नई दिल्ली: Eknath Shinde Maharashtra: महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन ने अभी तक CM पद को लेकर फैसला नहीं किया है. शिवसेना के नेता और राज्य में ढ़ाई साल CM रहे एकनाथ शिंदे के बार फिर सूबे की सबसे बड़ी कुर्सी पर बैठना चाहते हैं. लेकिन भाजपा चाहती है कि उनकी पार्टी का नेता CM बने. शिंदे को इसके लिए मनाया जा रहा है, लेकिन उन्होंने कुछ ऐसी शर्तें रख दी हैं, जो मानना भाजपा के लिए बेहद कठिन होगा. चलिए जानते हैं कि शिंदे की शिवसेना के बिना सरकार बना सकती है या नहीं?
भाजपा बहुमत से मात्र 13 सीटें दूर रही
सबसे पहले तो ये समझ लें कि भाजपा इस बार 2019 के मुकाबले मजबूत है. 2019 ले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 105 सीटें मिली थीं. यानी तब भाजपा बहुमत के आंकड़े से 40 सीटें दूर थी. महाराष्ट्र में कुल 288 विधानसभा सीटें हैं, इनमें से 145 सीटें लाने पर ही सरकार बन सकती है. इस बार भाजपा ने 136 सीटें जीती हैं, यानी बहुमत से मात्र 13 सीटें दूर है.
शिंदे के बिना कैसे बन सकती है सरकार?
महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन ने 235 सीटें जीती हैं. इसमें 3 प्रमुख दल हैं. भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट) और NCP (अजित गुट). भाजपा ने 136, शिवसेना ने 57 और NCP ने 41 सीटें जीती हैं. अब यदि शिंदे की नेतृत्व वाली पार्टी शिवसेना गठबंधन तोड़ भी ले, तो महायुति के पास 178 सीटें होंगी. बहुमत का आंकड़ा 145 है. इस लिहाज से महायुति के पास बहुमत के आंकड़े से 33 सीटें अधिक होंगी. इसका मतलब भाजपा शिंदे के बिना भी कंफर्टेबल सरकार चला सकती है.
शिंदे क्यों बने भाजपा की मजबूरी?
महाराष्ट्र में भाजपा शिंदे के बिना भी सरकार बना सकती है. लेकिन फिर भी वे भाजपा की मजबूरी बन गए हैं. चलिए जानते हैं कैसे?
1. मराठा सेंटिमेंट: शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे महायुति गठबंधन में सबसे बड़े मराठी नेता हैं. महायुति को मिले मराठी वोट में एक बड़ा हाथ शिंदे का भी है. अब यदि भाजपा शिंदे को दूर कर सरकार बना लेती है, तो मराठा सेंटिमेंट उनके खिलाफ हो सकता है. ये सूबे में पार्टी की आगे की राह मुश्किल कर सकता है. मराठा आरक्षण भी मांग रहे हैं, शिंदे को सरकार से बाहर रखकर इनकी खिलाफत मोल नहीं ली जा सकती.
2. BMC में जीत की चाह: बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) देश की सबसे अमीर नगर पालिका मानी जाती है. इस पर बीते 25 साल से अविभाजित शिवसेना का कब्जा है. अब ये शिवसेना (UBT) के खाते में हैं. भाजपा को BMC जीतने के लिए शिंदे वाली शिवसेना की जरूरत पड़ेगी.
3. सहयोगियों में संदेश: भाजपा बिहार और आंध्र प्रदेश में गठबंधन की सरकार में है. दोनों सूबे के मुख्यमंत्री के समर्थन की वजह से ही केंद्र में भाजपा की सरकार बनी हुई है. यदि भाजपा महाराष्ट्र में शिवसेना (शिंदे) को दरकिनार कर सरकार बनाती है, तो JDU और TDP को अपने भविष्य की चिंता सता सकती है. विपक्ष भी ये आरोप लगा सकता है कि भाजपा 'यूज एंड थ्रो' करती है. लिहाजा, ये कदम भाजपा के सहयोगियों में नकारात्मक संदेश दे सकता है.
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