Haryana: BJP का एंटी इंकम्बेंसी से निपटने का प्लान आउट, हरियाणा में होगी बड़ी 'काट-छांट'!

Haryana Vidhan Sabha Chunav 2024: भाजपा बीते 10 साल से हरियाणा में शासन चला रही है. पार्टी के सामने एंटी इंकम्बेंसी से निपटने की चुनौती है. लेकिन भाजपा ने इसके लिए प्लान तैयार कर लिया है. पार्टी बड़ी संख्या में विधायकों के टिकट काट सकती है.

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Aug 29, 2024, 11:40 AM IST
  • हरियाणा में जल्द ही विधानसभा चुनाव
  • भाजपा यहां 10 साल से सत्ता पर काबिज
Haryana: BJP का एंटी इंकम्बेंसी से निपटने का प्लान आउट, हरियाणा में होगी बड़ी 'काट-छांट'!

नई दिल्ली: Haryana Vidhan Sabha Chunav 2024: भाजपा ने हरियाणा के विधानसभा चुनाव में मजबूती के साथ उतरने की तैयारी कर ली है. 10 साल से पार्टी यहां सत्ता में काबिज है, इस बार भी पार्टी के सामने अपना किला बचाने की चुनौती होगी. 10 साल की एंटी इंकम्बेंसी से पार पाना भी बेहद मुश्किल काम है. लेकिन भाजपा ने इसके लिए रणनीति तैयार कर ली है. इसे 'काट-छांट' प्लान भी कहा जा रहा है.

पार्टी का 'काट-छांट' प्लान क्या?
हरियाणा में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं. भाजपा ने 2019 के विधानसभा चुनाव में 40 सीटों पर जीत दर्ज की थी. लेकिन इस बार पार्टी एंटी इंकम्बेंसी से निपटने के लिए 20 विधायकों के टिकटों पर कैंची चला सकती है. पार्टी कई दिग्गजों को भी किनारा कर सकती है. जो नेता दूसरे दलों से आए हैं, उन्हें तरजीह दी जा सकती है. इससे पार्टी एंटी इंकम्बेंसी को दूर करने कि दिशा में कदम बढ़ा सकती है.

इन्हें मिल सकता है टिकट
पार्टी प्रदेश के दिग्गज नेता रहे चौधरी बंसीलाल की बहु किरन चौधरी को राज्यसभा भेजने वाली है. उनकी बेटी श्रुति चौधरी को विधानसभा चुनाव में मौका मिल सकता है. बता दें कि किरच चौधरी कांग्रेस से भाजपा में आई हैं. पूर्व लोकसभा सांसद सुनीता दुग्गल भी टिकट पाने की दौड़ में हैं.

गैर-जाट वोटों की गोलबंदी का प्लान
भाजपा ने मनोहरलाल खट्टर को हटाकर पहले से ही एंटी इंकम्बेंसी को दूर करने का प्रयास किया था. नायब सिंह सैनी को CM बनाकर भाजपा ने OBC को जातियों को साधने की कवायद शुरू की, इसको लोकसभा चुनाव में भी बरकरार रखा. अब भी इसी रणनीति पर काम करते हुए पार्टी विधानसभा चुनाव में उतरेगी.

BJP किन्हें दे सकती है टिकट, किसको मिलेगी तरजीह?
- नए चेहरों को मौका मिल सकता है.
- दूसरे दलों से आए नेताओं को मिल सकती है तरजीह.
- गैर-जाट प्रत्याशियों बड़ी संख्या में उतारा जा सकता है.
- लोकसभा का टिकट नहीं पाने वालों को विधानसभा में एडजस्ट किया जा सकता है.

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