नई दिल्ली. मासिक धर्म में अनियमितता महिलाओं के लिए सबसे बड़ी समस्या होती है. इसके लिए खानपान में गड़बड़ी और जीवनशैली में बदलाव समेत कई कारक जिम्मेदार होते हैं. वहीं, ज्योतिष शास्त्र में मासिक धर्म संबंधी नियमितता के लिए चंद्रमा और मंगल ग्रह को जिम्मेदार माना गया है.
ज्योतिष की दृष्टि से महिलाओं की कुंडली में चंद्रमा और मंगल की खराब स्थिति मासिक धर्म अनियमितता का मुख्य कारण बनती है. चंद्रमा द्रव का कारक है और मंगल रक्त का कारक है. चंद्रमा अंडाशय, गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब का भी कारक है. यदि चन्द्रमा छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो और मंगल, शनि, राह, केतु जैसे किन्हीं दो अशुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो मासिक धर्म में अनियमितता का सामना करना पड़ता है.
मंगल और चंद्रमा की युति से महिलाओं को मासिक धर्म होता है. पाप ग्रहों की पीड़ा के कारण मासिक धर्म की अधिकता होती है. शनि, राहु, केतु और मंगल पाप ग्रह हैं. दर्द और अनियमितता शनि की पीड़ा के कारण होती है.
मासिक धर्म संबंधी विकारों के लिए उपाय
- रत्न धारण कर या पूजा करके सबसे पहले चन्द्रमा को मजबूत करें.
- यदि आपका चंद्र ग्रह कमजोर है तो सफेद मोती धारण करें. यह औसत 10 से 12 रति का होना चाहिए.
- यदि आपका मंगल ग्रह अच्छी स्थिति में नहीं है तो 9 से 10 रति का लाल मूंगा धारण करें.
- प्रतिदिन बजरंगबान का पाठ करना करें.
- मसालेदार भोजन करने से बचें.
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)
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