China News: एलन मस्क का PM मोदी पर ट्वीट सामने आते ही चीन में प्रोपेगेंडा शुरु हो गया. ग्लोबल टाइम्स ने बकायदा चाइनीज एक्सपर्ट्स को बुलाकर अपना एजेंडा सामने रख दिया. चीन के इस बयान के पीछे छिपे सच को समझना जरूरी है.
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Elon Musk India Visit: दुनिया के दिग्गज बिजनेसमैन और टेस्ला.. ट्विटर जैसी कंपनियों के मालिक एलन मस्क भारत आने वाले हैं. दुनियाभर की निगाहें इस दौरे पर होंगी. एलन मस्क पीएम मोदी से भी मुलाकात करेंगे. कहा जा रहा है कि इस दौरे पर कुछ बड़े ऐलान होने वाले हैं. लेकिन कुछ देशों को इस दौरे से जलन होने लगी है. कम से कम चीन को देखकर ऐसा ही लग रहा है. जबसे चीन ने ये सुना है तबसे चीन के सरकारी मीडिया ने भारत के बारे में उल्टे सीधे बयान देना शुरु कर दिया है. चीन खुद ही अपने एक्सपर्ट्स के वीडियो बनाकर पोस्ट कर रहा है. जिसमें दावे किये गये हैं कि भारत जाने से टेस्ला को फायदा नहीं होगा. चीन की इस घबराहट की पोल जानना जरूरी है.
असल में कुछ आंकड़े हैं जिसके माध्यम से पता चलेगा कि कैसे टेस्ला ने चीन को इलेक्ट्रिक गाड़ियों का बादशाह बना दिया और अब यही फॉर्मूला इंडिया में भी लागू हो सकता है. लेकिन अब चीन में इसको लेकर बेचैनी है. हालांकि अभी एलन मस्क भारत नहीं पहुंचे हैं. उन्होंने ऐलान जरूर किया है कि वे जल्द ही भारत आने वाले हैं. इसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि टेस्ला को लेकर भारत में कुछ बड़ा ऐलान होने वाला है.
आंकड़ों पर नजर तो डालिए..
- साल 2001 में चीन में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बैटरी और मोटर पर रिसर्च शुरु हो गया था
- लेकिन 15 साल बीतने के बाद भी 2016 तक चीन इलेक्ट्रिक कारों के मामले में अमेरिका से पीछे रहा
- इसके बाद साल 2019 आया. तब चीन में टेस्ला ने अपनी विशाल फैक्ट्री की शुरुआत की. वहां कि कंपनियों के साथ मिलकर गाड़ियों का प्रोडक्शन शुरु किया. और इसका नतीजा चौंकाने वाला था
- 2021 में चीन में सिर्फ 13 लाख इलेक्ट्रिक गाड़ियां थी जो बढ़कर 2023 में 68 लाख तक पहुंग गईं. पांच गुना से भी ज्यादा का जंप मिला.
टेस्ला के साथ काम करने का फायदा..
असल में चीन की कंपनियों को टेस्ला के साथ काम करने का फायदा मिला. टेस्ला ने वहां की लोकेल कंपनियों के साथ मिलकर अपनी गाड़ी का प्रोडक्शन किया. इससे चीन की कंपनियों को सीधे अमेरिका की हाईलेवल की तकनीक मिली. जो चीन को तो कोई कंपनी नहीं देती. पर अब चीन के पास तकनीक है तो वो उसे पीछे जाना नहीं चाहता. उसे लगता है कि कुछ भी कर लो. कोई भी प्रोपगेंडा फैला दो. पर टेस्ला को भारत जाने से रोक दो. चीन की सरकारी मीडिया ने टेस्ला को लेकर क्या नैरेटिव फैलाया है. इस स्पेशल रिपोर्ट में हमने उसके प्रोपगेंडा की हवा निकाल दी है.
एलन मस्क का PM मोदी पर ट्वीट सामने आते ही चीन में प्रोपगेंडा शुरु हो गया. ग्लोबल टाइम्स ने बाकायदा चाइनीज एक्सपर्ट्स को बुलाकर अपना एजेंडा सामने रख दिया. चीन के इस बयान के पीछे छिपे सच को समझना जरूरी है. इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बनानेवाली कंपनी टेस्ला ने ऐलान किया है कि वो अपनी टीम को इंडिया भेजने जा रहे हैं, ताकि वहां पर फैक्ट्री बनाने के लिए जगह तय की जा सके, शायद ये कई बिलियन डॉलर का प्रोजेक्ट होगा. चीन के डर की वजह है खुद टेस्ला कंपनी. जो भारत में अपना प्लांट लगा सकती है और शायद वहीं से दुनिया के दूसरे देशों में भी सप्लाई का फैसला भी कर सकती है.
इलेक्ट्रिक गाड़ियों की क्या स्थिति?
