Karnataka Chunav: वोक्कालिगा समुदाय को रिझाने में जुटे सभी सियासी दल, 100 सीटों पर है इनका प्रभाव

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए सभी सियासी पार्टियां अपने-अपने हिसाब से जोड़-तोड़ में जुटी हैं. लिंगायत के अलावा वोक्कालिगा समुदाय भी कर्नाटक में अच्छा खासा प्रभाव रखता है. इस बीच कर्नाटक में सियासी दल करीब 100 विस सीटों पर प्रभाव डालने में सक्षम वोक्कालिगा समुदाय को रिझाने में जुट गए हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 9, 2023, 05:10 PM IST
  • कर्नाटक चुनाव में क्या है वोक्कालिगा समुदाय की भूमिका?
  • करीब 100 विस सीटों पर प्रभाव डालने में सक्षम है ये समुदाय
Karnataka Chunav: वोक्कालिगा समुदाय को रिझाने में जुटे सभी सियासी दल, 100 सीटों पर है इनका प्रभाव

नई दिल्ली: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दल वोक्कालिगा समुदाय को रिझाने में जुट गए हैं. इस समुदाय की राज्य में लगभग 15 फीसदी आबादी है और माना जाता है कि ये करीब 100 सीटों पर चुनावी समीकरण को प्रभावित कर सकते हैं. कर्नाटक में लिंगायत (17 फीसदी आबादी) के बाद वोक्कालिगा समुदाय के लोगों की दूसरी सबसे जनसंख्या होने के चलते राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा उन्हें अपने पाले में करने का हरसंभव प्रयास कर रही है.

वोक्कालिगा समुदाय से अब तक 7 मुख्यमंत्री मिले
कर्नाटक में 224 सदस्यीय विधानसभा के लिए 10 मई को मतदान होगा और नतीजे 13 मई को घोषित होंगे. कर्नाटक की राजनीति में वोक्कालिगा समुदाय की भूमिका का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस समुदाय ने आजादी के बाद से राज्य को सात मुख्यमंत्री और देश को एक प्रधानमंत्री दिया है. एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी का कहना है कि यह एक ऐसा समुदाय है, जो राजनीतिक रूप से काफी जागरूक है.

उन्होंने कहा, 'कर्नाटक में हुए 17 मुख्यमंत्रियों में से सात वोक्कालिगा समुदाय के थे. राज्य के पहले तीन मुख्यमंत्री के. चेंगलराय रेड्डी, केंगल हनुमंतैया और के. मंजप्पा वोक्कालिगा समुदाय से ताल्लुक रखते थे.' उन्होंने कहा कि वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले एच. डी. देवगौड़ा कर्नाटक के पहले व्यक्ति बने, जिन्होंने प्रधानमंत्री का पद संभाला.

किस क्षेत्र मे किस पार्टी का कितना दबदबा?
पुराने मैसूरु क्षेत्र में शामिल रामनगरा, मांड्या, मैसूरु, चामराजनगर, कोडागु, कोलार, तुमकुरु और हासन जिले में इस समुदाय का दबदबा है. इस क्षेत्र में 58 विधानसभा क्षेत्र हैं, जो 224 सदस्यीय सदन में कुल सीटों की संख्या के एक-चौथाई से अधिक है. मौजूदा विधानसभा में इस क्षेत्र में जनता दल (सेक्युलर) 24 सीटों, कांग्रेस 18 जबकि भाजपा 15 सीटों का प्रतिनिधित्व करती है. इसके अलावा, बेंगलुरु शहरी जिले (28 सीटें), बेंगलुरु ग्रामीण जिले (चार सीटें) और चिक्काबल्लापुरा (आठ विधानसभा क्षेत्रों) में से अच्छी खासी सीटों पर वोक्कालिगा समुदाय का प्रभाव है.

राजनीतिक कार्यकर्ता राजे गौड़ा ने दावा किया कि अनेकल को छोड़कर बेंगलुरु शहरी जिले के 28 विधानसभा क्षेत्रों में से सभी 27 में वोक्कालिगा समुदाय का दबदबा है. उन्होंने कहा कि बेंगलुरु ग्रामीण जिले और चिक्काबल्लापुरा में भी यह समुदाय चुनावी समीकरण को प्रभावित करने का दम रखता है. गौड़ा ने कहा, 'हम वैचारिक रूप से बिखरे हुए हैं और कुछ अन्य समुदायों की तरह एकजुट रूप से मतदान नहीं करते हैं. इससे पता चलता है कि हम अपने नेताओं को चुनने में उदार हैं, जिसे या तो हमारी कमजोरी या हमारी ताकत के रूप में देखा जा सकता है.'
(इनपुट- भाषा)

इसे भी पढ़ें- अनिल एंटनी के लिए आसान नहीं थी कांग्रेसी विरासत से बगावत, भविष्य पर निगाहें

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.  

ट्रेंडिंग न्यूज़