नई दिल्ली: SC on EVM: ईवीएम की विश्वसनीयता पर अक्सर विपक्षी दल सवाल उठाते हैं. हाल ही में केरल में एक मॉक पोल के दौरान EVM मशीनों में BJP के अधिक वोट रिकॉर्ड हुए. अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग को जांच के आदेश दिए हैं.
क्या है मामला?
कोर्ट में सुनवाई के दौरान एसोसिएशन फॉर डेमोक्रैटिक रिफॉर्म्स की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण पेश हुए. उन्होंने एक रिपोर्ट का हवाला दिया. इसमें कहा गया है कि केरल के कासरगोड सीट पर मॉक पोल्स के दौरान BJP के पक्ष में एक्स्ट्रा वोट रिकॉर्ड होने की शिकायतें मिली हैं. लेफ्ट डेमोक्रैटिक फ्रंट और यूनाइटेड डेमोक्रैटिक फ्रंट ने इसको लेकर जिला कलेक्टर से शिकायत की. शिकायत में उन्होंने बताया कि चार EVM मशीनों में BJP के अधिक वोट दर्ज हुए.
याचिका में की गई ये मांग
मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. VVPAT की पर्ची को EVM वोट्स के साथ 100% मिलान को लेकर याचिका डाली गई. इसी पर सुनवाई जारी है. याचिका में ये भी कहा गया है कि वोटर को VVPAT की पर्ची को घर ले जाने का अधिकार होना मिलना चाहिए. VVPAT मशीनों में लगे काले रंग के कांच को भी पारदर्शी करने की मांग की.
कोर्ट ने कहा- प्रक्रिया पारदर्शी हो
सुनवाई के दूसरे दिन कोर्ट ने कहा कि चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी होना चाहिए. किसी के मन में इसको लेकर शंका नहीं होनी चाहिए. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने चुनाव आयोग को इस मामले की जांच करने का आदेश दिया.
चुनाव आयोग का ये दावा
दूसरी ओर, चुनाव आयोग का दावा है कि EVM की प्रोग्राम मेमोरी से छेड़छाड़ नहीं हो सकती. सभी मशीनों का मॉक पोल होता है. प्रत्याशियों के पास भी अधिकार होता है कि वे चाहें तो किसी भी EVM के 5 फीसदी वोट का मिलान करवा सकते हैं.
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