Happy Birthday: किसान का वो बेटा जिसके मन में आते थे सुसाइड के ख्याल, इस तरह जिंदगी ने ली करवट

बॉलीवुड अभिनेता मनोज बाजपेयी आज अपना 52वां जन्मदिन मना रहे हैं. इस खास दिन पर हम उनके उन दिनों चर्चा कर रहे हैं जब मनोज खुद को कमजोर और हारा हुए मानने लगे थे.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 23, 2021, 09:39 AM IST
  • मनोज बाजपेयी अपने करियर में काफी स्ट्रगल किया है
  • 'सत्या' ने बदल डाली की मनोज बाजपेयी की किस्मत
Happy Birthday: किसान का वो बेटा जिसके मन में आते थे सुसाइड के ख्याल, इस तरह जिंदगी ने ली करवट

नई दिल्ली: बॉलीवुड अभिनेता मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) को इंडस्ट्री के उन कलाकारों में से एक कहा जाता है जो किसी भी तरह के किरदार में आसानी से खुद को ढाल लेते हैं. आज हर बड़ा कलाकार और निर्माता-निर्देशक उनके साथ काम करना चाहते हैं. 23 अप्रैल 1969 को बिहार के चंपारण जिले के एक छोटे से गांव में जन्मे मनोज बाजपेयी के लिए इस मुकाम को हासिल कर पाना आसान नहीं था.

बचपन से था एक्टिंग का शौक

मनोज शुक्रवार को अपना 52वां जन्मदिन मना रहे हैं. इस खास दिन पर दुनियाभर के फैंस उन्हे ढेरों शुभकामनाएं भेज रहे हैं. कम ही लोग जानते हैं कि मनोज को बचपन से एक्टिंग का शौक था, अपने इस सपने को पूरा करने के लिए मनोज जी-जान से जुट गए. इस दौरान उनकी जिंदगी में वह पल भी आया जब मनोज सुसाइड करने के बारे में सोचने लगे थे. इस बात का खुलासा वह खुद कर चुके हैं.

किसाब के बेटे हैं मनोज

मनोज बाजपेयी के पिता एक किसान थे और मां घर में ही रहकर परिवार संभालती थीं. अभिनेता 5 भाई-बहनों के साथ बड़े हुए. अपनी शुरुआती शिक्षा बिहार से ही हासिल करने के बाद मनोज ने मुंबई का रुख कर लिया और नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन लेने पहुंच गए. हालांकि, तीन बार फॉर्म भरने के बाद भी उनका सेलेक्शन नहीं हो पाया.

9 साल की उम्र में पता चल गई थी मंजिल

कुछ समय पहले मनोज ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था, "मैं किसान का बेटा हूं. हम झोपड़ी वाले स्कूल में जाते थे. हमने बहुत साधारण जीवन जीया है, लेकिन स्कूल जाते हुए कई बार हम सिनेमाघर भी जाते थे. मैं अमिताभ बच्चन का बहुत बड़ा फैन था और उन्हीं के जैसा बनना चाहता था. 9 साल की उम्र में ही मुझे यह समझ आ चुका था कि मेरी मंजिल एक्टिंग ही है."

भाषाओं पर की मेहनत

मनोज ने आगे बताया उस समय मुझमें इतने बडे़ सपने देखने की हिम्मत नहीं थी, लेकिन मैं किसी और चीज में ध्यान ही नहीं लगा पाता था. अभिनेता जब 17 साल के थे तब वह दिल्ली यूनिवर्सिटी चले गए. यहां उन्होंने काफी थिएटर किया, हिन्दी और इंग्लिश भाषाओं पर अपनी पकड़ बनाई. इसके बाद उन्होंने NSD में एडमिशन लेने की कोशिश की, लेकिन उन्हें 3 बार असफलता मिली.

 मनोज को आते थे आत्महत्या के ख्याल

इस नाकामयाबी के बाद मनोज बाजपेयी के मन में आत्महत्या जैसे ख्याल आने लगे. ऐसे में उनके दोस्तों ने उनका बहुत साथ दिया. वह इतने घबरा गए थे कि वे लोग मनोज को कभी अकेला नहीं छोड़ते और सोते भी उन्हीं के बराबर में थे. ऐसा तब तक चलता रहा जब तक फिल्मी दुनिया ने मनोज को अपना नहीं लिया.

'बैडिट क्वीन' में मिला ऑफर

मनोज का कहना है कि वह एक आइडल चेहरे कभी नहीं थे. लोगों को लगता था कि वह पर्दे पर दिखने लायक ही नहीं हैं. आखिरकार 4 सालों  के स्ट्रगल के बाद मनोज को महेश भट्ट के एक टीवी सीरियल में काम करने का अवसर मिला. यहीं से उनके अभिनय की सराहना होने लगी. इसके बाद एक बाद उनके दोस्त तिग्मंशु धूलिया ने आकर उन्हें बताया कि शेखर कपूर उन्हें अपनी फिल्म 'बैडिट क्वीन' में कास्ट करना चाहते हैं.

'सत्या' से चमकी किस्मत

इस फिल्म में दर्शकों ने मनोज की एक्टिंग को खूब सराहा. इसके बाद ही उन्हें 'सत्या' में काम करने का मौका मिला. यह फिल्म मनोज के लिए मील का पत्थर साबित हुई. इस फिल्म ने जैसे उनकी पूरी जिंदगी पलटकर रख दी थी. फिल्म में उनके किरदर भीखू म्हात्रे को खूब प्यार मिला. इस फिल्म के लिए मनोज को बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर के तौर पर राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. यहीं से ही मनोज ने एक के बाद एक बेहतरीन फिल्मों को साइन करना शुरू कर दिया.

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