नई दिल्लीः Secrets Of Mama Kansa Happy Janmashtmi 2021: देशभर में इस वक्त जन्माष्टमी की धूम है, और अब कान्हा के जन्म का इंतजार बेसब्री से किया जा रहा है. इस मौके पर उनकी जन्मभूमि मथुरा के तो कहने ही क्या, वो तो सज-धज के अपने कन्हैया की राह देख रही है. मथुरा की बात होती है तो याद आती है वो जेल जहां कान्हा का जन्म हुआ और याद आते हैं मामा कंस.
जिसके पाप से धरती को मुक्त कराने भगवान विष्णु धरती पर अवतार लेकर आए थे. लेकिन, रुकिए, क्या आप कंस को सिर्फ कृष्णा जी का मामा ही जानते हैं? देवकी मां के वे छह बेटों कौन थे, जिन्हें कंस ने मार दिया. इन प्रसंगों के पीछे बड़ा रहस्य छिपा है.
कंस का पूर्व जन्म
पौराणिक कथाओं में कृष्ण भगवान के साथ ही कंस मामा के पैदा होने का रहस्य भी बताया जाता है. असल में कंस अपने पिछले जन्म एक राक्षस था. जिसका नाम था कालनेमि. एक बार देवासुर संग्राम हुआ.
इस दौरान भगवान विष्णु ने कालनेमि का वध कर दिया. लेकिन श्रीहरि ने कहा, कालनेमि मरा नहीं है, सिर्फ उसका एक जन्म समाप्त हुआ है. वह पहले भी असुर रूप में जन्म ले चुका है और आगे भी असुर बन कर पैदा होगा.
उग्रसेन का नहीं था पुत्र
इस घटना के हजारों वर्षों बाद द्वापर युग में महाराज उग्रसेन और उनकी पत्नी पवनरेखा के घर कंस का जन्म होता है. कंस के पिता भले ही उग्रसेन हैं, लेकिन कथाओं के अनुसार वह उनका पुत्र नहीं था. हुआ यूं कि एक बार रानी पवनरेखा विवाह के बाद अपने मायके गई थीं. एक दिन उन पर एक गंधर्व की नजर पड़ गई और वह उन पर मोहित हो गया.
इसके बाद गंधर्व ने माया फैलाकर रानी पवनरेखा को अपने वश में कर लिया. इसके कुछ दिन बाद रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया. यही पुत्र कंस था और इसके आसुरी प्रभाव बचपन से ही दिखने लगे थे. बड़ा होते-होते कंस अत्याचारी और घमंडी होता चला गया.
गर्भ देवकी का, पुत्र कंस के?
इसके बाद कंस को आकाशवाणी में अपनी मौत का रहस्य पता चला, इसके बाद उसने देवकी-वसुदेव को कारागार में डाल दिया. अब कहानी नए मोड़ पर आती है. दरअसल, कंस आठवें पुत्र के इंतजार में देवकी के सभी पुत्रों की हत्या करता जा रहा था. एक-एक करके उसने छह पुत्रों की हत्या कर दी थी.
ये छह पुत्र भी साधारण नहीं थे, कृष्ण कथा के साथ इनका भी रहस्य जुड़ा है. दरअसल, ये कंस की ही संतानें थीं. अब आप चौंक जाएंगे कि कंस के पुत्र और बहन के गर्भ से.... है न चौंकाने वाली बात?
इसलिए की छह पुत्रों की हत्या
ये कहानी भी कंस के पूर्व जन्म कालनेमि से जुड़ी है. दरअसल राक्षस कालनेमि के छह पुत्र थे, लेकिन वह अपने पिता की तरह राक्षसी विचार वाले नहीं थे. उन्होंने ब्रह्मा-विष्णु की तपस्या की. इस बात से नाराज होकर राक्षस हिरण्यकशिपु ने उन्हें श्राप दे दिया. उसने कहा कि जिस पिता ने तुम्हें पालकर बड़ा किया, तुम उसका ही विद्रोह कर रहे हो, तुम्हें तुम्हारा यही पिता पटककर मार डाले तो अच्छा.
कालनेमि उस जन्म में तो उन्हें मार नहीं सकता था, इसलिए जब वह कंस बनकर जन्मा तब द्वापर में इन्हीं छह पुत्रों ने देवकी के गर्भ से जन्म लिया. तपस्या के फल के कारण वह भगवान विष्णु के भाई बने और परमधाम को गए.
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