नई दिल्ली: 1992 में राम मंदिर आंदोलन चरम पर था. तब बाबरी मस्जिद के स्थान पर राम मंदिर (Ram Mandir) बनाने के लिए रामभक्तों का उत्साह हिलोरे मार रहा था और समूचा देश राममय हो गया था. भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी (Lalkrishna Advani) के नेतृत्व में निकाली गई रथ यात्रा ने श्रीराम के नाम पर सभी को एकजुट कर दिया था. कारसेवकों की कारसेवा में बाबरी मस्जिद विध्वंस हो गया था.
बाबरी विध्वंस मामले पर अदालत 30 सितंबर को सुनाएगी फैसला
बाबरी विध्वंस मामले (Babari Demolition Case) में सुनवाई कर रही सीबीआई की एक विशेष अदालत तीस सितंबर को अपना फैसला सुनाएगी. सीबीआई के विशेष जज एस के यादव ने सभी आरोपियों को फैसले के दिन अदालत में उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं.
क्लिक करें- China Tension: मोदी सरकार ने LAC तनाव के मुद्दे पर बुलाई सर्वदलीय बैठक
कई वरिष्ठ BJP नेता हैं आरोपी
आपको बता दें कि बाबरी मस्जिद विध्वंस करने के मामले में कुल 32 आरोपियों में पूर्व उप-प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, विनय कटियार और उमा भारती मुख्य रूप से शामिल हैं.
28 साल बाद आ रहा है फैसला
उल्लेखनीय है कि 6 दिसम्बर 1992 को हुई कारसेवा में बाबरी मस्जिद विध्वंस कर दिया गया था. सीबीआई के वकील ललित सिंह ने बताया कि अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष दोनों की बहस एक सितंबर को समाप्त हो गई, उसके बाद विशेष जज ने फैसला लिखना आरंभ कर दिया था. बाबरी विध्वंस मामले में अदालत का फैसला 28 साल बाद आ रहा है.