Dev Uthani Ekadashi Mantra: देवउठनी एकादशी पर जरूर पढ़ें ये मंत्र, भगवान विष्णु बरसाएंगे अपार कृपा!

Dev Uthani Ekadashi Mantra: देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु लंबी निद्रा से उठते हैं. ऐसा माना जाता है कि उन्हें जगाने के लिए मंत्रों और आरती का जाप किया जाता है. चलिए, पढ़ते हैं देवउठनी एकादशी के लिए कुछ खास मंत्र.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 10, 2024, 05:14 PM IST
  • 12 नवंबर को एकादशी
  • इस दिन करें मंत्रों का जाप
Dev Uthani Ekadashi Mantra: देवउठनी एकादशी पर जरूर पढ़ें ये मंत्र, भगवान विष्णु बरसाएंगे अपार कृपा!

नई दिल्ली: Dev Uthani Ekadashi Mantra: देवउठनी एकादशी 12 नवंबर, 2024 को है. इस दिन भगवान विष्णु चार माह की गहरी निद्रा से उठेंगे. भगवान विष्णु को उठाने के लिए आप विशेष मंत्रों का जाप कर सकते हैं, इससे आपको लाभ होगा. आप चाहें तो भगवान विष्णु की आरती भी गा सकते हैं, इससे भगवान आपसे प्रसन्न होंगे और आप पर अपनी विशेष कृपा बरसाएंगे.



देवउठनी एकादशी की तिथि

देवउठनी एकादशी कार्तिक माह की 11 नवंबर को शाम के 6 बजकर 46 मिनट से शुरू होकर 12 नवंबर को शाम 04 बजकर 04 मिनट तक रहेगी. उदय तिथि में होने के कारण देवउठनी एकादशी का व्रत 12 नवंबर को रखा जाएगा.



भगवान विष्णु के मंत्र (Bhagwan Vishnu Mantra)

ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।

तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।।



मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।

मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः।।



ॐ नमोः नारायणाय।।

ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय।।



शान्ता कारं भुजग शयनं पद्म नाभं सुरेशम्

विश्वा धारं गगन सदृशं मेघ वर्णं शुभाङ्गम् ।



लक्ष्मी कान्तं कमल नयनं योगिभिर्ध्या नगम्यम्

वन्दे विष्णुं भव भय हरं सर्वलोकैक नाथम् ।।



भगवान विष्णु की आरती (Bhagwan Vishnu Aarti)

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे।।

जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।

सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का।। ॐ जय जगदीश हरे।।

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी।। ॐ जय जगदीश हरे।।

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी।

पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी।। ॐ जय जगदीश हरे।।

तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता।। ॐ जय जगदीश हरे।।

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति।। ॐ जय जगदीश हरे।।

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे।। ॐ जय जगदीश हरे।।

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा।। ॐ जय जगदीश हरे।।

तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।

तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा।। ॐ जय जगदीश हरे।।

जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।

कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे।। ॐ जय जगदीश हरे।।

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