जातक कथा: कबूतर और उसका लालची कौवा दोस्त, जानिए क्या हुआ अंजाम

जातक कथा में एक कहानी है जो कि लोभ का हश्र और लोभी मित्र का साथ करने का बुरा परिणाम बताती है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 30, 2021, 09:18 AM IST
जातक कथा: कबूतर और उसका लालची कौवा दोस्त, जानिए क्या हुआ अंजाम

नई दिल्लीः बौद्ध ग्रंथ त्रिपिटक (Buddhist scripture Tripitaka) का अंश जातक कथाएं (Jatak Tales) बहुत लोकप्रिय साहित्य के तौर पर प्रसिद्ध है. नीति बताने वाले यह कहानियां महात्मा बुद्ध (Lord Buddha) के पूर्वजन्म के प्रसंग से निकली बताई जाती हैं,

इसलिए इनसे आस्था का वास्ता तो है साथ ही बच्चों में बचपन से ही नैतिक ज्ञान भरने की स्त्रोत भी हैं. यह बुद्ध के विभिन्न यौनियों से होकर तथागत बनने के बीच की यात्रा भी है. 

टोकरी में रहता था कबूतर
इसी में एक कथा आती है जो कि लोभ का हश्र और लोभी मित्र के बुरे परिणाम बताती है. कहानी कुछ ऐसी है कि एक राजा के रसोइयों ने अपनी रसोई के बाहर पक्षियों के लिए टोकरियां टांग रखी थीं. रसोई में जो भी पकता उसका कुछ अंश टोकरी में भी डाल दिया जाता है. 

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एक दिन कौवा भी रहने आया
इस टोकरी में एक कबूतर (PIGEON) हने लगा था. वह रात भर इस टोकरी में रहता और दिन निकलने पर उड़ जाता था. शाम होने पर वह फिर लौट आता था. एक दिन एक कौवा (Crow) भी उस रसोई में पक रहे पकवानों की खुश्बू से आकर्षित होकर टोकरी पर आ बैठा.

पहले तो उसने कबूतर से प्रेम से बातें कीं और फिर उस टोकरी में रखे पकवान के अंश भी खाए. कबूतर को भी साथी मिला तो उसे अच्छा लगा. 

उसने कौवे का अतिथि सत्कार किया और रहने के लिए जगह दी. लेकिन चेतावनी भी दी कि रसोई घर से उन्हें कुछ भी नहीं चुराना चाहिए.

रसोइयों ने टांग दी दो टोकरियां
रसोइयों ने जब दोनों पक्षियों को साथ-साथ देखा तो उन्होंने तत्काल कौवे के लिए भी एक टोकरी, कबूतर की टोकरी के पास लटका दी, यह सोचते हुए कि ऐसा करने से दोनों मित्रों को बातचीत करते रहने के और भी अच्छे अवसर मिलेंगे.

दूसरे दिन कबूतर जब तड़के ही उड़कर दूर निकल गया तो कौवा वहीं टोकरी में दुबका पड़ा रहा. उस दिन रसोइयों ने मछली पकाई थी. पकती मछली की महक से कौवे के मुंह में पानी भर आया. 

कौवे के मन में जागा लालच
समय-समय पर वह टोकरी के बाहर सिर निकालता और मांस चुराने का मौका तलाशता. एक बार उसने जब देखा कि रसोई घर के रसोइये बाहर निकले हुए हैं तो वह उड़ता हुआ नीचे आया और पकते मांस के एक बड़े से टुकड़े पर चोंच मार दी जिससे हांड़ी के ऊपर रखा कड़छुल नीचे गिर गया.

कड़छुल की आवाज़ सुन एक रसोइया दौड़ता हुआ नीचे आया और कौवे की चोरी पकड़ ली. उसने कौवे को धर दबोचा और बड़ी बेरहमी से उसके पंखों को नोच उसे मिर्च-मसालों में लपेट कर बाहर फेंक दिया. थोड़ी ही देर में कौवे के प्राण निकल गये.

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कबूतर को मिली सीख
शाम को कबूतर जब अपने निवास-स्थान को लौटा तो उसने कौवे के पंख और मृत देह को बाहर फेंका हुआ पाया. साथ ही देखा कि आज टोकरी में दाना भी नहीं है. वह समझ गया कि कौवा अपने लालच का शिकार हुआ और वह इस लालची की मित्रता का. कबूतर समझदार और दूरदर्शी पक्षी था. वह तुरंत वहां से उड़कर दूर चला गया. क्योंकि वह समझ गया था कि कौवे की हरकत ने उसका भी भरोसा तोड़ दिया था. 

इस कहानी से सीख मिलती है कि लालच और चोरी न करें. दूसरी यह कि अपने हित-मित्रों को भी इससे दूर रखने की कोशिश करें. तीसरी यह कि न मानने पर समय पर ऐसे मित्रों का साथ छोड़ दें. नहीं तो आपको अपना स्थान छोड़ना पड़ सकता है या हानि उठानी पड़ सकती है. 

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