धूम्रपान छोड़ देने के बाद भी मुंह से पाइप लगाए रखते थे प्रणब दा, पढ़िए रोचक किस्सा

प्रणब दा... इसी नाम से पूरा देश उन्हें पुकारता था, वो भारत रत्न हैं, उन्होंने 13वें राष्ट्रपति के तौर पर देश को न सिर्फ संभाला बल्कि विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और वित्त मंत्रालय का भी नेतृत्व किया. क्या आप जानते हैं कि प्रणब मुखर्जी ने धूम्रपान को छोड़ने के बाद भी पाइप को खुद से दूर नहीं कर पाए

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 11, 2021, 08:19 AM IST
  • देश के सबसे सख्त राष्ट्रपति के रूप में प्रणब दा की पहचान
  • यदि वो होते प्रधानमंत्री तो नहीं होती कांग्रेस की ऐसी हालत
धूम्रपान छोड़ देने के बाद भी मुंह से पाइप लगाए रखते थे प्रणब दा, पढ़िए रोचक किस्सा

नई दिल्ली: जब-जब देश के सबसे सख्त राष्ट्रपति की चर्चा होगी तो शायद ही प्रणब मुखर्जी के अलावा कोई दूसरा नाम किसी के जेहन में आएगा. क्या आपको ये मालूम है कि प्रणब दा ने धूम्रपान को तौबा करने के बाद भी पाइप को खुद से दूर नहीं किया.

पाइप का शौक रखते थे प्रणब मुखर्जी

मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा दावा किया गया है कि प्रणब मुखर्जी को करीब से जानने वाले पत्रकार जयंत घोषाल को ये बताया था कि उन्हें पाइप का बड़ा शौक था. सालों पहले प्रणब दा ने स्मोकिंग तो छोड़ दी थी, लेकिन अकसर वो पाइप को अपने मुंह से लगाए रखते थे. उनको पाइप कलेक्ट करने में भी काफी दिलचस्पी थी.

पत्रकार ने ये भी बताया कि प्रणब दा पाइप की टिप को अपने मुंह में लेकर ऐसा एहसास करते थे कि वो उसे पी रहे हैं, जबकि उसके अंदर जरा भी तंबाकू नहीं होता था. इतना ही नहीं कांग्रेस के अध्यक्ष और इंदिरा गांधी के भरोसेमंद माने जाने वाले देवकांत बरुआ ने तो उन्हें पाइप गिफ्ट में भी दिया था.

उन्हें कई विदेशी शासनाध्यक्षों और मंत्रियों से तोहफे में तकरीबन 500 पाइप मिले थे, जिन्हें उन्होंने संभाल कर रखा था. बाद में प्रणब दा ने इन पाइपों को राष्ट्रपति भवन के म्यूजियम को में दिया था.

2004 में वो प्रधानमंत्री बनते तो..

प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब 'दि प्रेसिडेंशियल इयर्स' में लिखा था कि मेरे राष्ट्रपति बनने के बाद कांग्रेस पार्टी राजनीतिक दिशा से भटक गई और कुछ पार्टी सदस्यों का यह मानना था कि यदि वर्ष 2004 में वह प्रधानमंत्री बनते तो 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को जोरदार शिकस्त का सामना नहीं करना पड़ता.

ये भी पढ़ें- यूपी चुनाव में अखिलेश यादव के लिए सिरदर्द बन सकता है 'जिन्ना प्रेम', जानिए 3 वजह

प्रणब दा की छवि अब तक के सबसे सख्त राष्ट्रपति में से एक रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि आंकड़ों पर गौर करें तो उनके सामने कुल 34 दया याचिका पहुंची, जिनमें से 30 को उन्होंने खारिज कर दिया. इतना ही नहीं प्रणब मुखर्जी को गुस्सा बहुत आता था.

गुस्से के मामले में प्रणब दा का जवाब नहीं

यदि आप प्रणब मुखर्जी के व्यक्तित्व के बारे में जानना चाहेंगे तो, ऐसा माना जाता है कि वो जितने नरम दिल के व्यक्ति थे, उतना ही उन्हें गुस्सा भी आता था. कभी पत्रकार को लताड़ लगाना तो कभी अलग पार्टी बना लेगा.

राजीव गांधी ने उन्हें राजनीति से दरकिनार किया, तो वो इतने गुस्सा हो गए कि न सिर्फ कांग्रेस पार्टी का साथ छोड़ दिया, बल्कि अपनी अलग पार्टी बना ली. हालांकि कुछ ही वर्षों बाद वो दोबारा पार्टी में शामिल हो गए थे.

जब वो देश के राष्ट्रपति थे, तो एक पत्रकार उनका इंटरव्यू ले रहे थे. सवाल-जवाब में थोड़ी ऊंच-नीच होती दिखी. इतने में ही प्रणब मुखर्जी को गुस्सा आ गया और उन्होंने पत्रकार से कड़े शब्दों में बोल दिया कि 'आपको ये नहीं भूलना चाहिए कि आप देश के राष्ट्रपति से बात कर रहे हैं, आपने यदि सवाल किया है तो इसका उत्तर सुनने तक धीरज रखिए, नहीं तो इस इंटरव्यू को यहीं समाप्त कर दीजिए.'

राजनीति, राजेंद्र प्रसाद और प्रणब

यदि सक्रिय राजनीति की बात करें, तो राजेंद्र प्रसाद के अलावा प्रणब दा ही एक मात्र ऐसे नेता थे, जो सक्रिय राजनीति का हिस्सा होने के साथ-साथ राष्ट्रपति की कुर्सी संभाली. प्रणब मुखर्जी लोकसभा का नेता चुने जाने के बावजूद देश के प्रधानमंत्री नहीं बन सके.

भारत रत्न को लेकर हैरानी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका हाथ थामे रहने और उनका मार्गदर्शन के लिए सार्वजनिक रूप ले उनकी तारीफ की थी. 2017 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया, लेकिन इसके पीछे एक बड़ी ही दिलचस्प कहानी है.

ऐसा कहा जाता है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रणब मुखर्जी को फोन करके ये जानकारी दी थी कि उनका नाम भारत रत्न के लिए आगे किया गया है. इसके बावजूद प्रणब दा को शायद इस बात पर यकीन नहीं हो पाया था. जब उनका नाम टीवी पर प्रसारित किया जाने लगा, तब उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी उन्हें पहले से थी. ऐसी स्थिति में जब परिवार के सदस्यों ने पूछा कि आपने ये बात पहले क्यों नहीं बताई थी, तो उन्होंने कुछ नहीं बोला और कहा कि मुझे खुद इसे लेकर हैरानी हो गई.

ये भी पढ़ें- Uttarakhand Election: कांग्रेस हाईकमान की क्यों नहीं मान रहे हरीश रावत? अब चला नया दांव

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.  

ट्रेंडिंग न्यूज़