2 विश्व युद्ध, 2 परमाणु हमले झेलकर भी खड़ी है दुनिया की सबसे पुरानी कंसट्रक्शन कंपनी, 1400 साल से लगातार चल रही
World Oldest Company : लोग हैं तो उनके लिए चीजें और सर्विसेस भी चाहिए. इसके लिए कंपनी-फैक्ट्री भी खुलेंगी. दुनिया की सबसे पुरानी कंपनी की बात करें तो यह 1400 साल पुरानी है और आज भी चल रही है.
Oldest Company in the World: 100-150 साल पुराने ब्रांड्स के बारे में तो आपने सुना होगा और इनमें से कई बेहद मशहूर भी हैं. लेकिन 200 साल से ज्यादा पुराने ब्रांड या कंपनी की बात करें तो गूगल का सहारा लेना पड़ जाएगा. ऐसे में 1400 साल पुरानी कंपनी की बात करें तो यकीन करना मुश्किल हो जाएगा. लेकिन दुनिया में अभी जो सबसे पुरानी कंपनी है वो 1445 साल पुरानी है और इतनी सदियों से लगातार कारोबार करते हुए आज भी चल रही है. यह एक कंस्ट्रक्शन कंपनी है और जापान में है.
यह भी पढ़ें: इस देश में कदम रखते ही बन जाएंगे करोड़पति, रहना-खाना-घूमना भी बहुत सस्ता
578 ईसवी में शुरू हुई थी यह रियल स्टेट
जापान की कांगो गूमी नाम की रियल एस्टेट कंपनी 1400 साल से ज्यादा समय चालू है. इस कंपनी की स्थापना कोरिया के बिल्डर शीगमिशु कांगो ने साल 578 ईसवी में की थी. तब से ही यह कंपनी लगातार काम कर रही है. इस दौरान इसने कई मंदिर बनाए. अहम लैंडमार्क बनाए. इनमें से कई समय के साथ नष्ट भी हो गए लेकिन यह कंपनी आज भी खड़ी है और कारोबार कर रही है.
यह भी पढ़ें: वो देश जहां एक ही समय में रहता है दिन और रात, कहीं ब्रेकफास्ट तो कहीं डिनर करते हैं लोग
40 पीढ़ियों ने संभाली कंपनी
इस कंपनी ने 2 विश्व युद्ध देखे और 2 परमाणु बम के हमले भी झेले. अंग्रेजों की गुलामी का दौर देखा. लेकिन कंपनी खड़ी रही. इस कंपनी को 40 पीढ़ियों ने संभाला है, जिनका नाम कांगो गूमी के ओसाका शहर स्थित हेडक्वॉर्टर में 3 मीटर की एक लंबी पट्टिका में लिखा हुआ है.
यह भी पढ़ें: रोंगटे खड़े कर देगी इस लड़की के हनीमून की कहानी, Photo देख लोग बोले - तुम हिम्मत...
जापान के प्रिंस ने बुलाया था कोरियाई कंपनी
कोरियाई रियल एस्टेट कंपनी कांगो गूमी को जापान के प्रिंस शोकोतु ने बुद्ध मंदिर का निर्माण करने के लिए अपने देश बुलाया था. तब से ही इसका हेडक्वॉर्टर जापान में ही है. जापान में कांगो गूमी की बनाई ढेरों लैंडमार्क इमारतें और मंदिर हैं. जैसे 593 ईसवी में बना जापान का पहला बुद्ध मंदिर, 16वीं शताब्दी में बनाया गया ओसाका कैसल आदि. यानी कि इसके बनाए इन भवनों को यूनेस्को ने अपनी विश्व विरासत की सूची में डाल दिया है. इतना ही नहीं इस कंपनी को निर्माण में लकड़ी के उपयोग में विशेष महारथ हासिल है.
यह भी पढ़ें: 166 देश घूमे चुके व्यक्ति को पसंद आया ये देश, नाम और वजह जानकर रह जाएंगे सरप्राइज
2006 में बदला स्वामित्व
काफी कुछ झेलने के बाद साल 2006 में कंपनी पर भयंकर आर्थिक बोझ पड़ा और इसे बेचना पड़ गया. अब इस कंपनी का स्वामित्व तकामशु कंस्ट्रक्शन ग्रुप के पास है, लेकिन आज भी यह कंपनी कांगो गूमी के नाम से ही श्राइन और मंदिरों का निर्माण करती है. इसे बेचे जाने से पहले तक इसमें करीब 100 एम्प्लाईज काम कर रहे थे.