Aja Ekadashi 2022: आज है अजा एकादशी, जानिए शुभ मुहूर्त, व्रत कथा और महत्व

Aja Ekadashi 2022 Date: आज अजा एकदशी है. अजा एकादशी का व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से पूर्व जन्म में किए सभी पापों का नाश होता है तथा कई अश्वमेघ यज्ञ कराने के समान पुण्य मिलता है. कहा जाता है कि राजा हरिश्चंद्र ने भी इसी व्रत को करके अपनी समस्त बाधाओं को दूर किया था.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 22, 2022, 06:11 AM IST
  • विष्णु लोक में मिलता है स्थान
  • जानिए अजा एकदशी व्रत कथा
Aja Ekadashi 2022: आज है अजा एकादशी, जानिए शुभ मुहूर्त, व्रत कथा और महत्व

नई दिल्लीः Aja Ekadashi 2022 Date: आज अजा एकदशी है. अजा एकादशी का व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से पूर्व जन्म में किए सभी पापों का नाश होता है तथा कई अश्वमेघ यज्ञ कराने के समान पुण्य मिलता है. कहा जाता है कि राजा हरिश्चंद्र ने भी इसी व्रत को करके अपनी समस्त बाधाओं को दूर किया था.

विष्णु लोक में मिलता है स्थान
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, जो लोग अजा एकादशी का व्रत करते हुए विधि-विधान से पूजा अर्चना करते हैं और पूजा के दौरान अजा एकादशी व्रत कथा का पठन या श्रवण करते हैं, उन्हें मृत्यु के बाद विष्णु लोक में स्थान मिलता है.

जानिए अजा एकदशी व्रत कथा
राजा हरिश्चंद्र अपनी सत्यनिष्ठा और ईमानदारी के लिए जाने जाते थे. एक बार विश्वामित्र ने उनकी परीक्षा लेने की योजना बनाई. राजा ने स्वप्न में देखा कि ऋषि विश्वामित्र को उन्होंने अपना राजपाट दान कर दिया है. जब अगले दिन राजा हरिश्चंद्र विश्वामित्र को अपना समस्त राज-पाट को सौंप कर जाने लगे तो विश्वामित्र ने राजा हरिश्चंद्र से दक्षिणा स्वरूप 500 स्वर्ण मुद्राएं दान में मांगी.

राजा ने उनसे कहा कि पांच सौ क्या, आप जितनी चाहे स्वर्ण मुद्राएं ले लीजिए. इस पर विश्वामित्र हंसने लगे और राजा को याद दिलाया कि राजपाट के साथ राज्य का कोष भी वे दान कर चुके हैं और दान की हुई वस्तु दोबारा दान नहीं की जाती है. तब राजा ने अपनी पत्नी और पुत्र को बेचकर स्वर्ण मुद्राएं हासिल की, लेकिन वो भी पांच सौ नहीं हो पाईं.

राजा हरिश्चंद्र ने खुद को भी बेच डाला और सोने की सभी मुद्राएं विश्वामित्र को दान में दे दीं. राजा हरिश्चंद्र ने खुद को जहां बेचा था वह श्मशान का चांडाल था. चांडाल ने राजा हरिश्चंद्र को श्मशान भूमि में दाह संस्कार के लिए कर वसूली का काम दे दिया.

एक दिन राजा हरिश्चंद्र ने एकादशी का व्रत रखा हुआ था. आधी रात का समय था और राजा श्मशान के द्वार पर पहरा दे रहे थे. बेहद अंधेरा था, इतने में वहां एक लाचार और निर्धन स्त्री बिलखते हुए पहुंचीं, जिसके हाथ में अपने पुत्र का शव था. राजा हरिश्चंद्र ने अपने धर्म का पालन करते हुए पत्नी से भी पुत्र के दाह संस्कार हेतु कर मांगा.

पत्नी के पास कर चुकाने के लिए धन नहीं था इसलिए उसने अपनी साड़ी का आधा हिस्सा फाड़कर राजा का दे दिया. उसी समय भगवान प्रकट हुए और उन्होंने राजा से कहा, 'हे हरिश्चंद्र, इस संसार में तुमने सत्य को जीवन में धारण करने का उच्चतम आदर्श स्थापित किया है. तुम्हारी कर्त्तव्यनिष्ठा महान है, तुम इतिहास में अमर रहोगे.' इतने में ही राजा का बेटा रोहिताश जीवित हो उठा. ईश्वर की अनुमति से विश्वामित्र ने भी हरिश्चंद्र का राजपाट उन्हें लौटा दिया.

आज का पंचांग
भाद्रपद - कृष्ण पक्ष - एकादशी - सोमवार
नक्षत्र - मृगशीर्षा नक्षत्र
महत्वपूर्ण योग- वज्र योग
चंद्रमा का मिथुन राशि पर संचरण
आज का शुभ मुहूर्त - 11.54 बजे से 12.43 बजे तक
राहु काल - 07.37 बजे से 09.11 बजे तक

त्योहार- अजा एकादशी

गुप्त मनोकामना की पूर्ति के लिए
1 काली मिर्च, 7 लौंग, काले तिल और एक बिल्व पत्र शिवलिंग पर अर्पित करें और भोलेनाथ से अपनी मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करें.

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