What is separation marriage: आज की युवा पीढ़ी बिना किसी झगड़े, बहस और टेंशन के हैपी मैरिड लाइफ बिताने का सपना देखती है. इसके बावजूद दुनियाभर में शादियों के टूटने की दर बढ़ रही है. ऐसे में जापान में एक अनोखा प्रयोग हुआ. वहां सेपरेशन मैरिज का चलन बढ़ा है.
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Social News: दुनियाभर में शादियों के टूटने की दर तेजी से बढ़ी है. भारत, जहां शादी को सात जन्मों का बंधन माना जाता है, वहां भी आए दिन तलाक की खबरें सामने आ रही है. हाल ही में आई प्यू रिसर्च सेंटर की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अमेरिका में करीब 50% शादियों का अंत तलाक होता है. 1960 के दशक से बढ़ा डायवोर्स का ये चलन हर महाद्वीप में दिख रहा है. रिसर्च के मुताबिक मालदीव जैसे छोटे देश में भी डिवोर्स रेट हाई है. रूस, अमेरिका, कनाडा, जॉर्जिया, चीन, यूक्रेन, जापान और कोस्टा रिका जैसे कई देश हैं, जहां तलाक के मामले बढ़ रहे हैं. अमेरिका और कनाडा में 40-50 फीसदी शादियां का अंत डिवोर्स पर होता है, वहीं जापान में ये रेट 1.2% ही है.
जापान में अनूठा प्रयोग- सेपरेशन मैरिज
जापान में तलाक की दर भले ही कम हो लेकिन यहां शुरू हुआ सेपरेशन मैरिज का चलन दुनिया के कई देशों में देखा जा रहा है. दरअसल सैकड़ों जापानी कपल एक ही शहर में रहते हुए भी अलग रहते और वीकेंड्स पर मिलते हैं. माना जा रहा है कि इससे तनाव और तलाक दोनों की दर कम हो सकती है. जापान के लोगों ने इस फॉर्मूले को एक नाम भी दिया है. इसे सोत्सुकॉन कहा जाता है, जिसमें कोई कपल कानूनी तौर पर शादीशुदा होकर भी आजाद जिंदगी जीता है.
सेपरेशन मैरिज कितनी कारगर?
ऐसी शादियों के समर्थकों का कहना है कि जापान के लोग एक-दूसरे को स्पेस देने पर खासा यकीन करते हैं. पति-पत्नी के रिश्ते में ये स्पेस बना रहे, इसके लिए यहां नया प्रयोग हो रहा है. इसमें कपल शादी के बाद भी ज्यादातर समय अलग रह रहे हैं. ताकि उनकी प्राइवेसी और आजादी बनी रहे, वहीं उनके बीच का रोमांस भी बरकरार रह सके.
हालांकि यह चलन क्या वाकई तलाक दर को कम करने में प्रभावी है, इसके अधिकारिक आंकड़े फिलहाल मौजूद नहीं है.
सेपरेशन मैरिज में कैसे गुजारा होता है?
सेपरेशन मैरिज ऐसी व्यवस्था है, जिसमें शादीशुदा जोड़े साथ होकर भी अलग रहते हैं. वो बिना किसी झगड़ा झंझट का इंतजार किए ऐसा फैसला ले रहे हैं. इस पर रजामंदी जताने वाला कपल एक शहर में अलग-अलग घर लेकर या अलग-अलग शहरों में रहना शुरू कर देता है. आम मिया-बीवी की तरह उनमें पहले जैसा प्यार, इमोशनल बॉन्डिंग और जिम्मेदारी की भावना होती है. वो सुख-दुख बांटने के साथ एक-दूसरे के खर्चे तक बांट लेते हैं. सेपरेशन मैरिज में एक तय समय के बाद ये कपल मिलते और कुछ दिन साथ रहते हैं. इस दौरान वो सारी बातें डिस्कस होती हैं, जो एक आम पति-पत्नी के बीच होती है. फ्यूचर सेविंग, इंस्योरेंस पॉलिसी, हाउस मेड यानी काम वाली बाई की चिंता और पड़ोस के चकल्लस से लेकर बच्चों की पढ़ाई-लिखाई जैसे हर विषय पर चर्चा होती है. लेकिन ये सब वीकेंड पर ही होता है, उसके बीच में कपल तभी मिलते हैं, जब कोई इमरजेंसी होती है.