UNSC में भारत ने फिर कहा, महिलाओं के खिलाफ हिंसा बर्दाश्त नहीं
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UNSC में भारत ने फिर कहा, महिलाओं के खिलाफ हिंसा बर्दाश्त नहीं

महिलाओं के खिलाफ हिंसा को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कहा है कि उसे शांति बहाली के जटिल तरीकों पर अपने आदेश को सरल बनाना चाहिए। साथ ही, शांति बहाली गतिविधियों के जरिए संघर्ष के हालात का सामना कर रही महिलाओं के मुद्दों के समाधान पर फोकस होना चाहिए।

संयुक्त राष्ट्र : महिलाओं के खिलाफ हिंसा को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कहा है कि उसे शांति बहाली के जटिल तरीकों पर अपने आदेश को सरल बनाना चाहिए। साथ ही, शांति बहाली गतिविधियों के जरिए संघर्ष के हालात का सामना कर रही महिलाओं के मुद्दों के समाधान पर फोकस होना चाहिए।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, दूत अशोक मुखर्जी ने कहा कि हालिया वषरें में संघर्ष की स्थिति में खतरे का सामना कर रहे नागरिकों की स्थिति में अहम बदलाव आया है। इस अस्थिरता और हिंसा का अनुभव सबसे अधिक नागरिक आबादी विशेषकर महिलाओं और लड़कियों ने किया है।

उन्होंने कहा कि भारत के पास पिछले छह दशकों में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों का खासा अनुभव है और महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति को लेकर प्रतिबद्ध है। मुखर्जी ने उल्लेख किया कि सदस्य देशों के भीतर आंतरिक संघर्ष के हालात की स्थिति में संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षकों की तैनाती बढ़ी है।

भारत संयुक्त राष्ट्र का पहला सदस्य देश था जिसने 2007 में लाइबेरिया में शांति अभियानों के लिए ऑल फिमेल फाम्र्ड पुलिस यूनिट (एफपीयू) भेजा था। मुखर्जी ने कहा कि ऐसी स्थितियों में महिलाओं की हिस्सेदारी में वृद्धि से समस्या का समाधान तलाशने की दिशा में महत्वपूर्ण बदलाव हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘संघर्ष के समाधान और रोकथाम के सभी पहलुओं में महिलाओं की भागीदारी एक महत्वपूर्ण नीति प्रावधान है। शांति अभियान आदेश जारी करते समय परिषद को इसे बढ़ावा देना चाहिए।’

मुखर्जी ने कहा कि लाइबेरिया का अनुभव दिखाता है कि संघर्ष के हालात का सामना कर रही महिलाओं के मुद्दे के समाधान के लिए असल में शांति निर्माण की अवधारणा अपनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि परिषद को शांति बहाली के जटिल तरीकों पर अपने आदेश को सरल बनाना चाहिए और शांति बहाली गतिविधियों के जरिए संघर्ष के हालात का सामना कर रही महिलाओं के मुद्दों के समाधान पर फोकस होना चाहिए जिससे कि संघर्ष के बाद समाज में परिवर्तन सतत हो।’

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