AI Chips: दुनिया में जिस तेजी से ऑटोमेशन बढ़ रहा है सेमीकंडक्टर चिप्स की जरूरत हर देश को है. चीन तो इस मामले में बढ़त लेकर दुनिया पर छाने का सपना देख रहा था लेकिन अमेरिका ने उसे बड़ा झटका दे दिया.
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AI Chip War: घर के स्मार्ट होमोअप्लायंसेस से लेकर स्पेस तक सेमीकंडक्र चिप की जरूरत अब हर जगह है. कह सकते हैं कि चिप्स के बाजार को जो देश नियंत्रित करेगा, वही कंज्यूमर गुड्स से लेकर रक्षा, स्पेस और हर तरह की मैन्युफैक्चरिंग को कंट्रोल कर सकेगा. इसलिए चिप्स को लेकर देशों में होड़ मची हुई है. फिलहाल इस मामले में दुनिया के अग्रणी देशों में अमेरिका शामिल है.
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वहीं चीन अमेरिका से चिप लेकर उसका बेजा इस्तेमाल करके दुनिया भर में अपने उत्पाद फैलाना चाहता है लेकिन अमेरिका ने ड्रैगन के इस सपने को एक झटके में ही बड़ा नुकसान पहुंचाया है. अमेरिका ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले एडवांस कंप्यूटिंग चिप यानी AI चिप के निर्यात को लेकर लिन नए नियमों का ऐलान किया है. उसने चीन की नींद उड़ा दी है.
बाइडेन जाते-जाते कर गए खेल
अमेरिका ने सहयोगी देशों को AI चिप के निर्यात में रियायत देने और दुश्मन देशों जैसे चीन-रूस में इसकी पहुंच को कंट्रोल करने के लिए नए नियम लागू किए हैं. मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपना कार्यकाल खत्म होने से पहले ये बड़ा कदम उठाया है.
अमेरिकी सरकार के नए फैसले के मुताबिक, दक्षिण कोरिया समेत 20 प्रमुख अमेरिकी सहयोगियों और भागीदारों पर चिप के निर्यात पर कोई बैन लागू नहीं होगा. वहीं रूस और चीन जैसे देशों के लिए नए नियमों से उनकी कम्प्यूटेशनल ताकत की सीमा निर्धारित कर दी गई है. अमेरिका के इस कदम से चीन तिलमिला गया है.
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एआई में दुनिया को लीड कर रहा अमेरिका
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के कॉमर्स सेक्रेटरी यानी व्यापार मंत्री जीना रायमोंडो ने कहा, "AI में अभी अमेरिका दुनिया को लीड कर रहा है. यह पॉलिसी दुनियाभर में एक विश्वसनीय टेक्नोलॉजी इकोसिस्टम बनाने में मदद करेगी. ये हमें AI से जुड़े राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिमों से बचाने की अनुमति देगी. साथ ही यह सुनिश्चित करेगी कि कंट्रोल इनोवेशन और अमेरिकी टेक्नोलॉजी के नेतृत्व पर बाधा न आए."
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तिलमिलाया चीन
अमेरिका के नए नियम से चीन तिलमिला गया है क्योंकि सेमीकंडक्टर चिप का मार्केट तेजी से बढ़ रहा है. इसलिए इसे 'मॉडर्न गोल्ड' भी कहा जा रहा है. हर इलेक्ट्रॉनिक चीज जो किसी इलेक्ट्रॉनिक सर्किट पर चल रही हो, उसे सेमीकंडक्टर चिप की जरूरत होती है. इसमें फ्रिज, टीवी, ओवन, टोस्टर, वॉशिंग मशीन जैसे घरेलू उपकरणों से लेकर स्मार्टफोन, गाड़ियां, स्पेस सैटेलाइट, मिसाइल्स और कई तरह की मैन्युफैक्चरिंग मशीनें शामिल हैं.
कम होगी चीन की ताकत
यदि चीन को AI चिप ज्यादा मात्रा में मिलती है, तो इससे ड्रैगन को कई तरीकों से आजमाएगा, उसकी आर्मी में भी इसका बेजा इस्तेमाल होगा. साथ ही वह दुनिया के गुड्स मार्केट में अपनी पैठ बढ़ाएगा. उसका टेक्नॉलॉजी सेक्टर भी मजबूत हो जाएगा. चीन की इसी ताकत को कम करने के लिए अमेरिका ने यह प्रतिबंध लगाया है.
वैसे भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में दुनिया का हर देश इलेक्ट्रानिक सेमीकंडक्टर चिप्स के बाजार को कंट्रोल करना चाहता है. इसे देखते हुए भारत, चीन समेत कई देशों ने चिप्स की मैन्युफैक्चरिंग शुरू की है. लेकिन ड्रैगन अभी तक सिर्फ 28 NM से बड़े चिप ही बना पाता है. छोटे चिप के लिए वह इंपोर्ट पर निर्भर है. ऐसे में उसे इसके अमेरिका का मुंह ताकना पड़ता है.