- साल 2016 तक अमेरिका में चीन से ज्यादा इलेक्ट्रिक गाड़ियां मौजूद थीं
- लेकिन अब इस रेस में चीन ने अमेरिका को बहुत पीछे छोड़ दिया है
- चीन की BYD कंपनी अभी टेस्ला के बाद इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनाने वाली दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है
- हालांकि दावा किया जा रहा है कि जल्द ही चाइनीज कंपनी पहले नंबर पर पहुंच जाएगी
- इस समय इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बैटरी बनाने की क्षमता का करीब 95 प्रतिशत चीन के पास है. यानी चीन की मदद के बिना इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनाना मुश्किल होगा
ऐसा इसलिए हो पाया क्योंकि साल 2019 में टेस्ला ने चीन के शंघाई में अपनी विशाल फैक्ट्री की शुरुआत की. इस फैक्ट्री में 20 हजार से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं. दुनिया में ये टेस्ला की सबसे बड़ी फैक्ट्रियों में एक है. टेस्टा की टेक्नोलॉजी की मदद से चाइनीज कंपनियों को इलेक्ट्रिक कार के बारे में पूरी जानकारी मिली. और इसके जरिए ही चीन का मार्केट आज इतना बड़ा बन चुका है.
ग्लोबल टाइम्स नैरेटिव की कोशिश कर रहा
अब टेस्ला की भारत में एंट्री हो सकती है. और पहले जो फायदा चीन को मिला. वही भारत को भी मिल सकता है. यही चीन का सबसे बड़ा डर है जिसे दुनिया भर फैलाने के लिए चीन का सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स लगातार नैरेटिव बनाने की कोशिश कर रहा है. क्या भारत में बनी कारों को ड्यूटी फ्री करके अमेरिका के बाजार में दाखिल होने दिया जाएगा. जबकि चीन में बनी गाड़ियों के साथ ऐसा नहीं होता है. कहा जाता है कि चीन की सरकार सब्सिडी देती है, तो ये बाजार के लिए सही नहीं है.
चीन के लिए बर्दाश्त करना मुश्किल..
चीन के कष्ट की असली खबर ग्लोबल टाइम्स के जरिए सामने आई है. चीन को लगता है कि अमेरिका और भारत के बीच करीबी संबंध हैं. इसलिए अमेरिका की सरकार मेड इन इंडिया गाड़ियों को आसानी से अपने यहां इंपोर्ट करेगी. और टेस्ला एक अमेरिकी कंपनी है इसलिए हो सकता है उसपर टैक्स भी नहीं लगाए जाएं. यानी भारत और टेस्ला दोनों का फायदा हो सकता है. और चीन के लिए इसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया है.
रस्साकशी चल रही है..
इलेक्ट्रिक गाड़ियां तो सिर्फ शुरुआत हैं. अभी भारत और चीन के बीच रस्साकशी चल रही है. जिसमें भारत की ताकत. चीन पर इक्कीस पड़ रही है.
- इकॉनमी की रफ्तार के मामले में देखिए. भारत इस समय दुनिया की सबसे तेज रफ्तार से चल रही अर्थव्यवस्था है. जबकि चीन. .भारत से पीछे है. उसकी इकॉनमी सुस्त हो गई है. हो सकता है कुछ दिनों में कछुए की रफ्तार को टक्कर देती दिखाई दे
- जीडीपी की रफ्तार में तो यही दिख रहा है. 2024 में भारत की रफ्तार है 7.0 और चीन सिर्फ 4.6 पर है. बहुत पीछे है
- अब भारत की स्पीड ज्यादा है तो बाहर से लोग आ रहे हैं पैसे लगा रहे हैं. डॉलर आ रहा है. 2021 से 2022 के बीच 65 बिलियन डॉलर का इंवेस्टमेंट हुआ है. 400 प्रतिशत बढ़ गया है निवेश. .जबकि चीन में पिछले साल सिर्फ 20 बिलियन डॉलर आए हैं. और ये 30 सालों में सबसे कम है.
- अब सब कुछ बढ़िया है तो कंपनियां भी इंडिया शिफ्ट हो रही हैं. हर 10 में से 1 कंपनी भारत में शिफ्ट हो रही है. जबकि हर एक 5 में 1 कंपनी ने चीन से दूरी बनाना शुरु कर दिया है. वो चीन में जाना नहीं चाहती हैं कोई बिजनेस नहीं करना चाहती.
एप्पल ने चीन को बोला 'टाटा'!
भारत में 14 बिलियन डॉलर के फोन बनाए
हर 7 में 1 फोन मेड इन इंडिया
2030 में हर 7 में 3 फोन मेड इन इंडिया
फोन प्रोडक्शन2023 तक 7%
2024 में 14%
भारत में नौकरी5 लाख लोग
अभी आगे भी बहुत कुछ..
भारत अब सेमीकंडक्टर यानी चिप बनाने में भी चीन को रिप्लेस कर सकता है. कितना बड़ा मार्केट है चिप का भारत में और विदेश में भी. भारत कितनी चिप हर साल विदेशों से मंगवा रहा है और 2030 तक इसका कितना होने का अनुमान है. इनपुट जी ब्यूरो