OCCRP America: करोड़ों की फंडिंग का पता नहीं...टारगेट पर रहते हैं दुश्मन, कहानी अमेरिका के प्यादे OCCRP की
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OCCRP America: करोड़ों की फंडिंग का पता नहीं...टारगेट पर रहते हैं दुश्मन, कहानी अमेरिका के प्यादे OCCRP की

Organised Crime Reporting: ओसीसीआरपी को 2007 में स्थापित किया गया था. इसका दावा है यह दुनिया के छह महाद्वीपों में पत्रकारों का एक नेटवर्क है, जो अपराध और भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों पर रिपोर्टिंग करने में एक्सपर्ट है. वह पूरी तरह से स्वतंत्र तरीके से काम करता है.

OCCRP America: करोड़ों की फंडिंग का पता नहीं...टारगेट पर रहते हैं दुश्मन, कहानी अमेरिका के प्यादे OCCRP की

What is OCCRP: ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) अपनी नेगेटिव रिपोर्ट्स को लेकर पिछले कुछ महीनों से चर्चा में बना हुआ है. इस संगठन ने कुछ महीने पहले भारत के बड़े कारोबारी समूह को भी टारगेट किया था. गुरुवार को इसी को लेकर भारत की सियासत भी गरमाई रही. ओसीसीआरपी को लेकर बीजेपी कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर हमलावर है. बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने निशाना साधते हुए कहा, 'राहुल गांधी वही बोलते हैं, जो 'ओसीसीआरपी' लिखता है. दोनों एक दो बदन एक आत्‍मा हैं.' 

चलिए अब जानते हैं कि आखिर ये ओसीसीआरपी है क्या, जिसकी वजह से इतना बवाल मचा हुआ है. ओसीसीआरपी को 2007 में स्थापित किया गया था. इसका दावा है यह दुनिया के छह महाद्वीपों में पत्रकारों का एक नेटवर्क है, जो अपराध और भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों पर रिपोर्टिंग करने में एक्सपर्ट है. वह पूरी तरह से स्वतंत्र तरीके से काम करता है.

OCCRP पर सामने आए कई खुलासे

हाल ही में फ्रांसीसी अखबार 'मीडियापार्ट' की ओसीसीआरपी पर जारी हुई खोजी रिपोर्ट में बताया गया कि यह एक अमेरिकी सरकार के प्रभाव वाला संगठन है.

'द हिडेन लिंक्स बिटवीन जायंट ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म एंड यूएस गवर्मेंट' नाम के टाइटल से पब्लिश एक रिपोर्ट में कहा गया कि जो बाइडेन की अगुआई वाली अमेरिकी सरकार से इस संगठन को काफी वित्तीय मदद मिली है.

अमेरिकी सरकार से फंड मिलने के कारण ओसीसीआरपी का फोकस रूस और वेनेजुएला के मुद्दों पर होता है, जिन्हें अमेरिका अपना विरोधी मानता है. रिपोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक, वेनेजुएला के भ्रष्टाचार को सामने लाने के लिए ओसीसीआरपी के बैंक खाते में 1,73,324 डॉलर पहुंचाए गए थे.

कई अहम पदों पर नियुक्ति का अधिकार

रिपोर्ट में आगे बताया गया कि अमेरिकी सरकार से फंड मिलने के कारण, वहां की सरकार के पास संगठन में अहम पदों पर नियुक्तियां करने का अधिकार है. इसमें संगठन के सह-संस्थापक ड्रयू सुलिवन की नियुक्ति भी शामिल है.

फंडिंग की जानकारी नहीं करता पब्लिक

रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी गृह मंत्रालय से फंड मिलने के बाद भी ओसीसीआरपी अपनी फंडिंग की जानकारी को पब्लिक नहीं करता है. ओसीसीआरपी के बनने के बाद से लेकर अभी तक इसे अमेरिकी सरकार से कम से कम 47 मिलियन डॉलर, यूरोपीय देशों (ब्रिटेन, स्वीडन, डेनमार्क, स्विट्जरलैंड, स्लोवाकिया और फ्रांस) से 14 मिलियन डॉलर और यूरोपीय संघ से 1.1 मिलियन डॉलर की राशि मिली है, लेकिन ओसीसीआरपी की वेबसाइट पर इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई.

इस साल अगस्त में ओसीसीआरपी ने भारत के एक बड़े कारोबारी ग्रुप को निशाना बनाते हुए एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें बिना आधार के कई आरोप लगाए गए थे. ग्रुप ने इन आरोपों का खंडन किया था. साथ ही कहा गया था कि सभी व्यापारिक गतिविधियां कानूनों के मुताबिक हैं.

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