Supreme Court की टिप्पणी, "आंदोलन के नाम पर शहर को बंद नहीं किया जा सकता"

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में किसान आंदोलन (Farmer Protest) पर आज की सुनवाई खत्म हो गई है. CJI ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि "आंदोलन के नाम पर शहर को बंद नहीं किया जा सकता.." सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी बनाने की बात की.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 17, 2020, 02:35 PM IST
  • किसान आंदोलन पर कोर्ट की अहम सुनवाई
  • सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी बनाने की बात की
  • किसानों को प्रदर्शन का अधिकार- SC
  • 'प्रदर्शन से किसी को दिक्कत नहीं होनी चाहिए'
Supreme Court की टिप्पणी, "आंदोलन के नाम पर शहर को बंद नहीं किया जा सकता"

नई दिल्ली: किसान आंदोलन (Farmer Protest) का आज 22वां दिन हैं. सरकार और किसानों के बीच गतिरोध जारी है. इस बीच किसान आंदोलन (Farmer Protest) को लेकर दायर तीन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आज सुनवाई हुई. सुनवाई में कोर्ट ने ये स्पष्ट किया कि आंदोलन के नाम पर शहर को बंद नहीं किया जा सकता है. आपको इस सुनवाई से जुड़ी हर अहम बातें बताते हैं.

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर पूरी जानकारी

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने किसानों के आंदोलन पर आज सुनवाई करते हुए कई अहम टिप्पणी की. आज की सुनवाई में क्या-क्या हुआ? नीचे देखिए..

वकील एपी सिंह ने कहा कि मैं भारतीय किसान यूनियन भानु की ओर से पेश हो रहा हूं और हमने कृषि कानून को चुनौती दी है. जिसके बाद CJI ने पूछा कि भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) की ओर से कौन पेश हो रहा है? CJI ने कहा कि आज हम कृषि कानून के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई नहीं करने जा रहे बल्कि किसान आंदोलन पर आज सुनवाई करेंगे.

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वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने याचिककर्ता ऋषभ शर्मा की तरफ से पेश होते हुए कहा कि बॉर्डर पर किसनो के प्रदर्शन की वजह से फल, सब्ज़ी की आपूर्ति पट असर पड़ा हैं जो बॉर्डर की दूसरी तरफ से आती है. हरीश साल्वे ने कहा कि मैं दिल्ली के एक नागरिक के लिए पेश हुआ हूं. यूपी और हरियाणा को पक्ष बनाया है.

जिसके बाद CJI ने कहा कि आप पर मामले का असर कैसे पड़ रहा है? जिसके जवाब में साल्वे ने कहा कि दिल्ली के हर नागरिक पर असर पड़ रहा है. हर ज़रूरी चीज़ के दाम बढ़ रहे हैं. यह जीवन के अधिकार का हनन है.
चीफ जस्टिस ने कहा कि हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि हम विरोध प्रदर्शन के अधिकार को मान्यता देते हैं. बस यह देखना है कि दूसरों के अधिकार भी बाधित न हों.

CJI की इस टिप्पणी के बाद हरीश साल्वे ने कहा कि बिल्कुल, कोई भी अधिकार अपने आप मे पूर्ण नहीं.. उसकी सीमा होती है. दिल्ली के नागरिकों के अधिकार को भी बाधित नहीं किया जा सकता. CJI ने कहा कि हमने कानून के खिलाफ प्रदर्शन के अधिकार को मूल अधिकार के रूप में मान्यता दी है. उस अधिकार में कटौती का कोई सवाल नहीं, बशर्ते वो किसी और की ज़िंदगी को प्रभावित न कर रहा हो.

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हरीश साल्वे ने जवाब दिया कि कोई भी अधिकार अपने आप में असीमित नहीं, अभिव्यक्ति की आज़ादी का अधिकार भी सीमाएं है. वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि आज लोगों का रोजगार छिन रहा है. अपने काम के लिए पड़ोसी शहर में नहीं जा पा रहे. CJI ने कहा कि हम मामले का आज ही निपटारा नहीं कर रहे. बस देखना है कि विरोध भी चलता रहे और लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन न हो, उनका जीवन भी बिना बाधा के चले.

हरीश साल्वे ने कहा कि मैं टैक्स पेयर हूं. कल को अगर मेरी कार जला दी गई, तो कोर्ट सरकार से भरपाई को कहेगा. यानी मेरे टैक्स के पैसों से मुझे भुगतान होगा. नेताओं की पहचान हो ताकि उनसे ही वसूली हो सके. CJI ने कहा कि विरोध पर रोक नहीं, लेकिन आपकी बात सही है. नेताओं की पहचान होनी चाहिए.

CJI ने कहा कि इसके लिए हम एक स्वतंत्र निष्पक्ष समिति का प्रस्ताव कर रहे हैं. जिसके समक्ष दोनों पक्ष अपना पक्ष रख सकते हैं, जब तक कि विरोध जारी रहता है और यह कि समिति अपनी राय देगी, जिसे हम आशा करते हैं कि दोनों पक्ष उसे मानेंगे.

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CJI ने कहा कि हम निष्पक्ष समिति बनाना चाहते हैं. इसमें साईंनाथ जैसे कृषि विशेषज्ञ, किसान यूनियन के लोग हों और समिति रिपोर्ट दें. तब तक शांतिपूर्ण विरोध चले. पुलिस भी हिंसा न करे, लेकिन सड़क भी न रोकी जाए. अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि कमिटी के ज़रिए उनकी बात समझ आनी चाहिए. सिर्फ ज़िद सही नहीं कि कानून वापस लो.

अटॉर्नी जनरल ने कहा कि यह लोग 6 महीने की तैयारी के साथ आए हैं, इस तरह से रोड को ब्लॉक करने की इजाज़त नही दी जा सकती है.

सॉलिसीटर जनरल बताया कि कौन कौन से बॉर्डर रोक दिए गए हैं. CJI ने कहा कि अच्छा, तो यह नहीं कह सकते कि दिल्ली को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने कहा कि जो बन्द हैं, उनके अलावा भी दिल्ली आने-जाने के कई रास्ते हैं. किसानों की मांग मान ली जाए तो हल निकल जाएगा.

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सरकार ने प्रस्ताव दिए. लोग ज़िद पर अड़े हैं, सुप्रीम कोर्ट किसी सम्मानित निष्पक्ष व्यक्ति को मध्यस्थ बना सकता है.  पंजाब सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पी. चिदंबरम ने कहा कि किसान अहंकारी सरकार से लड़ रहे और उन्हें दिल्ली आने से रोका गया. पी. चिदंबरम को जवाब देते हुए CJI ने कहा कि "अगर इतनी बड़ी संख्या में लोग दिल्ली आ गए, तो उन्हें नियंत्रित कैसे किया जाएगा?"

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