नई दिल्ली. हमारे देश में अक्सर नेताओं की ईमानदारी की चर्चा होती रहती है. इस लिस्ट में कई नेताओं के नाम लिए जाते हैं. भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जिक्र ईमानदार जीवन शैली के लिए अक्सर चर्चा में रहा है. इस लिस्ट में एक और नाम है जिसकी चर्चा उत्तर भारत यानी हिंदी पट्टी में काम ही होती है. यह नेता हैं कांग्रेस के अध्यक्ष रहे और संयुक्त मद्रास प्रांत के मुख्यमंत्री रहे तमिलनाडु के नेता के कामराज की. के. कामराज देश के उन बिरले नेताओं में शुमार किए जाते हैं जिन्हें अपनी निर्णय क्षमता के लिए, संगठन क्षमता के लिए और नैतिक ईमानदारी के लिए याद किया जाता है. दिलचस्प बात है कि जब के. कामराज की मौत हुई थी तो उसके बाद उनके पास से एक 130 रुपये, 2 जोड़ी सैंडल 4 शर्ट 4 धोती और कुछ किताबें मिली थीं.
सत्ता की तड़क-भड़क से कभी नहीं हुए प्रभावित
के. कामराज के बारे में कहते हैं कि वो पूरे जीवन सत्ता की तड़प-भड़क वाली जिंदगी के लिए कभी लालायित नहीं रहे. सत्ता के केंद्र बिंदु में रहते हुए भी उन्होंने कभी Y लेवल की सिक्योरिटी नहीं ली जबकि वो इसके लिए अधिकृत थे. वह केवल एक पुलिस पेट्रोल व्हीकल के साथ यात्राएं करते थे. 15 जुलाई 1903 को जन्में कुमार स्वामी कामराज देश की महान विभूतियां में गिने जाते हैं और उन्हें अक्सर 'किंग मेकर' के रूप में भी याद किया जाता है.
'किंग मेकर' क्यों कहा जाता था?
'किंग मेकर' के रूप में उन्हें याद किए जाने के पीछे की वजह बड़ी दिलचस्प है. दरअसल देश की आजादी के बाद संयुक्त मद्रास स्टेट यानी आज के तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के रूप में के. कामराज ने 1954 में शपथ ली थी. वह मद्रास के सबसे 'लोकप्रिय मुख्यमंत्रियों' में रहे. देश की आजादी के आंदोलन का हिस्सा रहने वाले कामराज महात्मा गांधी के फॉलोवर थे. 1954 में वह मद्रास के मुख्यमंत्री बने और 1963 तक वह इस पद पर रहे.
सीएम पद से दे दिया था इस्तीफा
1963 में के कामराज को लगा कि कांग्रेस के संगठन में अब पुरानी जैसी बात नहीं रही. इसी वजह से उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देने की सोची. उन्होंने सिर्फ मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया बल्कि उनके कहने पर 6 केंद्रीय मंत्री और 6 मुख्यमंत्री ने भी इस्तीफा दिया था. इस्तीफे हुए और के कामराज केंद्र की राजनीति में आ गए. 1964 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की मौत के बाद कामराज ने खुद प्रधानमंत्री बनने के बजाय पूरी ताकत लगाकर लाल बहादुर शास्त्री को प्रधानमंत्री बनाया. और इसके बाद शास्त्री की मृत्यु के बाद उन्होंने इंदिरा गांधी को 1966 में इस पद पर बिठाया.
महात्मा गांधी के फॉलोवर
हालांकि बाद में इंदिरा के साथ हुए मतभेदों की वजह से उन्होंने कांग्रेस के दूसरे फाड़ यानी कांग्रेस (O) को संभाला था. लेकिन 1971 के चुनाव में उनकी पार्टी बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी. कामराज की मौत 2 अक्टूबर 1975 के दिन हुई थी. यह दिलचस्प बात है कि जिस महात्मा गांधी को वह पूरे जीवन अपना आदर्श मानते रहे उन्हीं की जयंती के दिन के कामराज की मृत्यु हुई. कामराज की मौत 72 साल की उम्र में सोते हुए हार्ट अटैक की वजह से हुई थी. जब उनकी मृत्यु हुई तो उनके पास से केवल 130 रुपये, 2 जोड़ी सैंडल, 4 धोती और कुछ किताबें मिलीं. आज की राजनीति के दौर में ऐसा कल्पना करना मुश्किल भरा है कि एक व्यक्ति जो 10 वर्षों तक एक राज्य का मुख्यमंत्री रहे और उसकी कुल संपत्ति 130 रुपये हो. यह एक प्रेरणा है.
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