WHO का कहना है कि एंटीबायोटिक खाने के दुष्परिणाम महामारी के दौरान ही नहीं और महामारी खत्म होने के बाद तक दिखाई देंगे. यानी कोरोना काल में एंटीबायोटिक खाना जानलेवा हो सकता है.
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नई दिल्ली: जैसे जैसे दुनिया में कोरोना वायरस (coronavirus) का प्रकोप बढ़ रहा है, इससे बचने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं (Antibiotics) का उपयोग भी बढ़ गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबायोटिक दवाओं के बढ़ते उपयोग के खिलाफ चेतावनी दी है.
WHO का कहना है कि एंटीबायोटिक खाने के दुष्परिणाम महामारी के दौरान ही नहीं और महामारी खत्म होने के बाद तक दिखाई देंगे. यानी कोरोना काल में एंटीबायोटिक खाना जानलेवा हो सकता है. WHO के महानिदेशक ट्रेडोस अधनोम घेब्रेयसस ने कहा कि बैक्टीरिया के संक्रमण का इलाज करने के लिए जो दवाएं पहले इस्तेमाल की जाती थीं, वो दवाएं अब काम नहीं कर रही हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन को डर है कि यह प्रवृत्ति बढ़ेगी. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में महानिदेशक ट्रेडोस ने कहा- 'कोविड-19 महामारी की वजह से एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग बढ़ गया है, जिससे बैक्टीरिया की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाएगी और बीमारी जल्दी ठीक नहीं होगी और इससे मौत के आंकड़े बढ़ेंगे.'
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ट्रेडोस ने कहा कि कोरोना वायरस के सभी रोगियों को संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं की जरूरत नहीं होती. WHO ने एंटीबायोटिक दवाओं को लेकर नए दिशानिर्देश भी जारी किए हैं. इसके अनुसार, संगठन ने COVID-19 रोगियों पर एंटीबायोटिक थेरेपी या प्रोफिलैक्सिस का उपयोग नहीं करने के सुझाव दिए हैं.
उन्होंने कहा कि इस तरह की दवाओं तक हर देश की पहुंच भी समान नहीं है. कुछ देश एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग बहुत ज्यादा कर रहे हैं जबकि कुछ देशों में एंटिबायोटिक दवाओं तक पहुंच सीमित है.