नई दिल्लीः Gupt Navratri 2023: हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व विशेष महत्व रखता है. शक्ति की साधना के लिए इस पर्व को काफी महत्वपूर्ण माना गया है. नवरात्रि का पर्व एक साल में 4 बार मनाया जाता है. इनमें दो गुप्त नवरात्रि होती है और दो नवरात्रि व्यापक रूप से मनाई जाती है. गुप्त रूप से मनाई जाने वाली नवरात्रि माघ और आषाढ़ महीने में पड़ती है.
आज से शुरू हो रही है गुप्त नवरात्रि
वहीं, व्यापक रूप से मनाई जाने वाली नवरात्रि चैत्र और शारदीय नवरात्रि होती है. आषाढ़ माह की नवरात्रि आज दिनांक 19 जून दिन सोमवार से शुरू हो रही है. आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से इस नवरात्रि का काफी महत्व है.
क्या है शुभ मुहूर्त
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 18 जून की सुबह 10 बजकर 6 मिनट पर होगी. वहीं, प्रतिपदा तिथि का अंत 19 जून को सुबह 11 बजकर 25 मिनट पर होगा. उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए नवरात्रि का व्रत 19 जून से रखा जाएगा.
गुप्त नवरात्रि में कैसे करें पूजा पाठ
गुप्त नवरात्रि में देवी को प्रसन्न करने के लिए सूर्योदय से पहले उठना चाहिए. इसके बाद स्नान करके शुभ मुहूर्त में किसी पवित्र स्थान पर देवी की मूर्ति या चित्र को एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर रखें. साथ ही इसे गंगा जल से पवित्र करें. देवी को पूजा आरंभ करने से पहले ही मिट्टी के पात्र में जौ के बीज बो दें.
दरअसल, गुप्त नवरात्रि में तंत्र साधना की जाती है. साथ ही सब कुछ छुपाकर गोपनीय तरीके से पूजा की जाती है. इस दौरान कुल 9 दिनों के लिए कलश की स्थापना की जाती है. देवी की कृपा पाने के लिए सुबह और शाम दोनों समय मंत्र का जाप करें और दुर्गा चालीसा या सप्तशती का पाठ करें.
गुप्त नवरात्रि का महत्व
धार्मिक मान्यताओं की मानें, तो गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक और साधु मुख्य रूप से मां दुर्गा को प्रसन्न करते हैं. गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक 10 महाविद्याओं को प्रसन्न कर पूजा करते हैं. साथ ही गुप्त सिद्धियां और तांत्रिक सिद्धियां प्राप्त करते हैं. यह भी मान्यता है कि इस दौरान मां दुर्गा की पूजा जितनी गुप्त रखी जाती है उसका फल उतना ही ज्यादा प्राप्त होता है.
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