International Women's Day: 8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है महिला दिवस, इस तरह पड़ी थी इस खास दिन की बुनियाद
Advertisement
trendingNow11600842

International Women's Day: 8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है महिला दिवस, इस तरह पड़ी थी इस खास दिन की बुनियाद

Woman's Day: आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) है. मगर ये दिन क्यों मनाया जाता है? ये कोई जश्न है या किसी विरोध का प्रतीक? ऐसे सवालों के जवाब आइए जानते हैं. 

सांकेतिक तस्वीर

Why we celebrate International Women's Day: आज 112वां अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है. पिछली एक सदी से भी ज़्यादा समंय से 8 मार्च की तारीख महिलाओं के लिए एक खास दिन के तौर पर मनाई जाती है. इस दिन को ख़ास बनाने की शुरुआत करीब 1908 में हुई थी. कहा जाता है कि तब 15000 महिलाओं ने अमेरिका के न्यूयॉर्क में एक परेड निकालकर ये मांग रखी थी कि महिलाओं के काम के घंटे कम किए जाएं. वहीं आधी आबादी को भी मर्दों की तरह अच्छी सैलरी मिले. इसके साथ ही महिलाओं को वोट डालने का अधिकार भी दिया जाए. यानी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस नाम का ये कॉन्सेप्ट एक आंदोलन से निकला था, जिसे बाद में संयुक्त राष्ट्र (UN) ने भी अपनी मान्यता दे दी थी. 

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की बुनियाद

क्लारा जेटकिन नाम की महिला ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की बुनियाद रखी थी. क्लारा वामपंथी एक्टिविस्ट थीं. वो महिलाओं के हक के लिए आवाज उठाने के साथ उनकी हर संभव मदद करती थीं. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव, 1910 में डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगेन में कामकाजी महिलाओं के लिए बुलाए गए एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में दिया था. उस दिन 17 देशों से आई 100 महिलाएं क्लारा के उस सुझाव पर सहमत हो गईं कि साल का एक दिन महिलाओं के नाम समर्पित होना चाहिए.

महिला दिवस का इतिहास

BBC में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विटजरलैंड में मनाया गया था. इसका शताब्दी समारोह 2011 में मनाया गया. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को औपचारिक मान्यता 1975 में उस वक़्त मिली, जब संयुक्त राष्ट्र ने भी ये जश्न मनाना शुरू कर दिया. संयुक्त राष्ट्र ने इसके लिए पहली थीम 1996 में चुनी थी, जिसका नाम 'गुज़रे हुए वक़्त का जश्न और भविष्य की योजना बनाना' था.

8 मार्च ही क्यों?

जब क्लारा ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव दिया था, तो उनके दिमाग में कोई खास दिन या तारीख नहीं रही होगी. ये अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस तो 1917 में जाकर तय हुआ था, जब रूस की महिलाओं ने 'रोटी और अमन' की मांग करते हुए, राजा जार की सत्ता के खिलाफ विद्रोह किया था. महिलाओं की इसमें बड़ी भूमिका थी जिसके बाद जहां जार निकोलस द्वितीय का राज खत्म हुआ और उसके बाद बनी अस्थायी सरकार ने महिलाओं को वोट डालने का अधिकार दिया था.

रंग की अहमियत

रिपोर्ट्स के मुताबिक़, जामुनी, हरा और सफेद अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रंग हैं. 'जामुनी रंग इंसाफ़ और सम्मान का प्रतीक है. हरा रंग उम्मीद जगाने वाला है, तो सफेद रंग शुद्धता की नुमाइंदगी करता है.'

हिंदी ख़बरों के लिए भारत की पहली पसंद ZeeHindi.com - सबसे पहले, सबसे आगे

Trending news