SC/ST समुदाय के आरोप लगा देने भर से उच्च जाति के व्यक्ति पर नहीं हो सकता Case

जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अगुवाई वाली Supreme Court की पीठ ने कहा, एससी/एसटी ऐक्ट  (SC/ST) के तहत कोई अपराध इसलिए नहीं स्वीकार कर लिया जाएगा कि शिकायतकर्ता अनुसूचित जाति का है, बशर्ते यह यह साबित नहीं हो जाए कि आरोपी ने सोच-समझकर शिकायतकर्ता का उत्पीड़न उसकी जाति के कारण ही किया हो. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 6, 2020, 05:00 PM IST
  • जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अगुवाई वाली Supreme Court की पीठ ने की टिप्पणी
  • SC/ST समुदाय के उत्पीड़न और उच्च जाति के लोगों के अधिकारों के संरक्षण पर कोर्ट की टिप्पणी क्रांतिकारी
SC/ST समुदाय के आरोप लगा देने भर से उच्च जाति के व्यक्ति पर नहीं हो सकता Case

नई दिल्लीः समाज में जाति के आधार पर फैले जातिगत जहर के बीच Supreme Court ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. Court ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि उच्च जाति के किसी व्यक्ति को उसके कानूनी अधिकारों से सिर्फ इसलिए वंचित नहीं किया जा सकता है क्योंकि उस पर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (SC/ST) के किसी व्यक्ति ने आरोप लगाया है. 

क्रांतिकारी मानी जा रही है सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
जानकारी के मुताबिक, जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अगुवाई वाली Supreme Court की पीठ ने कहा, एससी/एसटी ऐक्ट  (SC/ST) के तहत कोई अपराध इसलिए नहीं स्वीकार कर लिया जाएगा कि शिकायतकर्ता अनुसूचित जाति का है, बशर्ते यह यह साबित नहीं हो जाए कि आरोपी ने सोच-समझकर शिकायतकर्ता का उत्पीड़न उसकी जाति के कारण ही किया हो. 

SC/ST समुदाय के उत्पीड़न और उच्च जाति के लोगों के अधिकारों के संरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी काफी क्रांतिकारी और महत्वपूर्ण मानी जा रही है. 

कोर्ट ने किया अधिनियम के प्रवाधानों का उल्लेख
सामने आया है कि अधिनियम के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए, पीठ ने यह भी देखा कि किसी व्यक्ति के लिए अपमान या धमकी तब तक अधिनियम के तहत अपराध नहीं होगा जब तक कि इस तरह का अपमान या धमकी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से संबंधित पीड़ित के खाते पर नहीं है.

अदालत ने उल्लेख किया कि धारा 3 (1) (आर) 1 के तहत अपराध की मूल सामग्री जानबूझकर अपमान या किसी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य को अपमानित करने के इरादे से किसी भी स्थान पर सार्वजनिक दृष्टि से धमकाना या अपमानित करना है. 

जस्टिस हेमंत गुप्ता की टिप्पणी
तीन सदस्यीय पीठ की तरफ से लिखे गए फैसले में जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि उच्च जाति के व्यक्ति ने SC/ST समुदाय के किसी व्यक्ति को गाली भी दे दी हो तो भी उस पर SC/ST ऐक्ट के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकती है. उन्होंने आगे कहा कि  अगर उच्च जाति के व्यक्ति ने SC/ST समुदाय के व्यक्ति को जान-बूझकर प्रताड़ित करने के लिए गाली दी हो तो उस पर SC/ST ऐक्ट के तहत कार्रवाई जरूर की जाएगी. 

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