प्यार में डूबे गुरु दत्त को पत्नी और प्रेमिका में करना पड़ा चुनाव, जिसके बाद कभी चैन की नहीं आई नींद!

भारतीय सिनेमा में अपने अभिनय से एक मिसाल बन चुके एक्टर गुरु दत्त (Guru Dutt) किसी के पहचान के मोहताज नहीं है. गुरु ने हिंदी सिनेमा में बतौर निर्माता, डायरेक्टर, कोरियोग्राफर और एक्टर का काम किया और दर्शकों के दिलों पर राज किया.

Written by - Vineeta Kumari | Last Updated : Jul 9, 2021, 10:58 AM IST
  • पत्नी और प्रेमिका में करना पड़ा चुनाव
  • वहीदा को देख इश्क में डूबे शादीशुदा गुरु
प्यार में डूबे गुरु दत्त को पत्नी और प्रेमिका में करना पड़ा चुनाव, जिसके बाद कभी चैन की नहीं आई नींद!

नई दिल्ली: भारतीय सिनेमा में अपने अभिनय से एक मिसाल बन चुके एक्टर गुरु दत्त (Guru Dutt) किसी पहचान के मोहताज नहीं है. गुरु ने हिंदी सिनेमा में बतौर निर्माता, डायरेक्टर , कोरियोग्राफर और एक्टर का काम किया और दर्शकों के दिलों पर राज किया.

फिल्मों में अपने परफेक्ट सीन्स देने के लिए पहचाने जाने वाले एक्टर (Guru Dutt Unknown details) के जीवन की कहानी कभी उनके किरदारों जैसी परफेक्ट नहीं रही. फिल्मों के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर देने वाले गुरु दत्त की असल जिंदगी बैचेनी से भरी रही. गुरु दत्त का जन्म कर्नाटक के मंगलूर में 9 जुलाई 1925 को हुआ और उनका वास्तविक नाम वसंत कुमार शिवशंकर पादुकोण था.

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गुरुदत्त (Guru Dutt Films) ने साल 1945 में फिल्म 'प्रभात' से फिल्मों में एंट्री की, लेकिन शुरुआत उन्होंने बतौर अभिनेता नहीं, बल्कि सहायक निर्देशक और नृत्य निर्देशक के रूप में की. इसके बाद गुरु ने खुद का बैनर बना लिया और पहली फिल्म 'आर पार (1954)' बनाई. फिल्म के गाने लोगों को खूब पसंद आए.

इसके बाद गुरु दत्त (Guru Dutt tragic story) ने 'मि एण्ड मिसेस 55'(1955) बनाई. जिसमें ओपी नैय्यर के संगीत ने दर्शकों का दिल जीत लिया. हालांकि, इसके बाद गुरु दत्त के जीवन में कुछ ऐसा हुआ जिसके बारे में शायद ही उन्होंने कभी सोचा होगा.

गीता दत्त से प्यार के बाद रचाई शादी

फिल्म 'बाजी' के गाने की रिकॉर्डिंग के दौरान गुरु दत्त (Guru Dutt and Geeta Dutt love Story) की नजर गीता दत्त पर जाकर ठहर गई. गीता उस समय तक एक बड़ी हस्तीं बन चुकी थीं और गुरु दत्त संघर्ष कर रहे थे. गीता बिल्कुल गुरुदत्त की फिल्मों की तरह थीं, डार्क और ब्यूटीफुल.

गीता और गुरु दत्त (Guru Dutt and Geeta Dutt Conflict) के बीच धीरे-धीरे नजदिकियां बढ़ीं और करीब 3 साल तक डेट करने के बाद दोनों ने साल 1953 में शादी कर ली. कपल के 3 बच्चे हुए. शादीशुदा गुरु और गीता की खुशहाली भरी जिंदगी महज कुछ ही दिनों की थी. दोनों के बीच शादी के बाद काफी दूरियां आ गईं.

वहीं, गुरु दत्त अपनी फिल्म 'सीआईडी' के लिए एक नई एक्ट्रेस की तलाश कर रहे थे और इसी बीच उनकी नजर एक हसीन चेहरे पर पड़ी और यह कोई और नहीं, वहीदा रहमान (Waheeda Rehman) थीं. वहीदा उन दिनों साउथ सिनेमा में काम कर रही थीं. वहीदा को देखते ही गुरु को ऐसा लगा कि जैसे उनकी तलाश अब खत्म हो चुकी है.

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वहीदा को देखते ही खत्म हो गई थी तलाश

वहीदा (Guru Dutt and Waheeda Rehman Love story) को इसके बाद स्क्रीन टेस्ट के लिए बुलाया गया और वह सिलेक्ट हो गईं. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इसी फिल्म के दौरान दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ने लगीं. गुरु अपनी शादीशुदा जिंदगी से खुश नहीं थे और इधर उन्हें दोबारा प्यार हो गया. वहीदा जानती थीं कि गुरु शादीशुदा हैं इसलिए वह प्यार को स्वीकार करने से कतराती थीं.

1959 में गुरु दत्त (Guru Dutt and Waheeda Rehman Films) की फिल्म 'कागज के फूल' रिलीज हुई लेकिन यह उस वक्त की फ्लॉप फिल्म रही. फिल्म की असफलता गुरु बर्दाश्त नहीं कर पाए और शराब में डूब गए. इसके बाद साल 1960 में गुरु दत्त और वहीदा की फिल्म 'चौदहवीं का चांद' आई और यह हिट साबित हुई.

फिल्म 'प्यासा' के लिए गुरु पहले दिलीप कुमार को लेने वाले थे लेकिन जब वहीदा की फिल्म में एंट्री हुई तो उन्होंने खुद ही उनके अपोजिट काम किया. फिल्म बड़ी हिट साबित हुई और दोनों की जोड़ी भी दर्शकों के दिलों पर राज करने लगी. इधर गुरु की पत्नी को दोनों के अफेयर की खबर लग गई.

पत्नी और प्रेमिका में करना पड़ा चुनाव

गुरु दत्त की पत्नी गीता को जब वहीदा और गुरु (Guru Dutt and Waheeda Rehman break up) के बारे में पता चला तो वह बच्चों के साथ घर छोड़कर चली गईं. और गुरु दत्त से स्पष्ट किया कि वह वहीदा या उनमें से किसी एक का चुनाव करें. आखिरकार वहीदा के प्यार में डूबे होने के बावजूद भी गुरु ने गीता को चुना.

गीता को चुनने के बाद भी गुरु के दिल से कभी वहीदा निकल नहीं पाई. इस बीच एक्टर ने कई बार सुसाइड करने की भी कोशिश की. कहीं न कहीं गीता भी समझ चुकी थीं कि अब गुरु और उनका पहले जैसा रिश्ता नहीं रहा. 

फिर आई एक काली रात

10 अक्टूबर 1964 की रात ऐसी आई की उसके बाद गुरु हमेशा के लिए मौत की नींद सो गए. वहीदा से अलगाव के बाद से ही गुरु शराब के आदि हो चुके थे. उन्होंने उस रात भी खूब शराब पी और फिर नींद की गोलियां खाकर सो गए. यह रात उनकी जिंदगी की आखिरी रात बन गई.

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