'बीजेपी को वोट दे दो', क्यों अधीर रंजन ने दिया ये बयान, क्या इस बयान पर डिफेंसिव है कांग्रेस?

अधीर रंजन के इस बयान के बाद तृणमूल कांग्रेस ने कहा है कि अधीर रंजन बीजेपी की बी टीम है. पार्टी ने एक पोस्ट में कहा- सुनें कैसे बी-टीम का सदस्य खुलेआम लोगों से बीजेपी के लिए वोट करने के लिए कह रहा है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 1, 2024, 07:37 PM IST
  • अधीर रंजन के बयान पर मचा बवाल.
  • कांग्रेस को तृणमूल ने बंगाल में घेरा.
'बीजेपी को वोट दे दो', क्यों अधीर रंजन ने दिया ये बयान, क्या इस बयान पर डिफेंसिव है कांग्रेस?

नई दिल्ली. पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी अपने एक बयान की वजह से चर्चा में आ गए हैं. दरअसल पश्चिम बंगाल की बहरामपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी अधीर रंजन ने एक चुनावी सभा में ऐसी बात कह दी जिसकी वजह से राज्य में सत्तारूढ़ और कांग्रेस की इंडिया गठबंधन में सहयोगी तृणमूल कांग्रेस हमलावर हो गई है. अधीर रंज ने कहा- तृणमूल और बीजेपी को वोट देना एक ही बात है. चुनाव देश का भविष्य तय करने के लिए है. इस वजह से धर्मनिरपेक्ष ताकतों को वोट दीजिए. कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों का जीतना जरूरी है. ऐसा नहीं हुआ तो सेकुलरिजम खतरे में पड़ जाएगा. तृणमूल को वोट देने का मतलब है कि बीजेपी को वोट देना. इसलिए बेहतर होगा कि बीजेपी को ही वोट दे दें. इसीलिए बीजेपी और टीएमसी को वोट न दें. 

तृणमूल कांग्रेस ने लगाए हैं आरोप
अधीर रंजन के इस बयान के बाद तृणमूल कांग्रेस ने कहा है कि अधीर रंजन बीजेपी की बी टीम है. पार्टी ने एक पोस्ट में कहा- सुनें कैसे बी-टीम का सदस्य खुलेआम लोगों से बीजेपी के लिए वोट करने के लिए कह रहा है. केवल एक बांग्ला विरोधी ही बीजेपी का प्रचार कर सकता है जिसने बंगाल का वाजिब हक देने से इनकार कर दिया. बीजेपी ने बार-बार बंगाल का अपमान किया है. 13 मई को चुनाव के दिन बहरामपुर सीट के लोग इस विश्वासघात का उचित जवाब देंगे. 

कांग्रेस पार्टी ने क्या कहा?
अधीर रंजन के बाद कांग्रेसी लीडरशिप की तरफ से जो बयान आया वह डिफेंसिव दिखाई दिया. कांग्रेस पार्टी के सीनियर नेता और पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा- मैंने वीडियो नहीं देखा है. मुझे नहीं पता कि कौन सा वीडियो है या अधीर रंजन ने किस संदर्भ में यह बात कही है. लेकिन एक बात साफ करना चाहता हूं कि कांग्रेस पार्टी का एक ही मकसद है. पश्चिम बंगाल में 2019 के चुनाव में बीजेपी ने जो 18 सीटें जीती थीं, उन्हें हमें घटाना है. ये विधानसभा के चुनाव नहीं हैं, लोकसभा का चुनाव है. कांग्रेस और लेफ्ट इंडिया अलायंस में हैं. ममता बनर्जी ने भी कहा है कि वह इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं. हालांकि हमारी सीट  शेयरिंग की बात नहीं बन पाई. अधीर रंजन ने किस संदर्भ में क्या कहा है, वह मैं नहीं जानता हूं लेकिन पश्चिम बंगाल में बीजेपी की संख्या कम करना हमारा मकसद है.

ममता पर निशाना साधते रहे हैं अधीर रंजन
बता दें कि केंद्र में कांग्रेस के साथ इंडिया अलायंस का हिस्सा होने के बावजूद राज्य में अधीर रंजन तृणमूल कांग्रेस पर निशाना साधते रहे हैं. यह भी कहा जा रहा है कि इसी वजह से तृणमूल कांग्रेस अधीर रंजन की बहरामपुर लोकसभा सीट पर एक लोकप्रिय प्रत्याशी को मैदान में उतार दिया है. मुस्लिम वोटर्स की बहुलता वाली इस सीट पर टीएमसी ने पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी यूसुफ पठान को चुनावी मैदान में उतारा है. माना जा रहा है कि पठान को चुनावी मैदान में उतारकर ममता बनर्जी ने अधीर रंजन चौधरी की चुनावी लड़ाई को बेहद कठिन बना दिया है. 

ममता ने किया था पश्चिम बंगाल में अकेले लड़ने का फैसला
इंडिया गठबंधन का हिस्सा होने के बावजूद ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया था. कांग्रेस के साथ चल रही सीट शेयरिंग की बातचीत के बीच ममता बनर्जी ने राज्य की सभी 42 सीटों पर प्रत्याशी का ऐलान कर एकला चलो का नारा दे दिया था. तब कहा गया था कि ममता बनर्जी ने कांग्रेस पार्टी को राज्य में केवल दो सीटों का ऑफर दिया था जिसे कांग्रेस स्वीकार नहीं कर रही थी. इसके अलावा ममता बनर्जी को लेफ्ट पार्टी के साथ भी गठबंधन करने में दिक्कत थी. वहीं अधीर रंजन के राज्य सरकार पर लगातार हमलों को लेकर लेकर भी तृणमूल कांग्रेस के भीतर एक नाराजगी थी.

अकेले लड़ने के फैसले के बावजूद ममता पर नर्म रहा है कांग्रेस का रुख
पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने के फैसले के बावजूद कांग्रेस पार्टी का रुख ममता बनर्जी के खिलाफ नर्म ही रहा है. ममता के अकेले चुनाव लड़ने के फैसले के बावजूद कांग्रेस पार्टी ने आक्रामक रुख नहीं अख्तियार किया था. ना ही पार्टी टॉप लीडरशिप की तरफ से ममता की पार्टी की खिलाफ कोई गंभीर हमला नहीं बोला. अब अधीर रंजन के चुनावी बयान के बावजूद कांग्रेस की तरफ से साफ किया गया है कि ममता बनर्जी इंडिया अलायंस का हिस्सा हैं. माना जा रहा है कि बीजेपी को केंद्र से हटाने के लिए कांग्रेस पार्टी अपनी सहयोगियों के साथ संबंधों में कटुता नहीं पैदा करना चाहती है. यही वजह है कि तृणमूल की तरफ से हुए तीखे हमलों के बावजूद कांग्रेस की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया नहीं दी गई है.

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