यानी बड़ी मुश्किल से चुनिंदा लोगों को हथियार रखने का लाइसेंस  मिलता है. लेकिन अमेरिका में बंदूक खरीदना बेहद आसान है. अमेरिका का संविधान नागरिकों को बंदूक रखने का अधिकार देता है और यहीं से अमेरिका के गन कल्चर की शुरुआत होती है. इस अधिकार की वजह से अमेरिका के दुकानों में बंदूक उतनी ही आसानी से मिल जाती है, जितनी आसानी से हिंदुस्तान में इलेक्ट्रॉनिक सामान और मोबाइल फोन मिलते हैं.

कैसे हुई शुरुआत?
अमेरिका में कई राष्ट्रपति ऐसे भी हुए हैं जिन्होंने अपने समर्थकों के साथ बंदूक लेकर प्रदर्शन किया. रुजवेल्ट से लेकर जिमी कार्टर तक, जॉर्ज बुश से लेकर बराक ओबामा तक कई राष्ट्रपतियों को हथियारों के साथ प्रदर्शन करते हुए देखा गया. यहां के राष्ट्रपति गन कल्चर का महिमामंडन करते आए हैं इसलिए आज हालात इतने ज्यादा खराब हो चुके है.

National Rifle Association अमेरिका के हथियार मालिकों का सबसे बड़ा संगठन है और ये एक लॉबी की तरह काम करता है. ये संगठन गन कल्चर के खिलाफ किसी भी कानून का विरोध करने, उसे रोकने की हर संभव कोशिश करता है. ये खेल अरबों डॉलर का है इसलिए गन कल्चर को बढ़ावा देने के लिए, इसके पक्ष में माहौल बनाने के लिए हर वर्ष अरबों रुपये ख़र्च किया जाता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक गन कल्चर के लोगों के समर्थकों को एकजुट करने के लिए इस संगठन ने 2020 में 2050 करोड़ रुपये से ज्यादा ख़र्च किया था.

अमेरिका में गन कल्चर को खत्म करने के लिए कभी भी गंभीरता की कोशिश ही नहीं की गई. हालांकि इस वर्ष अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन ने पिछले कुछ दशकों के सबसे महत्वपूर्ण  माने जा रहे बंदूक हिंसा रोधी विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए इसकी वजह भी टेक्सास में हुआ एक बड़ा हमला था.

नतीजा ढाक के तीन पात
अमेरिका में 21 वर्ष के उम्र के युवक को बंदूक खरीदने का अधिकार है. हालांकि कुछ मामलों में ये 18 वर्ष भी है. क्योंकि वहां अलग-अलग राज्यों के गन खरीदने को लेकर अलग-अलग कानून है. अब राज्य को ऐसे लोग जो घरेलू हिंसा में शामिल हैं उनसे फायरआर्म्स वापस लेने का अधिकार होगा. इस कानून में 13 बिलियन अमेरिकी डॉलर का भी फंड रखा गया है, जिसका इस्तेमाल सामूहिक फायरिंग जैसे मामलों को रोकने के लिए मेंटल हेल्थ प्रोग्राम के आयोजन में किया जाएगा. 

50 साल में 15 लाख की मौत
1967 से लेकर 2017 के बीच 15 लाख अमेरिकी लोगों की मौत गन कल्चर की वजह से हुई है. ये 1776 में अमेरिका की आजादी से लेकर अबतक अमेरिका के हुए सभी युद्ध में मारे गए सैनिकों की संख्या से ज्यादा है. जिसमें दो विश्वयुद्ध, 10 वर्ष चला वियतनाम युद्ध और 20 वर्षों तक अफगानिस्तान का युद्ध शामिल है. 2020 में ही 45000 हजार से ज्यादा अमेरिकी लोगों की मौत गन कल्चर की वजह से हुई जिसमें हत्या और आत्महत्या के मामले भी शामिल है. यानी अमेरिका में हर रोज करीब 123 लोगों की गन कल्चर की वजह से मौत हो जाती है और ये अमेरिका के गन कल्चर का सबसे खतरनाक सबूत है.

आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में हर 100 नागरिक पर 120 बंदूक है. 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में 63 हजार लाइसेंसी गन डीलर हैं. जिन्होंने 2018 में 83 हजार करोड़ रुपये के बंदूकें बेची थीं.अमेरिका में इस वर्ष अब तक Mass Shootings की 689 घटनाएं हो चुकी  है.

अमेरिका की नाकामी
अमेरिका ने चीन के साथ ट्रेड वार (Trade war),सोवियत संघ के साथ 50 वर्षों तक शीत युद्ध (Cold war) लड़ा, पिछले 20 सालों से अमेरिका आतंकवाद से भी लड़ रहा है. लेकिन उसने कभी गन कल्चर (GUN CULTURE) के खिलाफ युद्ध की घोषणा नहीं की और इसी वजह से मात खाते हुए अमेरिका अपनी सबसे बड़ी गलती का खामियाजा भुगत रहा है.

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