नई दिल्ली:Kissa-E-Manna Dey: 'लागा चुनरी में दाग', 'एक चतुर नार', 'बाबू समझो इशारे',ये रात भीगी-भीगी जैसे गानों से लोगों का दिल जीतने वाले मन्ना डे ने अपनी गायकी से मुहम्मद रफी जैसे दिग्गजों को भी अपना फैन बना लिया था. उनकी गायकी हर किसी से जुदा थी. मन्ना अपनी कठिन गायकी के लिए मशहूर थे. मरते दम तक वह गाना चाहते थे...
भारतीय सिनेमा में संगीत का जोड़ा नया अध्याय
मन्ना डे ने भारतीय सिनेमा में संगीत का एक नया अध्याय जोड़ा था. पद्मश्री, पद्म भूषण और दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाजे गए मन्ना डे ने कई शानदार गाने गाए हैं, जिनका क्रेज आज भी लोगों को हैं. 5 दशक के करियर में उन्होंने कई उतार-चढ़ाव देखे लेकिन संगीत की दुनिया में अपना नाम सुनहरे अक्षरों से दर्ज करा लिया.
चाचा थे पहले गुरु
मन्ना डे का जन्म 1 जून 1919 को कोलकाता में बंगाली परिवार में हुआ था. बचपन से ही मन्ना डे अपने चाचा संगीताचार्य कृष्ण चंद्र डे से प्रेरित रहते थे. लेकिन उनके पिता चाहते थे घर में डॉक्टर, इंजीनियर है तो उनका बेटा वकील बने. मगर मन्ना डे संगीत में खो चुके थे. कॉलेज के दिनों से ही उन्होंने संगीत में हुनर दिखाना शुरू कर दिया था. मन्ना डे का उनके चाचा ने खूब हौसला बढ़ाया और संगीत की शिक्षा दी.
राज कपूर की बात सुन रो पड़े थे मन्ना डे
एक वक्त आया जब मन्ना डे टाइपकास्ट का शिकार हो गए. फिल्म चोरी चोरी के गाने ‘ये रात भीगी भीगी’ को फिल्म निर्माता ए.वी. मय्यपन चेट्टियार लता के साथ मुकेश की आवाज चाहते थे. लेकिन संगीतकार शंकर जयकिशन की जोड़ी इस गीत को लता के संग मन्ना डे से गवाना चाहती थी. लेकिन जब मय्यपन नहीं माने तो राज कपूर ने उन्हें समझाया कि गाना तो मन्ना डे ही गाएंगे. जब मन्ना ने गाना गाया तो मय्यपन उनकी तारीफ किए बिना रह नहीं पाए. जिसके बाद राज कपूर की इस सिफारिश पर मन्ना डे के आंसू छलक आए थे.
पत्नी के लिए गाना चाहते थे गाना
94 साल की उम्र में मन्ना डे ने आखिरी सांस ली थी. उनकी ख्वाहिश थी की अपने आखिरी वक्त में वह अपनी पत्नी सुलोचना के लिए गाना गाएं. लेकिन उनकी ये ख्वाहिश पूरी न हो सकी. संगीत के लिए मन्ना डे के मन में बहुत सम्मान था. वह कभी संगीत के लिए मजाक में भई अपमान जनक भाषा का इस्तेमाल नहीं करते थे.
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